अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य के रोबिन्सविल नगर में बन रहे एक भव्य हिन्दु मन्दिर के निर्माण में बाधा डालने के एक भयानक षडयंत्र का पर्दाफाश हुआ है। भारतीय मजदूर संघ और उसके अंतर्गत भारतीय पत्थर घडाई एवं निर्माण मजदूर संघ के माध्यम से तथा अनुसूचित जाति-जनजाति उत्थान समिति के माध्यम से अपनी इस बात बताते हुए, राजस्थान हाईकोर्ट के वकिल श्री आदित्य एस. बी. सोनी ने बताया है कि राजस्थान के धार्मिक पत्थर काम के कुछ कारीगरों ने इस बात का सत्य उजागर किया है कि सनातन हिन्दु धर्म एवं भारतीय सभ्यता-परंपरा के प्रति एक भयानक आंतरराष्ट्रिय षडयंत्र रचा गया है जिसका शिकार बनाकर कुछ स्वयंसेवकों को अमरिका में उस कुचक्र में फंसाया गया था। इस बात को उजागर करते हुए उन्होंने अमरिकी कोर्ट में हिन्दु मन्दिर के खिलाफ चल रहे इस सिविल मुकदमे से अपना नाम वापस लेने का स्वैच्छिक निर्णय लिया है।
राजस्थान हाईकोर्ट के वकिल श्री आदित्य सोनी ने बताया कि 25 से अधिक स्वयंसेवकों के अधिवक्ता के तौर पर वे यह बयान दे रहे हैं। श्री आदित्य सोनी के मुवक्किलों ने अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य के रोबिन्सविल नगर में बन रहे बी. ए. पी. एस. हिन्दु मंदिर के निर्माण में धार्मिक पत्थरकाम के स्वयंसेवक कारीगर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की है। इन स्वयंसेवकों में से 12 ने दबाव में आकर के वादी (PLAINTIFF) के रुप में अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य की कोर्ट में एक सिविल मुकदमा दायर किया था।
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उस मुकदमे के आधार पर 11 मई 2021 के दिन मन्दिर में सेवा कर रहे स्वयंसेवक कारीगरों को ‘ह्यूमन ट्रैफिकिंग’ के संभावित पीड़ित कारीगर मानकर अमरीकी पुलिस एफ.बी.आई. उन्हें अपने साथ ले गई थी और उन्हें इस मुकदमे के आधार पर मंदिर के खिलाफ चल रहे क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन के साक्षी बनाए गए थे। उनमें से 25 से अधिक स्वयंसेवकों ने अटर्नी एवं अधिवक्ता श्री आदित्य सोनी का संपर्क करके बताया कि, अमेरिका में भारतीय महिला अटर्नी श्री स्वाति सावंत और उनके साथियों ने उन्हें झूठे प्रलोभन देकर मंदिर प्रबंधन पर मिथ्या आरोप युक्त मुकदमा लगाने के लिए प्रभावित और भमित किया. था।
वे अब इस झूठे मुकदमे से बाहर निकलकर इसका भाग बनना नहीं चाहते हैं। क्योंकि यह सम्पूर्ण के लिए प्रभावित और भमित किया झूठे और बेबुनियाद तय पर आधारित मुकदमा है। अधिवक्ता सोनी का कहना है कि उक्त स्वयंसेवकों ने बी.ए. पी. एस. मंदिर संस्था में भारत में एवं अमेरिका में कई वर्ष तक मंदिर बनाने के कार्यों पत्थर नकाशी और फिटिंग आदि में अपना सेवा- सहयोग दिया है। इन वर्षों में कभी भी उन्होंने अपने साथ या अपने अन्य साथियों के साथ जाति-पांति या ऊंच-नीच जैसे भेदभावों का, या जबरजस्ती या शोषण का अनुभव नहीं किया है। पत्थर घड़ाई के ये कारीगर अपनी स्वेच्छा से अपनी पूर्ण जानकारी के साथ, स्वयंसेवक के रुप में उपरोक्त रोबिन्सविल स्थित मंदिर के निर्माण में अपनी सेवा देने हेतु अमरिका जाने के लिए तत्पर हुए थे।
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इन स्वयंसेवक कारीगरों का कहना है कि अमेरिका में बी. ए. पी. एस. स्वामिनारायण मन्दिर संस्थान ने उनके प्रति बड़े आदर सम्मान के साथ सद्व्यवहार किया था। संस्था में उनकी हर तरह की संभाल ली गई थी। श्री आदित्य सोनी ने कहा है कि इन स्वयंसेवकों के भारत से अमेरिका आना-जाना हो या अमरिका में खाना-पीना रहना दवाई कपर्डे आदि तमाम जरूरतें हों, उन सब जरूरतों का मन्दिर प्रबंधन के द्वारा अच्छा खयाल रखा गया था, और उनके परिवारजनों के भरण-पोषण के लिए भी संस्था ने पूर्ण आर्थिक व्यवस्था भी करवाई है।
