Earning Crores From TenduPatta : डूंगरपुर। राजस्थान में एक ऐसा जंगली पेड़ पाया जाता है। जिसके पत्तों की कीमत करोड़ों में है। इस पेड़ के पत्तों से राजस्थान सहित कई राज्यों की सरकार को हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है, तो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। यही वजह है कि सरकार ने इसके कारोबार के लिए राजकीय अधिनियम भी बना रखा है। खास बात यह भी है कि यह पेड़ प्राकृतिक रुप से खुद ब खुद उगता है, इसे रोपा नहीं जाता।
सरकार पत्तों के लिए करती है टेंडर
राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों में मिलने वाला यह बेशकीमती जंगली पेड़ तेंदुपत्ता के नाम से जाना जाता है। इसके पत्तों को तोड़कर बेचने के लिए सरकार बाकायदा टेंडर करती है, जिससे सरकार को करोडों का राजस्व मिलता है। वहीं तेंदुपत्ता कारोबार से जुड़े लोगों को महज दो महीने में ही लाखों रुपए की आमदनी भी हो जाती है।
एक जिले से ही 1.9 करोड़ का राजस्व
राजस्थान में तेंदुपत्ता के पेड़ सबसे ज्यादा डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा में हैं। इनके अलावा अन्य जिलों में भी तेंदुपत्ता पाया जाता है, लेकिन यहां इन पेड़ों की संख्या कम है। हाल ही डूंगरपुर में तेंदुपत्ता के पत्तों के लिए टेंडर हुआ है। डूंगरपुर में उप वन संरक्षक रंगास्वामी बताते हैं डूंगरपुर जिले के 9 वन क्षेत्रों में तेंदुपत्ता की नीलामी हुई है। जिससे वन विभाग को 1 करोड़ 9 लाख 43 हजार 942 रुपए की आमदनी होगी।
2 महीने में श्रमिक भी मालामाल
डूंगरपुर के उप वन संरक्षक रंगास्वामी बताते हैं- तेंदुपत्ता से बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। डूंगरपुर में ही तेंदुपत्ता तोड़ने वाले श्रमिकों को 3 करोड़ से ज्यादा की आमदनी होगी, वो भी सिर्फ दो महीने के अंदर। राज्य सरकार ने पत्तों की दर में वृद्धि की है। अब एक बोरा पत्तों की दर 1320 रुपए है। डूंगरपुर के जंगलों से औसतन 24 हजार मानक बोरा तेंदुपत्ता निकलता है।
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बीडी बनाने में होता है इस्तेमाल
तेंदुपत्ता का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बीडी बनाने में किया जाता है। इसके लिए टेंडर होने के बाद श्रमिक पेड़ों से पत्ते तोड़ते हैं। इसके बाद इन पत्तों को बड़ी सावधानी के साथ सुखाया जाता है और सुखाने के बाद इन्हें एक जगह स्टोर किया जाता है। 2 महीने में लाखों की आमदनी कराने वाले इन पत्तों को तोड़ने के बाद सुखाकर स्टोर करना मुश्किल भरा काम होता है, क्योंकि जरा भी सीलन आने से पत्ते खराब हो जाते हैं और फिऱ मार्केट में इनका दाम गिर जाता है।
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