ट्रंप के नक्शेकदम पर ब्रिटेन में भी हो रही घुसपैठियों की पहचान, भारतीयों को कितना खतरा?

अमेरिका जो करता है, उसका असर बाकी पश्चिमी देशों पर भी दिखने लगता है। जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने, अवैध इमिग्रेंट्स को डिपोर्ट करने का सिलसिला शुरू हो गया। पहले दौर में 100 से ज्यादा भारतीयों को वापस भेज दिया गया था। अब यह ट्रेंड ब्रिटेन में भी देखने को मिल रहा है। यूके सरकार ने सोमवार को बताया कि जनवरी में सैकड़ों अवैध इमिग्रेंट्स को पकड़ा गया और उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहने की संभावना है। अब सवाल यह है कि क्या यूके सरकार की यह कार्रवाई वहां चुपचाप पहुंचे भारतीयों को भी प्रभावित कर सकती है?

ब्रिटेन में क्या हो रहा है इन दिनों?

यूके सरकार ने हाल ही में खुलासा किया कि जनवरी में सैकड़ों अवैध इमिग्रेंट्स की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके साथ ही सरकार ने इस कार्रवाई को जारी रखने का ऐलान किया गया है। माना जा रहा है कि भविष्य में यह कार्रवाई और भी कड़ी हो सकती है। अब सवाल यह है कि क्या इस कदम का असर भारत समेत अन्य देशों से ब्रिटेन पहुंचने वाले लोगों पर होगा? ब्रिटेन के साथ भारत के रिश्ते वैसे उतने गहरे नहीं हैं, जितने अमेरिका के साथ, लेकिन ब्रिटेन का यह कदम उन भारतीयों के लिए खतरे वाला हो सकता है, जो अवैध रूप से वहां रह रहे हैं। खबरों के मुताबिक ब्रिटेन की इमिग्रेशन इनफोर्समेंट टीम द्वारा खासतौर पर उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो बिना दस्तावेजों के छोटे-मोटे काम करते हैं। ये लोग अक्सर होटल, रेस्त्रां, पेट्रोल पंप, कार वॉश, और ब्यूटी पार्लर जैसी जगहों पर काम करते हैं। इन जगहों पर कई बार अवैध इमिग्रेंट्स को काम पर रखा जाता है और वे कैश में पेमेंट लेते हैं ताकि किसी को शक न हो। अब ब्रिटेन सरकार अब इन दुकानों पर छापेमारी कर रही है। पिछले साल की तुलना में इस छापेमारी में 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है।

ब्रिटिश सरकार का क्या कहना है?

ब्रिटिश गृह मंत्री, इवेट कूपर ने कहा कि ब्रिटेन में अवैध इमिग्रेशन को लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। उनका कहना था कि लंबे वक्त से अवैध इमिग्रेंट्स काम करते आ रहे थे और इस वजह से न केवल ब्रिटेन के सिस्टम का गलत इस्तेमाल हो रहा था, बल्कि मानव तस्करी को भी बढ़ावा मिल रहा था। कई बार लोग बिना जाने-समझे अवैध रूप से ब्रिटेन पहुंच जाते हैं और उनकी यात्रा के दौरान कई लोग माफिया का शिकार हो जाते हैं या रास्ते में उनकी मौत हो जाती है।

ब्रिटेन में आर्थिक संकट की समस्या

ब्रिटेन में आर्थिक संकट और महंगाई के कारण नागरिकों का गुस्सा बढ़ा हुआ है। लोग कह रहे हैं कि अवैध इमिग्रेंट्स के कारण उनकी नौकरियां छिन रही हैं और उन्हें अपनी ही ज़िंदगी में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कई इमिग्रेंट्स विशेषकर युद्ध-प्रभावित देशों से आए हैं, जो मानसिक रूप से भी ठीक नहीं हैं और उन्हें स्थानीय समाज में घुलने-मिलने में मुश्किल हो रही है। इसी नाराजगी के चलते ब्रिटिश सरकार ने अब सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है।

व्यापारियों को भी मिल रही सरकार से चेतावनी

ब्रिटिश सरकार अब सिर्फ बयानबाजी नहीं कर रही है, बल्कि वह अवैध इमिग्रेंट्स की धरपकड़ के वीडियो भी जारी कर रही है। इनमें ऐसे इमिग्रेंट्स दिखाई दे रहे हैं, जो गंभीर अपराधों में लिप्त पाए गए हैं। सरकार व्यापारियों को भी चेतावनी दे रही है, जिन्होंने अवैध इमिग्रेंट्स को काम पर रखा है। उन पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है, ताकि वे खुद अवैध इमिग्रेंट्स की पहचान सामने लाएं।

ब्रिटेन में अवैध इमिग्रेंट्स की संख्या

ब्रिटेन में अवैध इमिग्रेंट्स की सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल है, लेकिन यह माना जा रहा है कि इनमें बड़ी संख्या में भारतीय भी शामिल हैं। 2023 में एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंग्लिश चैनल पार करके 1000 से ज्यादा भारतीय ब्रिटेन पहुंचे थे। इसके अलावा, पिछले साल लगभग एक लाख लोग अवैध तरीके से ब्रिटेन पहुंचे थे। 18 से 29 साल की उम्र के अवैध इमिग्रेंट्स की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है। ब्रिटेन में शरण के लिए आवेदन करने वालों में भारतीयों का भी बड़ा हिस्सा है, लेकिन ब्रिटेन सरकार ने हर देश से केवल एक निश्चित संख्या को ही शरण देने की नीति बनाई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय शरण आवेदकों को केवल 6 से 9 प्रतिशत मंजूरी मिलती है। यानी अगर भारतीयों की बात करें तो शरण मिलने की संभावना काफी कम है।

अवैध इमिग्रेशन रोकने के लिए बनी थी रवांडा नीति

ब्रिटेन सरकार ने पहले अवैध इमिग्रेशन रोकने के लिए रवांडा के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत, अवैध इमिग्रेंट्स को रवांडा भेजने का प्लान था, लेकिन रवांडा की अस्थिरता और इस नीति पर सवाल उठने के बाद यह कदम आगे नहीं बढ़ सका। अब ब्रिटेन सीधे तौर पर अवैध इमिग्रेंट्स की धरपकड़ और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया पर फोकस कर रहा है।

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