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विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से निकाला 44 हजार करोड़ रुपये, जनवरी 2025 में बड़ी बिकवाली, जानिए क्या है वजह

2025 के जनवरी महीने में भारतीय शेयर बाजार में जो हो रहा है, वो पिछले 20 सालों में कभी नहीं हुआ। विदेशी निवेशकों (FPI) ने जनवरी में अब तक भारतीय शेयर बाजार से 44,396 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाल लिए हैं। यह आंकड़ा 2022 के जनवरी महीने में हुई बिकवाली से भी ज्यादा है, जब 33 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बाहर गए थे। जानकारों के मुताबिक, अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो जनवरी के अंत तक यह आंकड़ा 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

क्यों हो रही है इतनी बिकवाली?

शेयर बाजार में हो रही इस बिकवाली के पीछे कई बड़ी वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह है अमेरिकी डॉलर की ताकत। अमेरिकी डॉलर का सूचकांक 109 के ऊपर है, जो भारतीय रुपये को कमजोर बना रहा है। इसके अलावा, अमेरिका में बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) यानी बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न भी बढ़ गए हैं, जिससे निवेशकों को भारत के मुकाबले अमेरिका में निवेश करना ज्यादा फायदे का सौदा लग रहा है।

17 जनवरी तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 44,396 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। ये आंकड़ा 2022 के जनवरी महीने की बिकवाली (33,000 करोड़ रुपये) से कहीं ज्यादा है। यहां तक कि जनवरी का महीना अभी खत्म नहीं हुआ है और यह आंकड़ा और बढ़ने का अनुमान है।

क्यों निकाले गए इतने पैसे?

डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर की ताकत के चलते भारतीय रुपये की कीमत गिर रही है। जब रुपये की कीमत गिरती है, तो विदेशी निवेशकों को नुकसान होता है, जिससे वो अपना पैसा निकालने पर मजबूर हो जाते हैं।

बॉन्ड यील्ड का बढ़ना: अमेरिका में बॉन्ड से मिलने वाला रिटर्न बढ़ गया है। ऐसे में, एफपीआई (Foreign Portfolio Investors) का ध्यान अब अमेरिका की तरफ ज्यादा है, क्योंकि वहां निवेश करने पर उन्हें अच्छा रिटर्न मिल रहा है।

भारत में कंपनियों के तिमाही नतीजों का दबाव: भारत में कंपनियों के तिमाही नतीजों में कमजोर प्रदर्शन का डर है। जब कंपनियों के नतीजे अच्छे नहीं होते, तो निवेशक डरकर अपना पैसा निकाल लेते हैं।

मूल्यांकन और अस्थिरता: भारत के शेयर बाजार में कंपनियों के शेयर पहले से महंगे हैं। ऐसे में विदेशी निवेशक यहां पैसा लगाने से कतराते हैं। साथ ही, भारतीय बाजार की अस्थिरता भी एक बड़ी वजह है।

क्या था पिछले साल का हाल?

2024 में एफपीआई का शुद्ध निवेश बहुत कम रहा। उन्होंने सिर्फ 427 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन 2023 में एफपीआई ने 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। इससे पहले, 2022 में जब अमेरिका समेत अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाया, तब एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए थे।

 

विवरण आंकड़ा/स्थिति वजह
जनवरी 2025 में निकाले गए पैसे ₹44,396 करोड़ (17 जनवरी तक) विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाले गए
2022 में जनवरी की बिकवाली ₹33,000 करोड़ (लगभग) वैश्विक संकट और ब्याज दरों में वृद्धि के कारण बिकवाली
अमेरिकी डॉलर का सूचकांक 109 के ऊपर डॉलर की ताकत बढ़ने से भारतीय रुपये की कीमत गिरी
अमेरिका में बॉन्ड यील्ड 4.6% से ऊपर बॉन्ड पर ज्यादा रिटर्न मिलने की वजह से एफपीआई को अमेरिका में निवेश आकर्षक लगने लगा
भारत में कंपनियों के तिमाही नतीजे कमजोर नतीजे की आशंका कंपनियों के नतीजे कमजोर होने की उम्मीद, जिससे निवेशक सतर्क हो गए
एफपीआई का 2024 में शुद्ध निवेश ₹427 करोड़ 2024 में एफपीआई का निवेश बहुत कम था
एफपीआई का 2023 में शुद्ध निवेश ₹1.71 लाख करोड़ 2023 में एफपीआई ने भारत में अच्छा निवेश किया था

बॉन्ड बाजार भी हुआ कमजोर

शेयर बाजार के साथ-साथ, एफपीआई का रुख भारतीय बॉन्ड बाजार की तरफ भी नकारात्मक है। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने की वजह से विदेशी निवेशकों का पैसा भारतीय बॉन्ड बाजार से बाहर जा रहा है। जनवरी में अब तक एफपीआई ने भारतीय बॉन्ड बाजार से 4,848 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 6,176 करोड़ रुपये निकाले हैं।

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

हिमांशु श्रीवास्तव (मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-प्रबंधक): उनका कहना है कि भारतीय रुपये की गिरावट और अमेरिकी बाजार में अच्छे रिटर्न की वजह से विदेशी निवेशकों पर दबाव बढ़ रहा है, और यही वजह है कि वो भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।

वी के विजयकुमार (जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार): उनका मानना है कि डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के बढ़ने की वजह से एफपीआई का उभरते बाजारों में निवेश कम हो रहा है, खासकर भारत में, जहां शेयर बाजार महंगा नजर आ रहा है।

भारत में निवेश करने के लिए क्या करें?

अगर आप भी भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं या करने का सोच रहे हैं, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। सबसे पहले, उन कंपनियों में निवेश करें जिनके वित्तीय परिणाम स्थिर हैं और जो लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता रखती हैं। इसके अलावा, अगर आप जोखिम से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ और सावधानी बरतनी होगी और कुछ समय के लिए निवेश को रोककर इंतजार करना चाहिए।