डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), जो हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं, ने एक बार फिर से अपनी विवादास्पद नीतियों के साथ सुर्खियों में आने की तैयारी कर ली है। उनके नए कार्यकाल के पहले दिन से ही ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अमेरिकी सेना से बाहर करने का आदेश जारी करने की योजना है। यह कदम न केवल सेना में सेवा कर रहे लगभग 15,000 ट्रांसजेंडर सैनिकों के लिए बल्कि व्यापक LGBTQIA+ समुदाय के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
क्या है ट्रम्प की योजना?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सेना में शामिल होने पर रोक लगाई थी। लेकिन, तब उन्होंने पहले से सेवा कर रहे सैनिकों को अपनी सेवा जारी रखने की अनुमति दी थी। इस बार, उनकी योजना सभी मौजूदा ट्रांसजेंडर सैनिकों को भी हटाने की है। इस फैसले के पीछे उनका तर्क है कि इससे सेना की “लड़ाकू तत्परता” पर असर पड़ता है और यह “वामपंथी विचारधारा” के खिलाफ एक ठोस कदम है।
ट्रंप ने अपने इस फैसले को “वोक” संस्कृति के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बताया है। वे मानते हैं कि सेना में विविधता और समावेशिता पर जोर देने से उसकी युद्ध क्षमता पर विपरीत असर होता है। उनके अनुसार, यह कदम सेना को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बनाएगा।
15000 ट्रांस सैनिको पर पड़ेगा असर
Donald Trump का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी सेना पहले से ही भर्ती संकट का सामना कर रही है। विभिन्न सैन्य शाखाएं अपनी भर्ती लक्ष्यों को पूरा करने में असफल रही हैं, केवल मरीन कॉर्प्स ही अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकी है। ऐसे में 15,000 से अधिक अनुभवी सैनिकों को हटाना सेना के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
सेना में कई वरिष्ठ पदों पर ट्रांसजेंडर सैनिक कार्यरत हैं, जिनके हटने से नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा, इन सैनिकों को हटाने से प्रशासनिक बोझ बढ़ेगा और यूनिट्स की एकता प्रभावित होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से सेना की तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और अमेरिका के विरोधियों को कमजोरी का संकेत मिलेगा।
LGBTQIA+ समुदाय की प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस प्रस्तावित आदेश ने LGBTQIA+ समुदाय और मानवाधिकार संगठनों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। कई संगठनों ने इसे नागरिक अधिकारों पर हमला बताया है और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि उन हजारों सैनिकों की गरिमा और अधिकारों का उल्लंघन करता है जिन्होंने देश की सेवा की है।