जब आतंकी हमलों की बात आती है, तो हमारा ध्यान सीधे पाकिस्तान, अफगानिस्तान या गाजा की ओर जाता है। लेकिन, वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) की नई रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी हमलों में सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीका के सलेह इलाके में हो रही हैं।
सलेह इलाके में क्यों हो रही हैं इतनी मौतें?
जीटीआई रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में आतंकी हमलों की वजह से एक साल में 7,555 लोग मारे गए। इनमें से 3,885 लोग सलेह इलाके के थे। यानी, दुनिया भर में आतंकी हमलों में मरने वालों में से 50% से ज्यादा लोग सलेह इलाके के हैं। सलेह अफ्रीका में स्थित है और इसमें 10 देश शामिल हैं: बुर्किना फासो, माली, नाइजर, कैमरून, गिनी, गाम्बिया, सेनेगल, नाइजीरिया, चाड और मॉरिटानिया। यह इलाका आंतरिक संघर्षों और चरमपंथी गतिविधियों की वजह से चर्चा में है।
सलेह इलाके में हिंसा की वजह
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सलेह इलाके के अधिकांश देश आंतरिक संघर्षों में उलझे हुए हैं। माली और नाइजीरिया में सत्ता के खिलाफ लगातार संघर्ष हो रहे हैं। माली में वैगनर ग्रुप 2023 से ही चरमपंथ को बढ़ावा देने में जुटा है। इसी तरह, गिनी और अन्य देशों में भी आंतरिक संघर्ष जारी है। इस इलाके में शरिया कानून को लागू करने को लेकर भी संघर्ष चल रहा है। सलेह को ‘तख्तापलट बेल्ट’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां पिछले कुछ सालों में 6 तख्तापलट की घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें माली में दो, बुर्किना फासो में दो, और गिनी और नाइजर में एक-एक तख्तापलट शामिल हैं।
बुर्किना फासो में सबसे ज्यादा मौतें
देशों की बात करें तो सलेह इलाके के बुर्किना फासो में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। यहां करीब 1,500 आम नागरिक आतंकी हमलों की वजह से मारे गए। बुर्किना फासो के बाद पाकिस्तान और सीरिया का नंबर आता है।
भारत की स्थिति
जीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, आतंक के खतरे वाले शहरों की सूची में भारत का स्थान 14वां है। भारत में भी चरमपंथी हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं।
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