Digital House Arrest In Indore : इंदौर। डिजीटल हाउस अरेस्ट यानी ठगी का मॉर्डन तरीका। जिसमें महज एक वीडियो कॉल के जरिए आपको आपके ही घर में बंधक बना लिया जाता है और फिर आपको इतना टॉर्चर किया जाता है कि आप खुद ही लाखों रुपए की रकम ठगों के हवाले कर देते हैं। इतना ही नहीं आप कई किलोमीटर दूर बैठे इन बदमाशों की नजर से खुद को हटा भी नहीं पाते और हाउस अरेस्ट हो जाते हैं। क्या है डिजिटल हाउस अरेस्ट…कैसे इससे बचा जा सकता है, हम आपको बताते हैं।
क्या है डिजीटल हाउस अरेस्ट ?
डिजिटल हाउस अरेस्ट ठगी का अत्याधुनिक तरीका है…जिसकी शुरूआत एक फेक कॉल से होती है। कॉल करने वाला शख्स आपको बताता है कि आपके दस्तावेज किसी संगीन जुर्म में इस्तेमाल हुए हैं। इसके बाद आपको पुलिस- क्राइम ब्रांच से मिलने को कहा जाता है और फिजिकली नहीं मिलने के लिए वीडियो कॉल के जरिए पुलिस अफसरों से मिलने का ऑप्शन दिया जाता है। आपको स्क्रीन पर ठीक वैसा ही सीन नजर आता है, जैसा क्राइम ब्रांच के असल दफ्तरों में होता है। ऐसे में आप यकीन कर लेते हैं कि क्राइम ब्रांच के अफसर ही आपसे बात कर रहे हैं। आपको घर से बाहर निकलने के लिए भी मना कर दिया जाता है। इसके बाद लगातार चल रही वीडियो कॉल पर आपको संगीन जुर्म के नाम पर इतना टॉर्चर किया जाता है कि आप खुद को बचाने के लिए ठगों की मुंहमांगी रकम उनके हवाले कर देते हैं।
53 घंटे डिजीटल हाउस अरेस्ट रहा परिवार
डिजीटल हाउस अरेस्ट का ताजा मामला मध्यप्रदेश के इंदौर में सामने आया है। जहां एक डॉक्टर फैमिली को बदमाशों ने 53 घंटे तक हाउस अरेस्ट करके रखा और उनसे करीब 9 लाख रुपए भी हड़प लिए। डॉक्टर दंपति ने पुलिस को बताया कि रविवार को उनके पास एक कॉल आया। जिसमें बताया गया कि आपके आधार आईडी से बैंक अकाउंट खुला है। जिससे 16 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके अलावा ह्यूमन ट्रैफिकिंग, एमडीएम ड्रग डिलीवरी और बच्चों की किडनैपिंग कर ऑर्गन निकालने के मामलों में भी आपके डॉक्यूमेंट इस्तेमाल हुए हैं।
यह भी पढ़ें : Lok Sabha Election 2024 PM Modi in Karauli राजस्थान के करौली में पीएम मोदी ने भरी हुंकार, कहा- कांग्रेस के महापाप की माफी नहीं
कॉल कर बताया आप पर संगीन आरोप हैं
डॉक्टर फैमिली को संगीन जुर्म में शामिल होने की कहानी सुनाने के बाद ठगों ने साइबर क्राइम ब्रांच का हवाला देते हुए पीड़ितों की किसी से बात करवाई। वहां से बताया गया कि आप कंपलेंट दर्ज कराएं। इसके लिए उन्होंने आधार आईडी मांगा। आधार नंबर लेने के बाद ठगों ने खुद को साइबर ब्रांच का अफसर बताते हुए कहा कि आपका आधार आईडी किसी फ्रॉड में लिंक है। यह साइबर क्राइम के साथ सीबीआई से जुड़ा मामला है, हम सीबीआई को कॉल ट्रांसफर कर रहे हैं। इस कॉल पर बताया गया कि आपके आईडी से बैंक अकाउंट ओपन हुआ है। जिससे 16 करोड़ के ट्रांजेक्शन हुए हैं। आपको इस मामले में सीबीआई ऑफिस आना होगा, अगर आप नहीं आ सकते, तो वीडियो कॉन्फ्रेंस का भी ऑप्शन है।
यह भी पढ़ें : Parenting Tips: लापरवाह बच्चों को ऐसे बनाएं रिस्पॉसिबल, पेरेंटस अपनाएं ये टिप्स
53 घंटे वीडियो कॉल…9 लाख की ठगी
पीड़ित परिवार ने जिस तरह का नजारा सामने दिख रहा था और बातचीत हो रही थी, यह मान लिया कि वह साइबर क्राइम ब्रांच और सीबीआई से ही बात कर रहे हैं। इसके बाद वो वीडियो कॉल पर लगातार पूछताछ और टॉर्चर करते रहे। ठगों ने पूरी फैमिली को घर से निकलने को मना कर दिया और 53 घंटे तक डिजीटल हाउस अरेस्ट रखा। इस दौरान पैसे नहीं देने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी। जिससे घबराए दंपति ने करीब 9 लाख रुपए ठगों को ट्रांसफर कर दिए। एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि डॉक्टर फैमिली की शिकायत दर्ज कर जांच की जा रही है।
कैसे बच सकता था परिवार ?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक डिजिटल हाउस अरेस्ट जैसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 2022 में ही इसतरह के 685 मामले सामने आ चुके हैं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए पीड़ित को सबसे पहले फेक कॉल कट कर पुलिस हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करना चाहिए।