किसान एक बार फिर से राजधानी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। बीते 2 दिसंबर को राजधानी बॉर्डर से दिनभर किसानों की तस्वीर सोशल मीडिया पर नजर आ रही थी। वहीं किसानों के दिल्ली कूच के मद्देनजर नोएडा से लगी सभी सीमाओं को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। किसानों को रोकने के लिए नोएडा में ही 5000 से ज्यादा पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया था।
किसानों ने रखी डिमांड
किसान नेताओं ने प्रदर्शन के बाद देर शाम को प्रशासन के सामने कुछ शर्त और मांग रखी है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि प्रशासन ने 7 दिन का समय मांगा था, जोकि किसानों की ओर से दिया गया है। लेकिन 7 दिन के लिए आंशिक रूप से धरना प्रदर्शन दलित प्रेरणा स्थल पर जारी रहेगा। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की प्राधिकरण, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बीते दिन यमुना प्राधिकरण के ऑफिस में हुई वार्ता का कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला था।
क्या है किसानों की मांग?
किसानों की मुख्य मांगों में से एक है कि उन्हें मुआवजा और भूमि आवंटन किया जाना चाहिए। किसान मांग कर रहे हैं कि पुराने अधिग्रहण कानून के तहत 10 फीसदी प्लॉट और मुआवजे में 64.7 फीसदी की बढ़ोतरी की जानी चाहिए। वहीं 1 जनवरी 2014 के बाद जिस भूमि का अधिग्रहण किया गया, उसके लिए चार गुना बाजार मूल्य और अधिग्रहित प्लॉट का 20 फीसदी हिस्सा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा MSP की गारंटी, कर्ज माफी, पेंशन, पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज पुलिस केस वापस लेना और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाना भी उनकी मांगों में शामिल है।
बीएनएस की धारा 163 लागू
बता दें कि 2 दिसंबर को किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को लेकर जगह-जगह पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी। वहीं सुरक्षा व्यवस्था पर जॉइंट सीपी संजय कुमार ने बताया कि संसद सत्र को देखते हुए नई दिल्ली इलाके में बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी गई है। इतना ही नहीं पुलिस ने बताया था कि महामाया फ्लाईओवर, चाहे वह जिले की सीमा हो, डीएनडी हो या कालिंदी, बिना अनुमति के भीड़ नहीं घुस पाएगी, इसके लिए जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। वहीं सीमाओं पर सीएपीएफ, स्थानीय पुलिस, बैरिकेडिंग की गई है। पुलिस सभी बैरिकेडिंग पर वाहनों की जांच करने के बाद ही उन्हें आगे जाने दे रही है। किसानों ने फिलहाल अल्टीमेटम दिया है और वो यह है कि अगर 7 दिन तक किसानों की बात को और मांगों को नहीं माना गया तो किसान संगठन दिल्ली कूच करेंगे।