Falgun Amavasya 2024: सनातन धर्म में अमावस्या का दिन (Falgun Amavasya 2024) खास माना गया है। अमावस्या का व्रत हर माह रखा जाता है, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में फाल्गुन माह की अमावस्या का अलग और विशेष महत्व बताया गया है। इस साल फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च 2024, रविवार के दिन मनाई जा रही है। इस दिन गंगा स्नान, दान, तर्पण और जप का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि जो लोग पितृ दोष या फिर कुंडली में कई तरह के दोषों से परेशान रहते है उन्हें इस दिन स्नान,दान और पूजा के साथ विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसे में आइए जानते है स्नान-दान के साथ मंत्र और पूजा के दौरान कथा अवश्य पढ़े:-
तर्पण करते समय का मंत्र
अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है। ऐसे में फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण करते समय ॐ कुल देवताभ्यो नमः मंत्र का जाप अवश्य करें। इस मंत्र के जाप से पितरों की आत्म को शांति मिलती है और साथ ही परिवार में सुख समृद्धि आती है।
स्नान के समय का मंत्र
अमावस्या (Falgun Amavasya 2024) के दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करते हुए ‘अयोध्या मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्ष दायिका’ मंत्र का जाप करे। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति जन्म व मरण के चक्र से मुक्म हो जाता है। वहीं अगर आप किसी तीर्थ या फिर गंगा स्नान करना संभव नहीं है तो ऐसे में घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करे और ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू’ मंत्र का जाप करें।
पितृ दोष से मुक्ति का मंत्र
अगर आप पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते है तो फाल्गुन अमावस्या के दिन ‘ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
फाल्गुन अमावस्या व्रत कथा :-
पौराणिक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण परिवार था जिसमें पति,पत्नि और एक पुत्री रहती थी। उनका जीवन सामान्य चल रहा था। समय के साथ ब्राह्मण की पुत्री बड़ी होने लगी। ब्राह्मण की पुत्री बड़ी होने के साथ ही सर्व गुण सम्पन्न,सुंदर और सुशील थी। लेकिन गरीब होने की वजह से उसके विवाह में कई प्रकार की रूकावटे आ रही थी। ऐसे में एक दिन ब्राह्मण के घर पर साधु आए। ब्राह्मण की पुत्री ने घर आए मेहमान की खूब खातीरदारी की जिससे साधु काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने पुत्री को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया।
लेकिन साथ ही उन्होंने बताया कि पुत्री के हाथ में विधवा का योग है। इस बात से चितिंत होकर ब्राह्मण ने इसका उपाय पूछा। तब ने कुछ देर ध्यान करने के बाद बताया कि कुछ दूरी पर एक दूसरा गांव है जिसमें एक सोना नाम की धोबिन अपने बेटे और बहू के साथ रहती है। वह धोबिन बड़ी संस्कारों से सम्पन्न और निष्ठावान है। अगर यह कन्या उस धोबिन की सेवा करें और इसके विवाह में वह धोबिन अपनी मांग का सिंदूर लगा दे तो कन्या का विधवा योग मिट सकता है।
साधु ने साथ ही बताया कि वह धोबिन कहीं पर भी आती जाती नहीं है। ब्राह्मण ने अगले दिन अपनी पुत्री को सोना धोबिन के घर पर सेवा करने के लिए भेज दिया। कन्या धोबिन के घर चल गई और घर की साफ सफाई और दूसरे सारे कार्य पूरे करके वापिस अपने घर लौट आती। एक दिन धोबिन ने अपनी बहू से पूछा की तुम सुबह जल्दी उठकर सारे काम कर देती और मुझे पता भी नहीं चलता। तब बहू ने कहा कि मांजी मुझे लगा था कि आप सारे काम करते हो मैं तो थोड़ा लेट से ही उठती हॅू।
इस वाक्या के बाद दोनों सास बहू घर की निगरानी रखने लगी कि कौन है जो सुबह घर का सारा काम करके चला जाता है। काफी दिनों बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या सुबह उनके घर आती है और सारा काम करके वापिस चली जाती है। ऐसे में एक दिन वह जाने लगी तो धोबिन ने उससे बड़ी विनम्रता से पूछा कि वह कौन है जो इस तरह छुपकर घर का काम करती है। तब कन्या ने साधु की कही सारी बात धोबिन को बताई।
कन्या की बात सुनकर धोबिन इस बात के लिए राजी हो गई। उस समय उसके पति की तबियत थोड़ी खराब थी। इसलिए उसने बहू से अपने घर पर वापिस आने तक घर पर ही रहने को कहा। कन्या का विवाह हुआ और जैसे ही धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर कन्या की मांग में लगाया तो उसके पति की मृत्यु हो गई। जब उसे इस बात का पता चला तो वह घर से निर्जल ही चली गई।
उसने सोचा कि रास्ते में कही पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और परिक्रमा करके जल ग्रहण कर लूंगी। उस दिन अमावस्या (Falgun Amavasya 2024) का दिन था और धोबिन ने ईंट के टुकड़ो से 108 बार भंवरी देकर पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद ही जल ग्रहण किया। ऐसा करने की वजह से उसका पति फिर से जीवित हो गया। इसी वजह से यह व्रत अतिफलदायी और पुण्यफल के लिए जाना जाता हैं।
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