Dewas- PadmaShree Awardee Kaluram- ‘पद्मश्री’ से सम्मानित कालूराम बामनिया देवास जिले के टोक खुर्द के छोटे से गांव कनेरिया के निवासी हैं। उन्हें महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा कबीर भजन गायन के क्षेत्र मे उत्कृष्टता के लिए ‘पद्मश्री’ अवॉर्ड दिया गया है। वह पश्चिमी मध्यप्रदेश की मालवी बोली में कबीर वाणी गाने के लिए मशहूर हैं। उनके प्रशंसक उन्हें ‘मालवा का कबीर’ भी कहते हैं।अवार्ड मिलने के बाद कालूराम अपने गृहनगर पहुंचे।
गृहनगर देवास पहुंचने पर हुआ स्वागत
दिल्ली में पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद कालूराम बामनिया देवास पहुंचे। जहा लोगों ने हार पहनकर उनका स्वागत किया। 14 साल तक एक खेत में मजदूरी करने वाले कालूराम, अपनी मस्ती में डूबकर गाते रहते थे। तब उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि उन्हें पद्मश्री जैसा सम्मान मिल सकता है।
कालूराम बामनिया की रुचि कबीर भजन गायन में रही
पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कालूराम बामनिया ने बताया कि उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है। शुरुआत मे उनकी रुचि कबीर भजन गायन में रही। उसके बाद वे अपने माता-पिता के सहयोग से, अपनी प्रतिभा निखारते हुए इस मुकाम पर पहुंचे हैं। कालूराम बामनिया ने कड़ी मेहनत के दम पर, देश में कबीर भजन गायन के क्षेत्र में यह उपलब्धि प्राप्त की है। उन्होंने केंद्र सरकार को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि एक छोटे से गांव के व्यक्ति को पद्मश्री जैसे अवार्ड के लिए चुना जाना उनके लिए गर्व की बात है।
पद्मश्री पूरे मालवा क्षेत्र का सम्मान-बामनिया
बामनिया ने कहा कि पद्मश्री अवार्ड से उनके जीवन में बडा बदलाव आया है। उन्होंने कहाकि उन्हें पद्मश्री के रूप में उनके काम का प्रतिफल मिला। यह सम्मान पूरे मालवा क्षेत्र का सम्मान है। उन्होंने कहाकि उन दिनों इंदौर के क्षिप्रा कस्बे में हर महीने भजन कार्यक्रम होता था जिसमें गाने का उन्हें भी सौभाग्य मिलता था।