दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए वोटिंग जारी है। वोटिंग के साथ ही चुनावी एक्सपर्ट अलग-अलग सीटों पर अपना मत रख रहे हैं। लेकिन वोटरों की संख्या और चुनावी आंकड़ों को देखकर यह साफ है कि इस बार की दिल्ली विधानसभा की राजनीति में कुछ नया हो सकता है। अब लोग 2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों से यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार के चुनाव में किस पार्टी का दबदबा रहेगा। खास तौर पर, 2020 में जिन सीटों पर ज्यादा वोटिंग हुई थी, वहीं पर इस बार भी मुख्य मुकाबला होगा। आइये जानते हैं उन 15 सीटों के बारे में जहां वोटिंग सबसे ज्यादा हुई थी और अगर यहां कोई बड़ा बदलाव होता है तो दिल्ली चुनाव का गणित कैसे बदल सकता है।
दिल्ली की 15 अहम सीटें, जिन पर मुकाबला होगा तगड़ा
दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 15 ऐसी सीटें हैं, जो 2020 के चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में आईं थीं। इन सीटों में से 12 पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था और तीन सीटें बीजेपी ने जीती थीं। इस बार इन सीटों पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच जंग काफी कड़ी मानी जा रही है, क्योंकि कांग्रेस भी इन सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही है। इस बार कांग्रेस के पास कई बड़े और रसूखदार उम्मीदवार हैं जो मुकाबले में उतरे हैं। साथ ही, एआईएमआईएम भी मैदान में है और इस चुनाव को एक नए मोड़ की ओर ले जा रही है।
मुस्लिम वोटरों का अहम रोल
दिल्ली में मुस्लिम वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है और यहां के चुनावी गणित में इनकी भूमिका अहम हो सकती है। दिल्ली में 12 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स की तादात बहुत ज्यादा है। इनमें प्रमुख सीटें जैसे सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और ओखला शामिल हैं। इन सीटों पर पिछले कई चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, और इस बार भी यह सीटें काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। अगर इस बार इन सीटों पर वोटों का बंटवारा हुआ तो इसका असर पूरे चुनाव पर पड़ सकता है।
10 से 40 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली सीटें
इसके अलावा दिल्ली की 18 सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुस्लिम आबादी 10 से 40 फीसदी के बीच मानी जाती है। इन सीटों में बाबरपुर, गांधीनगर, सीमापुरी, चांदनी चौक, सदर बाजार, किराड़ी, जंगपुरा और करावल नगर जैसी सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का असर बहुत ज्यादा हो सकता है। अगर इस बार इन क्षेत्रों में वोटों का रुझान किसी खास पार्टी की तरफ गया, तो दिल्ली के चुनावी आंकड़े एकदम बदल सकते हैं।
आम आदमी पार्टी की मजबूत पकड़, लेकिन बीजेपी ने भी बनाई रणनीति
पिछले चुनावों की बात करें तो आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली विधानसभा की कई सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार बीजेपी ने भी अपनी रणनीति में कई बदलाव किए हैं। बीजेपी की कोशिश है कि वह अपनी जड़ें मजबूत करे, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
इसके अलावा, कांग्रेस की पार्टी ने भी उन सीटों पर चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंकी है, जहां पिछले चुनावों में वह पीछे रह गई थी। इस बार कांग्रेस के पास कुछ मजबूत चेहरे हैं जो मुकाबले को दिलचस्प बना सकते हैं। कांग्रेस की यह कोशिश होगी कि वह अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाए, खासकर उन सीटों पर जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
इन सीटों पर निर्णायक हो सकता है मुस्लिम वोट
सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और ओखला जैसी सीटें मुस्लिम वोटर्स के लिए अहम मानी जाती हैं। इन सीटों पर पिछले चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। अगर इस बार इन सीटों पर वोटरों का रुझान बदलता है, तो इसका सीधा असर पूरे चुनाव पर पड़ेगा। इन सीटों पर अगर किसी पार्टी को बहुमत मिलता है, तो वह दिल्ली विधानसभा के चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है। दिल्ली की राजनीति में मुस्लिम वोटर्स का काफी महत्व है, और यह कहा जा सकता है कि इन वोटर्स के रुझान से ही दिल्ली के चुनावी परिणाम तय होंगे। इस बार इन सीटों पर कड़ी टक्कर की उम्मीद है, और यहां के परिणाम पार्टी की जीत-हार में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
भाजपा, आप और कांग्रेस: सभी की रणनीति और चुनावी गणित
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच ही नजर आ रहा है, लेकिन कांग्रेस ने भी अपनी ताकत झोंकी है। कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह अपनी पुरानी हार को पार करते हुए दिल्ली की राजनीति में अपना दबदबा बना सके। इन 15 अहम सीटों पर बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की धड़कन तेज हो सकती है। अगर इन सीटों पर कोई पार्टी जीत हासिल करती है, तो इसका असर पूरे चुनावी नतीजों पर पड़ेगा। इस बार मुस्लिम वोटर्स की भूमिका अहम हो सकती है, और इन सीटों के नतीजों से दिल्ली विधानसभा चुनाव का पूरा गणित बदल सकता है।
ये भी पढ़ें:दिल्ली चुनाव 2025: वो हॉट सीटें जहां मुकाबला है तगड़ा , जानें किसके बीच होगी कांटे की टक्कर?