Uniform Civil Code Gujarat

क्या गुजरात में भी लागू होगा UCC? आज दोपहर 12:15 बजे सीएम पटेल करेंगे प्रेस कांफ्रेंस

Uniform Civil Code Gujarat: गुजरात में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की तैयारियों के संबंध में आज दोपहर 12:15 बजे एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल करेंगे, जिसमें गृह मंत्री हर्षभाई संघवी भी उपस्थित रहेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, मुख्यमंत्री और गृह मंत्री राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में की जा रही तैयारियों और आगामी कदमों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस विषय पर सरकार की नीतियों, योजनाओं और संभावित समयसीमा के बारे में विस्तृत विवरण साझा करेंगे।

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता का मतलब एक ऐसे कानून से है, जो भारत के सभी नागरिकों पर एक समान रूप से लागू होता है। इसमें विवाह, तलाक, संपत्ति का बंटवारा, गोद लेना और विरासत से जुड़े नियम शामिल होते हैं। यह संहिता धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करती, यानी हर व्यक्ति के लिए नियम एक जैसे होते हैं।

गोवा बना पहला राज्य 

गोवा भारत का पहला एकमात्र राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। यहां सभी नागरिकों के लिए एक जैसा पारिवारिक कानून है। 1954 का विशेष विवाह अधिनियम लोगों को किसी भी धर्म के व्यक्तिगत कानून से अलग जाकर शादी करने की अनुमति देता है।

UCC का इतिहास 

1840 में, ब्रिटिश सरकार ने लेक्स लोकी की रिपोर्ट के आधार पर अपराधों, सबूतों और अनुबंधों के लिए एक समान कानून बनाया। लेकिन उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को जानबूझकर अलग रखा।

ब्रिटिश भारत की न्यायपालिका में ब्रिटिश न्यायाधीशों को हिंदू, मुस्लिम और अंग्रेजी कानूनों को लागू करने का अधिकार दिया गया। उस समय समाज सुधारक, खासतौर पर महिलाएँ, धार्मिक रीति-रिवाजों से जुड़े भेदभाव, जैसे सती प्रथा, के खिलाफ कानून बनाने की माँग कर रही थीं।

जब संविधान सभा बनी, तो उसमें दो तरह के लोग थे—एक तरफ वे जो समान नागरिक संहिता (UCC) लाकर समाज में सुधार करना चाहते थे, जैसे डॉ. बी. आर. अंबेडकर। दूसरी तरफ, कुछ मुस्लिम प्रतिनिधि थे, जो अपने व्यक्तिगत कानून बनाए रखना चाहते थे।

संविधान सभा में समान नागरिक संहिता के समर्थन में आवाज उठी, लेकिन अल्पसंख्यक समुदायों ने इसका विरोध किया। नतीजतन, इसे लागू करने की बजाय, अनुच्छेद 44 के तहत केवल एक सुझाव के रूप में शामिल किया गया। इसमें लिखा गया कि “राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा।”

चूँकि इसे “राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत” (DPSP) में रखा गया, इसलिए इसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती, और न ही इसे सीधे लागू किया गया। इसी वजह से, अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठ पाया है।

क्या कहता है आर्टिकल 25 

अनुच्छेद 25 हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है। इसलिए, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को जबरदस्ती किसी पर नहीं थोपा जा सकता, क्योंकि ऐसा करना संविधान के इस अनुच्छेद का उल्लंघन होगा।

इसका मतलब यह नहीं है कि UCC और पर्सनल लॉ एक साथ नहीं चल सकते। दरअसल, UCC सभी व्यक्तिगत कानूनों के आधुनिक और प्रगतिशील पहलुओं को शामिल करने की कोशिश है, जिससे समाज में समानता और न्याय बना रहे।

उत्तराखंड में UCC 

उत्तराखंड कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता (UCC) के अंतिम मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसे मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया। यह कानून राज्य में सभी समुदायों के लिए समान नियम लागू करने का प्रस्ताव रखता है।

इस मसौदे को एक समिति ने तैयार किया था, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल शामिल थे। रिपोर्ट 740 से ज्यादा पन्नों और चार खंडों में तैयार की गई है।

यूसीसी विधेयक 2024 में कई अहम बदलावों का प्रस्ताव है। इसमें बाल विवाह और बहुविवाह पर पूरी तरह रोक लगाने की बात कही गई है। इसके अलावा, बेटा-बेटी को संपत्ति में बराबर का हक, वैध और नाजायज बच्चों के बीच भेदभाव खत्म करना, मृत्यु के बाद संपत्ति के समान अधिकार, और गोद लिए गए व जैविक बच्चों को समान दर्जा देने जैसे प्रावधान भी शामिल हैं।

 

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