saif ali khan

ऐसा है बॉलीवुड के ‘छोटे नवाब’ सैफ अली खान का रियल से ‘रील’ तक का सफर

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान (saif ali khan) पर बुधवार देर रात घर में घुसकर एक शख्स ने हमला कर दिया। सैफ घायल हैं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक अब वह रिकवर कर रहे हैं। पुलिस घटना के अलग-अलग पहलुओं की जांच कर रही है।

हालांकि इस घटना ने पूरे बांद्रा इलाके में रहने वाले सैलिब्रिटी की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के पीछे क्या मकसद है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। आइए हम खानदानी ‘नवाब’ और ‘छोटे नवाब’ के तौर पर जाने जाते सैफ अली खान के रियल से रील तक के सफर पर एक नजर डालते हैं…

Saif Ali Khan Net Worth

करियर पर परिवार का असर

सैफ अली खान बचपन से ही ग्लैमर के घिरे रहे। उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी स्टार क्रिकेटर होने के साथ-साथ खानदानी नवाब थे। देश की आजादी के बाद साल 1971 तक मंसूर अली खान को ब्रिटिश काल की रियासत पटौदी के नवाब की उपाधि रखने की इजाज़त रही। इसके बाद भारत सरकार ने सभी रियासतों को खत्म किया था। दूसरी तरफ, सैफ अली खान की मां बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर हैं। उनका नाता साहित्य जगत के दिग्गज और राष्ट्रगान के रचयिता राबिंद्रनाथ टैगोर से रहा है। इसलिए बचपन से ही सैफ ठाठ से पले-बढ़े।

हरियाणा के पटौदी गांव में सैफ की ताजपोशी

सैफ के पटौदी खानदान का इतिहास कोई 200 साल पुराना है। हरियाणा के पटौदी गांव में बना महल पटौदी खानदान की निशानी है। साल 2011 में जब मंसूस अली खान पटौदी का निधन हुआ तो परंपरा के अनुसार गांव में सैफ अली खान की ताजपोशी 10वें नवाब के तौर पर की गई थी। भले ही यह कोई औपचारिक उपाधि नहीं है लेकिन सैफ, पटौदी खानदान के नवाब हैं। यही कारण है कि बॉलीवुड में भी सैफ को अक्सर ‘छोटे नवाब’ कहकर पुकारा जाता है।

saif ali khan tajpohi

हिमाचल प्रदेश में बीता बचपन

सैफ अली खान का जन्म 16 अगस्त 1970 में हुआ और उनका बचपन क्रिकेट और फिल्मों के ग्लैमर के बीच बीता। हिमाचल प्रदेश के लॉरेंस स्कूल से उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई। उसके बाद सैफ इंग्लैंड के निवचेस्टर कॉलेज से भी पढ़े।

क्रिकेट को क्यों नहीं बनाया करियर

सैफ के पिता क्रिकेटर थे। इसके बावजूद सैफ ने कभी क्रिकेटर बनने का क्यों नहीं सोचा? इसके बारे में सैफ ने द ग्रेट इंडिया कपिल शो-2 के एक एपीसोड में बात की थी। सैफ का कहना था कि उन्हें अपनी मां से एक्टिंग के जीन्स मिले। उन्होंने यह भी कहा था कि वे अपने पिता की क्रिकेट की विरासत का सम्मान करते हैं, लेकिन उनकी मां शर्मिला टैगोर की जिस तरह से सिनेमा पर छाप थी, उसने उन्हें एक्टिंग की तरफ खींचा। इससे पहले भी सैफ ने एक बार कहा था कि उन्होंने क्रिकेट इसलिए नहीं चुना, क्योंकि उन्हें लगता था कि वो अपने पिता की तरह नहीं खेल पाएंगे।

Facts About Saif Ali Khan

उतार-चढ़ाव भरी रही ‘रील’ लाइफ

जहां तक सैफ के फिल्मी करियर की बात है, तो वो उतार-चढ़ाव भरा रहा है। साल 1993 में उन्होंने ‘परंपरा’ फिल्म की थी, लेकिन फिल्म कुछ खास नहीं चली। उसके बाद उन्हें कई फ्लॉप फिल्मों का सामना करना पड़ा। ‘आशिक आवारा’ में उनके अभिनय को तारीफ मिलनी शुरु हुई, लेकिन अभिनेता के रूप में उनकी योग्यता पर भी सवाल उठे। नब्बे के दशक में उन्होंने रोमांटिक फिल्में कीं। इसके बाद 2000 में वो कॉमेडी करते दिखे। साल 2006 में आई ‘ओमकारा’ के जरूर उन्हें गंभीर एक्टरों की फेहरिस्त में शामिल किया। फिर ‘हैपी एंडिंग’ और ‘हमशक्ल’ जैसी फिल्मों के लिए उनकी आलोचना हुई। ‘रंगून’ फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर दम न दिखा पाई, लेकिन इसमें सैफ के अभिनय को सराहा गया। कुछ देर के लिए सैफ ने फिल्मों से दूरी भी बनाई। अब ‘गो गोवा गॉन 2’, ‘रेस 4’, ‘शूटआउट एट भायखला’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘देवरा पार्ट 2’, ‘स्पिरिट’ और ‘क्लिक शंकर’ जैसी फिल्में सैफ के पास हैं, जो आने वाली हैं।

निजी ज़िंदगी के कारण भी चर्चा में

सैफ की निजी जिंदगी भी कई कारणों से चर्चा में रही। साल 1991 में सैफ ने अपने से 12 साल बड़ी अमृता सिंह से शादी की थी। यह शादी खूब चर्चा में रही। 13 साल बाद 2004 में दोनों में तलाक हो गया। इसके बाद 2012 में सैफ ने बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर के शादी की, जो उनसे 10 साल छोटी थीं। यह शादी भी काफी चर्चा में रही। उसके बाद बेटे का नाम तैमूर रखने पर भी खासा विवाद हुआ। कुछ लोगों ने यह कहकर नाम का विरोध किया था कि यह नाम विदेशी हमलावर का है। हालांकि सैफ ने इस पर सफाई दी थी कि उन्होंने नाम के ऐतिहासिक महत्व के बारे में नहीं सोचा था।

saif ali khan and kareena kapoor khan

सैफ का खानदान

सैफ के पिता मंसूर अली खान ने 1960 के दशक में भारतीय क्रिकेट की कमान संभाली थी और भारत के लिए 47 टेस्ट मैच खेले। इनमें से 40 टेस्ट मैचों में उन्होंने भारत के लिए कप्तानी की। जब वे 21 साल के थे, तब उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था। सैफ के दादा इफ़्तिखार अली खान भी देश की आजादी से पहले भारतीय टेस्ट टीम के मैंबर थे। पाकिस्तान क्रिक्ट बोर्ड के पूर्व चेयरमैन शहरयार खान भी सैफ के रिश्तेदारों में शामिल थे।

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