डूंगरपुर में क्षेत्रपाल दादा की पालकी यात्रा में उमड़े भक्त; गूंजे भगवान श्रीराम और हनुमान के जयकारे
Dungarpur : राजस्थान के डुंगरपुर में वैसे तो हर एक त्यौहार बड़ी धामधूम से मनाया जाता है. लेकिन उसमे सबसे खास बात यह है कि, भगवान श्री बजरंगबली का जन्म उत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के दौरान डूंगरपुर में मोरन नदी के किनारे पर स्थित भगवान श्री क्षेत्रपाल दादा के मंदिर पर हर साल कि तरह इस साल भी मेले का आयोजन किया गया था. भगवान श्री क्षेत्रपाल दादा के मंदिर पर आयोजित मेले में दादा के दर्शन को बड़ी संख्या में सुबह से ही भक्तो कि भरी भीड़ उमड़ पड़ी थी. उसके बाद भगवान श्री क्षेत्रपाल दादा पालखी यात्रा निकाली गई थी. पालखी यात्रा में पूरे देश से आए हुए भगवान श्री क्षेत्रपाल दादा के भक्त भी जुड़े थे. पालखी यात्रा के दौरान “जय श्री राम” और “जय श्री हनुमान” के जयकारे भक्तो ने लगाए थे.
भगवान श्री क्षेत्रपाल दादा मंदिर प्रबंध समिति खडगदा के अध्यक्ष निखिलेश मेहता ने बताया कि, गुरुवार को गंगाजल कलश यात्रा निकाली गई। गंगाजल कलश यात्रा मुख्य मंदिर से होते हुए पुल पर पहुंची, कलश यात्रा में युवाओ ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और युवाओ ने नृत्य भी किया था.
भगवान श्री क्षेत्रपाल दादा मंदिर मेला संयोजक अनिल पुरोहित और मंत्री पीयूष पुरोहित ने बताया कि, पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर से कलाकारों के एक दल को बुलाया गया है। कलाकारों ने कठपुतली, कच्छी घोड़ी, तेराताली, राठवा और भवाई नृत्य जैसी प्रस्तुतियां दी। कलश यात्रा में इंदौर से बुलाए ड्रोन से पुष्पवर्षा की गई। 2 दिवसीय धार्मिक आयोजन में खड़गदा सहित आसपास के दर्जनों गांवों से सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सागवाड़ा प्रधान ईश्वर सरपोटा, नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र खोडनिया, खडगदा सरपंच गटी देवी सरपोटा, सचिव नारायण पंचाल, पूर्व अध्यक्ष शशिकांत पुरोहित, यशवंत पंड्या, डॉ. विमलेश पंड्या, निरज जोशी, दिलीप जोशी, योगेश जोशी, रजनीकांत, ईश्वर भट्ट सहित कई ग्रामीण मौजूद रहे।
क्षेत्र के रक्षक व पालक है भगवान क्षेत्रपाल दादा
खड़गदा से बह रही मोरन नदी के तट पर स्थित भगवान क्षेत्रपाल दादा का मंदिर अपनी चमत्कारिकता और श्रद्धाओं के कारण विश्व विख्यात है। भगवान क्षेत्रपाल दादा क्षेत्र के रक्षक व पालक देवता माने जाते हैं, जिनकी शरण में हर आम व खास व्यक्ति पहुंचकर अपने सुखद भविष्य की कामना करता है। भगवान क्षेत्रपाल के प्रति न केवल वागड़ अंचल अपितु प्रदेश के अन्य जिलों व समीपस्थ गुजरात व मध्यप्रदेश के लाखों श्रद्धालुओं की अगाध आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। तीर्थ की अतिशयता और लोकप्रसिद्धि के कारण इस तीर्थ पर श्री हनुमान जयंती पर आयोजित होने वाले दो दिवसीय मेले के साथ ही प्रति शनिवार, मंगलवार और अवकाश के दिनों में श्रद्धालुओं का ज्वार उमड़ता रहता है।
होली पर खिचड़ा से होती है क्षेत्रपाल दादा की अनूठी मनुहार
राग-रंग और मौज मस्ती के मनमौजी त्यौहार राजस्थान के दक्षिणांचल वागड़ की होली अपनी कुछ अनूठी परंपराओं के साथ आयोजित की जाती है। देशभर में होली की अपनी विशिष्ट परंपराओं के लिए पहचान बनाने वाले इस अंचल में होली पूर्व एक ऎसी परंपरा भी आयोजित की जाती है जिसमें श्रद्धालु सूनी गोद में संतान देने वाले अपने ईष्ट को खिचड़ी अर्पित कर श्रद्धाओं का इजहार करते हैं।
तीर्थ पर संचालित है अन्न क्षेत्र
खड़गदा के श्री क्षेत्रपाल तीर्थ पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या को देखते हुए श्री क्षेत्रपाल अन्न क्षेत्र ट्स्ट भी संचालित किया जा रहा है। इस अन्न क्षेत्र की स्थापना ब्रह्र्षि स्वर्गीय नाथुदादा की प्रेरणा से 22 अगस्त 1999 को की गई थी। तब से लेकर अनवरत इस अन्न क्षेत्र पर आने वाले श्रद्धालुओं को दोपहर के भोजन के रूप में खिचड़ी, कढ़ी एवं हलवा प्रसाद स्वरूप दिया जाता है। यदि कोई भामाशाह अपने पुण्यजन की स्मृति, जन्म दिन आदि के अवसर पर अन्नक्षेत्र के माध्यम से प्रसाद देना चाहता है तो अन्न क्षेत्र में मिष्ठान्न भी तैयार कर वितरित किया जाता है।