Gujarat High Court

भगवद गीता की शिक्षा पर गुजरात हाई कोर्ट का बड़ा बयान: “यह नैतिक है, धार्मिक नहीं”

Gujarat High Court: गुजरात सरकार ने साल 2022 में ऐलान किया था कि स्कूलों में श्रीमद्भागवत गीता पढ़ाई जाएगी इसी मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि भगवद गीता की शिक्षाएं मूल रूप से नैतिक हैं, न कि धार्मिक। यह बात कोर्ट ने स्कूलों में गीता पढ़ाने के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कही।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, गुजरात सरकार ने 2022 में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि राज्य के स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को भगवद गीता पढ़ाई जाएगी। सरकार का कहना था कि इससे बच्चों में अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्यों का विकास होगा। लेकिन इस फैसले का कुछ संगठनों ने विरोध किया और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।

जमीयत उलमा-ए-हिंद गुजरात और जमीयत उलमा वेलफेयर ट्रस्ट ने इस प्रस्ताव के खिलाफ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। उनका कहना था कि स्कूलों में सिर्फ एक धर्म की किताब पढ़ाना गलत है। उन्होंने तर्क दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक, स्कूलों में सभी धर्मों की अच्छी बातें पढ़ाई जानी चाहिए, न कि सिर्फ एक धर्म की।

कोर्ट ने क्या कहा?

गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि भगवद गीता कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक शिक्षा की किताब है।

कोर्ट ने कहा, “भगवद गीता में कोई धार्मिक उपदेश नहीं है। ‘कर्म करो, फल की चिंता मत करो’ – यह एक बुनियादी नैतिक सिद्धांत है। गीता सिर्फ नैतिक विज्ञान है, इसमें कोई धार्मिक शिक्षा नहीं है।”

न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि गीता की शिक्षाएं हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि यह किसी एक धर्म की बात नहीं करती, बल्कि सभी के लिए अच्छी सीख देती है।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक, स्कूलों में सभी धर्मों की अच्छी बातें पढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक धर्म की किताब पढ़ाना गलत है। वकील ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा है कि शिक्षा में सभी धर्मों के अच्छे मूल्य शामिल होने चाहिए।

लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि गीता पढ़ाना किसी धर्म को बढ़ावा देना नहीं है। यह तो बस अच्छी बातें सिखाना है, जो सभी के लिए फायदेमंद हैं।

कोर्ट ने इस मामले को अगले महीने के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर और विस्तार से सुनवाई करेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।