अमेरिका में उपरोक्त मन्दिर निर्माण में सेवा देते सभी स्वयंसेवक कारीगर अपनी सेवा के दौरान अपनी इच्छा के अनुसार समय समय पर भारत अपने घर वापस आते थे और अपने परिवार के साथ कुछ महिनों बिताकर अपनी इच्छा से पुनः सेवा में वापस अमरिका भी लौटते थे। यह आना-जाना और अमरिका में सेवा करना वह सब उनकी इच्छा और पसंदगी पर निर्भर था।
श्री आदित्य सोनी का कहना है कि ये स्वयंसेवक सच नहीं बोल पा रहे थे क्योंकि उन्हें डराया गया था कि यदि वे सच उजागर करेंगे तो स्वाति सावंत और उनके साथी पुलिस कार्यवाही करके उन्हें जेल में फंसा देंगे। स्वाति सावंत ने इन कारीगरों को प्रलोभनयुक्त झूठे वचन देकर उन्हें लोभित और भ्रमित किया था कि यदि ये स्वयंसेवक कारीगर अमरिका में बी.ए.पी.एस. मंदिर संस्थान और बी.ए.पी.एस. मंदिर के साथ संलग्न लोगों के खिलाफ कोर्ट में झूठे आरोप लगाने में उनका साथ देंगे तो वह उन्हें तगड़ा धन और अमरिकी नागरिकता दिलवाएगी और साथ साथ उनके परिवारों को भी अमरिका में बसायेंगी।
सन 2021 में 11 मई के दिन अमरिकी पुलिस एफ.बी.आई. ने मन्दिर में सेवा देते कारीगरों को अपने साथ आने को कहा तब उपरोक्त मिथ्या प्रलोभनों में आकर के कुछ कारीगर उनके साथ गये थे। लेकिन जब उनको सच बात का पता चला कि उनको एक मोहरा बनाकर उनके द्वारा हिन्दु मन्दिर के विरुद्ध मिथ्या आरोप लगाकर किसी षडयंत्र में उनको फंसाया जा रहा है, तब वे अपने घर वापस आने के लिए तत्पर हुए। वैसे भी, उनके भारत स्थित परिवारजन उनकी चिंता कर रहे थे और उन्हें वापस बुलाने की कोशिश करते थे। अतः एफ.बी.आई. की कस्टडी से बाहर निकलकर अपने घर वापस जाने के लिए उन्होंने साहस किया।
तब भी स्वाति सावंत ने अपने गलत हितों को सिद्ध करने के लिए उन्हें तगड़ा धन और अमरिकी नागरिकता का लालच देकर अमरिका में रुकने का दुराग्रह किया। इतना ही नहीं, स्वाति सावंत ने इन स्वयंसेवक कारीगरों के भारत स्थित परिवारों को भी फोन करके उन्हें भी अमरिका ले आने का झूठा प्रलोभन दिया और उन्हें अपने स्वजन को अमरिका में रुक करके बी.ए.पी.एस. हिन्दू मन्दिर के खिलाफ झूठे आरोपों में साथ देने का दबाव डाला। लेकिन इन स्वयंसेवक कारीगरों को सच का पता चल गया था, इसलिए वे इस भ्रमजाल से बाहर आने का रास्ता खोज रहे थे। इस हेतु उन्होंने श्री आदित्य सोनी का संपर्क किया और श्री आदित्य सोनी ने उन्हें उनके परिवारजनों तक पहुँचाने का निःस्वार्थ प्रयास किया । उपरोक्त झूठे प्रलोभनों में आकर जिन स्वयंसेवक कारीगरों ने, अमरिका में बी. ए. पी. एस. हिन्दु मन्दिर के विरुद्ध सिविल मुकदमा दाखिल किया, उन्हें भी अब इस षडयंत्र का सत्य मालूम हुआ है।
उनमें से 12 कारीगरों ने अपनी स्वेच्छा से इस झूठे आरोपयुक्त मुकदमे से अपना नाम वापस लेने के लिए स्वतंत्र निर्णय लिया, और अटर्नी श्री आदित्य सोनी के माध्यम से अपने पूर्व अमरिकी वकिलों को भी यह बात बता दी है। अमरिकी वकिलों के साथ इन स्वयंसेवक कारीगरों ने अपना संबंध छोड़कर, उनकी बर्खास्तगी करके, इस मुकदमे से सदा के लिए (DISMISSAL WITH PREJUDICE) अपना नाम हटा देने के लिए इतला कर दिया है। इस बात को तीन हफ्ते हो गये, लेकिन आज तक उन्होंने कोर्ट में से, उपरोक्त सिविल केस में से इन स्वयंसेवक कारीगरों का नाम हटाने का कार्य संपन्न नहीं किया है।
इन स्वयंसेवक कारीगरों के नोटरीकृत शपथपत्र, वीडियो भेटवार्ता द्वारा और वकील सोनी की साक्षी में दिये गए बयान उपरोक्त कथनों की पुष्टि करते हैं। यह सत्य उजागर होते ही हजारों कारीगरों में खुशी की लहर फैल गई है। अनुसूचित जाति-जनजाति के कारीगरों को हिन्दू मंदिर परंपरा के खिलाफ करके, झूठें प्रलोभन देकर अपने षडयंत्र में फँसाने वाले लोगों का पर्दाफाश हुआ है।
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