सूरत में ‘जल संचय’ के लिए महाअभियान, जुटेंगे कई राज्यों के मुख्यमंत्री

सूरत: एक कविता है, “जल ही जीवन, जल ही जान, जल के बिना दुनिया वीरान! इसके बिना ना वन-उपवन, उगेगा ना खेतों में अन्न! जल ही अमृत, जल ही प्राण” सरल शब्दों में कहे तो जल यानी पानी जीवन है, उसे बचाएं। यदि जल बचेगा तो जीवन बचेगा, इसलिए जल संरक्षण हम सबका दायित्व है।

 

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, केंद्र की मोदी सरकार ने पानी बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण अभियानों की शुरुआत की है। 13 अक्टूबर को गुजरात के सूरत में जल संचयन के तहत एक  महाअभियान का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में जल शक्ति मंत्रालय इस महाअभियान को सशक्त बनाने के लिए तत्पर है। इस विशेष कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटील, साथ ही गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल भी उपस्थित रहेंगे। यह कार्यक्रम जल संरक्षण की दिशा में एक नई क्रांति की शुरुआत करेगा।

कई वरिष्ठ बीजेपी नेता होंगे शामिल होंगे

इस महाअभियान का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटील और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेंगे।

इस कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम चरण में हैं, और कई वरिष्ठ बीजेपी नेता भी इसमें शामिल होंगे। इस महाअभियान का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण पर जन जागरूकता फैलाना और जल संकट के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।

 

‘समग्र समाज और समग्र सरकार’

प्रधानमंत्री मोदी ने सूरत से ‘जल संचय, जनभागीदारी’ पहल की शुरुआत की है, जिसका लक्ष्य है गुजरात में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण करना। यह पहल ‘समग्र समाज और समग्र सरकार’ दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें सभी नागरिकों और सरकारी संगठनों को एक साथ मिलकर कार्य करने की प्रेरणा दी जा रही है।

भारत में जल संकट की स्थिति

भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यहां की 18% जनसंख्या केवल 4% जल संसाधनों पर निर्भर है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, 700 में से 256 जिलों में भूजल स्तर ‘गंभीर’ या ‘अत्यधिक दोहन’ की स्थिति में है। इस स्थिति को सुधारने के लिए जल संरक्षण की पहल की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

जल संरक्षण के लिए सरकार की योजनाएं

राष्ट्रीय जल मिशन: इसका उद्देश्य जल संरक्षण और पानी की बर्बादी को कम करना है। इसके साथ ही, जल का समान वितरण सुनिश्चित करना और जल संसाधनों के सतत विकास को बढ़ावा देना है।

जल जीवन मिशन: 2019 में शुरू किए गए इस मिशन का मुख्य उद्देश्य 2024 तक सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में पाइप से जल सप्लाई करना है।

अटल भूजल योजना: 2019 में शुरू की गई यह योजना सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है और इसका उद्देश्य भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। यह योजना विशेष रूप से हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के जल संकटग्रस्त जिलों में लागू की जा रही है। इसके अलावा भी कई योजना सरकार ने चलाई हैं।

योजना का नाम वर्ष में शुरुआत मुख्य उद्देश्य विशेषताएँ
राष्ट्रीय जल मिशन 2011 जल संरक्षण और पानी की बर्बादी को कम करना सतत जल विकास, जल का समान वितरण
जल जीवन मिशन 2019 सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में पाइप से जल सप्लाई 2024 तक सभी घरों में जल पहुँचाना
अटल भूजल योजना 2019 भूजल प्रबंधन में सुधार करना सामुदायिक भागीदारी, जल संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ध्यान
जल शक्ति अभियान 2020 जल संचय और जल संरक्षण की जागरूकता बढ़ाना जनभागीदारी को बढ़ावा, स्थानीय जल स्रोतों का संरक्षण
ग्राम पंचायत जल सुरक्षा योजना 2021 ग्रामीण क्षेत्रों में जल सुरक्षा सुनिश्चित करना जल संरक्षण तकनीकों का प्रचार, समुदाय की भागीदारी
नदियों का पुनर्जीवन अभियान 2018 नदियों के पुनर्स्थापन और जल गुणवत्ता सुधार स्वच्छता अभियान, जल निकायों की सफाई

 

सुशासन के 23 साल पूरे होने के अवसर पर हो रहा है कार्यक्रम

सूरत में आयोजित होने वाला यह जल संचय महाअभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन के 23 साल पूरे होने के अवसर पर हो रहा है। यह कार्यक्रम न केवल जल संकट के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा, बल्कि जनभागीदारी को भी प्रोत्साहित करेगा। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राज्य के हर कोने में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का संकल्प लिया था। अब यह जल संचय पहल एक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है, जिससे पूरे देश में जल संरक्षण का एक विशेष संदेश जाएगा।

इस कार्यक्रम के माध्यम से उम्मीद जताई जा रही है कि जल संचय की दिशा में एक ठोस कदम उठाया जाएगा, जिससे जल संकट की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।

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