Devendra Fadnavis

क्या मुंबई में दोबारा 26/11 जैसे हमले की साजिश? फडणवीस का बड़ा खुलासा, दरगाह पर मंडरा रहा खतरा!

Devendra Fadnavis: मुंबई फिर खतरे में?”…..ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि 2008 के 26/11 हमले के बाद एक और संभावित ‘लैंडिंग स्पॉट’ सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ चुका है। देवेंद्र फडणवीस सरकार सतर्क है, क्योंकि पाकिस्तान से आए आतंकियों ने जिस तरह कोलाबा को अपनी एंट्री पॉइंट बनाया था, उसी तरह अब मीरा भयंदर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन क्षेत्र में स्थित एक अवैध दरगाह संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बनती जा रही है।

साल 2008, वो मनहूस रात जब मुंबई लहूलुहान हुई, आतंकी कसाब और उसके साथियों ने कोलाबा से मायानगरी में घुसकर तबाही मचाई। समंदर के रास्ते आए (Devendra Fadnavis)इन दहशतगर्दों के लिए कोलाबा एक ‘सेफ लैंडिंग पॉइंट’ बन गया था। आज, 16 साल बाद, फिर एक नई लोकेशन पर खतरे की आहट सुनाई दे रही है।

मुंबई के बेहद करीब मीरा भयंदर के समुद्री क्षेत्र में बनी एक अवैध दरगाह पर सरकार की नजरें टेढ़ी हो चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह इलाका आतंकियों के लिए ‘सेफ जोन’ बन सकता है, क्योंकि बीते चार-पांच सालों में यहां संदिग्ध गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। फडणवीस सरकार अब कड़े एक्शन के मूड में है, ताकि मुंबई को किसी नए आतंकी हमले से बचाया जा सके।

आखिर इस दरगाह पर क्यों मंडरा रहा है खतरा? क्या सच में यह आतंकियों के लिए ‘सेफ हाउस’ बन सकती है? और फडणवीस सरकार इस पर क्या बड़ा कदम उठाने वाली है? आइए, जानते हैं पूरी कहानी

14 साल पुरानी चेतावनी, अब आया सरकार का एक्शन!

दरगाह पर विवाद नया नहीं है! साल 2011 में ही मुंबई पुलिस ने प्रशासन को चेताया था कि यह स्थल भविष्य में आतंकियों के लिए “सेफ लैंडिंग स्पॉट” बन सकता है। कोलाबा की तरह ही, यह दरगाह समुद्र के किनारे स्थित है, जिससे यह आतंकवादियों के लिए एक संभावित छुपने का अड्डा बन सकता है। पुलिस रिपोर्ट में साफ लिखा गया था कि यह सुरक्षा के लिए एक “संभावित खतरा” है, लेकिन सालों तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब, फडणवीस सरकार इस रिपोर्ट को आधार बनाकर इसे ध्वस्त करने की तैयारी में है, ताकि मुंबई को किसी भी संभावित आतंकी घुसपैठ से बचाया जा सके।

दरगाह या अतिक्रमण? 70,000 स्क्वायर फीट में अवैध निर्माण!

यह मामला सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय उल्लंघन का भी बड़ा मुद्दा बन चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दरगाह के आसपास अवैध निर्माण तेजी से बढ़ रहे हैं।70,000 स्क्वायर फीट क्षेत्र में अवैध कब्जा… मैंग्रोव्स की कटाई कर बनाई जा रही हैं अवैध बस्तियां
कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (CRZ) कानून का खुला उल्लंघन मैंग्रोव्स केवल समुद्र के किनारे के पेड़ नहीं हैं, बल्कि मुंबई के लिए सुरक्षा कवच हैं! ये न सिर्फ समुद्री कटाव को रोकते हैं बल्कि तूफानों और बाढ़ से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। बावजूद इसके, कोविड काल के बाद इस इलाके में अतिक्रमण तेजी से बढ़ा और अब इसे पूरी तरह साफ करने का आदेश जारी हो चुका है।

सवाल बड़ा है….सुरक्षा का खतरा या महज संयोग?

इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है – क्या सच में यह दरगाह आतंकी खतरा बन चुकी थी या यह सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई है?

2011 से अब तक इस दरगाह से कोई आतंकी गतिविधि नहीं जुड़ी…कोलाबा के 26/11 हमले से तुलना कितनी जायज?  क्या यह कदम केवल एहतियातन है या खुफिया इनपुट के आधार पर लिया गया है?

सरकार भले ही इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बता रही हो, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि यह धार्मिक स्थल होने के कारण एक विवादित मुद्दा बन सकता है।

फडणवीस सरकार का आखिरी फैसला...

फडणवीस सरकार ने साफ कर दिया है कि यह मामला किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। मई 2025 तक इस दरगाह को पूरी तरह ध्वस्त करने का टारगेट सेट कर दिया गया है।

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