Guru Gobind Singh Jayanti: गुरु गोबिंद सिंह जयंती वह शुभ दिन है जब सिख अपने 10वें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह का जन्मदिन मनाते हैं। यह दिन या तो जनवरी या दिसंबर के महीने में मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु गोबिंद सिंह की जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) आज 6 जनवरी 2025, दिन सोमवार को मनाई जा रही है।
प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं इस दिन को
इस दिन को प्रकाश पर्व (Prakash Parv 2025) के रूप में भी मनाया जाता है। बता दें कि सिख धर्म के दो प्रमुख गुरुओं, गुरु नानक देव और गुरु गोबिंद सिंह के जन्म दिवस को विशेष रूप से प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। सिख समुदाय द्वारा इस दिन को पंजाब सहित पुरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लोग समृद्धि और भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन गुरवाणी का पाठ किया जाता है।
कब हुआ था गुरु गोबिंद सिंह का जन्म?
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म (Guru Gobind Singh Birth Date) 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह ने मात्र दस वर्ष की आयु में गुरु की गद्दी संभाल ली थी। वो सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, यह तिथि हर साल बदलती रहती है। इसलिए गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती कभी अंग्रेजी कैलेंडर के दिसंबर तो कभी जनवरी माह में मनाया जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ा इतिहास
प्रारंभिक जीवन- 22 दिसंबर, 1666 को (नानकशाही कैलेंडर के अनुसार) बिहार के पटना साहिब में जन्म हुआ। 10 साल की उम्र में, वह अपने पिता, गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद उनके उत्तराधिकारी बने।
खालसा का गठन- 1699 में खालसा की स्थापना की, जो समानता, साहस और सेवा को समर्पित एक संस्था थी। खालसा दीक्षा संस्कार के दौरान, पंज प्यारे का विचार स्थापित किया गया था।
शिक्षाएँ- समानता, न्याय और एकीकृत, सर्वशक्तिमान ईश्वर के मूल्यों को बढ़ावा दिया। सिख पहचान (guru gobind singh jayanti wishes)
के केंद्र में आस्था के पांच ‘के’ का परिचय दिया गया।
विरासत- मानव गुरुओं के अंत और गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म के शाश्वत गुरु के रूप में स्थापित करने की घोषणा की। गुरु गोबिंद सिंह 1708 में ज्योति ज्योत समा गए।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महत्व
गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh Jayanti Significance) को मुगल शासकों के खिलाफ लड़ने और आक्रमणकारियों से लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए जाना जाता है। वह एक परोपकारी व्यक्ति थे जिन्होंने सभी के लिए न्याय, शांति और समानता का उपदेश दिया। उन्होंने एक संत का जीवन जीया। उनके सख्त सिद्धांत थे, जिनका वे और उनके अनुयायी पालन करते थे और अब भी धार्मिक रूप से पालन करते हैं।
उनके बुनियादी मानदंडों में प्रचलित जाति व्यवस्था और अंधविश्वासों के प्रति बाध्य न होना शामिल था। वे एक ईश्वर में विश्वास करते थे, और वे “5 क” का पालन करते थे – कंघा (कंघी), केश (बिना कटे बाल), कचेरा (अंडरगारमेंट), कारा (कंगन), और कृपाण (तलवार)।
अपने निधन से पहले, गुरु ने सिखों से गुरु ग्रंथ को प्राथमिक पवित्र ग्रंथ मानने के लिए कहा। गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) की शिक्षाओं ने कई लोगों को प्रेरित किया। मुगलों के खिलाफ उनकी आजीवन लड़ाई ने सिख धर्म के अस्तित्व को सुनिश्चित किया।
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