अहमदाबाद (डिजिटल डेस्क) । Harsh Sanghavi : गुजराती राजनीति का एक ऐसा युवा नेता जिसने अपने दम पर गुजरात की सूरत की बदल कर रख दी। हम बात कर रहे गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी की। हर्ष संघवी का जन्म 8 जनवरी,1985 को सूरत एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। एक आम सूरती युवा से गुजरात के गृह राज्य मंत्री बनने का हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) का सफर काफी दिलचस्प है। पिता के बिजनेस से इतर प्रॉपर्टी के काम में सक्रिय हर्ष संघवी शुरुआत से ही सामाजिक मुद्दों को उठाते रहते थे। 2005-2008 में जब सूरत को स्थायी एयर कनेक्टिीविटी देने की मांग उठ रही थी, तो हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) भी इससे जुड़े और इस मुद्दे को खूब उठाया।
यही कारण था कि हर्ष लोगों की नजरों में आने लगे और यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत होने लगी थी।
समस्याओं के लिए शुरू की राजनीति
सूरत शहर के साथ-साथ आम आदमी की समस्याओं को हर्ष संघवी ने महसूस किया। इसके साथ ही उन्हें अंदाजा हो गया था कि वह लोगों का कल्याण ऐसे नहीं कर सकते। यही कारण है कि हर्ष संघवी ने बीजेपी ज्वाइन करने का फैसला किया। हर्ष ने अपने एक पुराने मित्र की सहायता से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। जिसके बाद हर्ष ने समाज को और भी करीब से जानना शुरू कर दिया। बीजेपी ने हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) के उत्साह को देखते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा गुजरात के महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी।
इसके बाद हर्ष संघवी पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय हो गए। हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) नवसारी से पहली बार जीते सी आर पाटिल के संपर्क में भी आए। जिससे उन्हें राजनीति में थोड़ी पहचान मिलना शुरू हो गई।
श्रीनगर पहुंचकर लहराया तिरंगा
2010 में बीजेपी ने अनुराग ठाकुर को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाने के बाद 2011 में कलकत्ता से कश्मीर तक राष्ट्रीय एकता यात्रा निकालने का फैसला किया था। इस यात्रा में पार्टी के नेताओं के साथ युवा मोर्चा के पदाधिकारियों को अहम भूमिका अदा करनी थी। कश्मीर की तरफ बढ़ रही यात्रा को जम्मू में रोक लिया गया तो उस वक्त के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने पुलिस लाइन में ही तिरंगे झंडे़ को फहरा दिया, लेकिन यात्रा के स्वागत के लिए श्रीनगर पहुंचे हर्ष संघवी ने यात्रा के उद्देश्य को पूरा करते हुए श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा लहराया।
बस इसी क्षण हर्ष ने बीजेपी में एक नई पहचान बना ली। इस दौरान हर्ष संघवी को पुलिस की ज्यादती का भी शिकार होना पड़ा। इस घटना के बाद हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) केंद्रीय नेताओं की नजर में आ गए है। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) की जाबांजी पसंद आई।
2012 में उतरे चुनावी मैदान में
गुजरात बीजेपी ने 2012 के चुनाव में सूरत की मजूरा सीट से हर्ष संघवी को टिकट दी। इस सीट पर 27 साल के हर्ष संघवी ने कांग्रेस के उम्मीदवार धनपत राज जैन को 71 हजार से अधिक मतों से करारी शिकस्त दी और विधानसभा में सबसे युवा विधायक बनकर पहुंचे। यहां से हर्ष संघवी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते चले गए। हर्ष की इस कामयाबी के बाद पार्टी ने उन्हें युवा मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। 2017 में हर्ष ने मजूरा से फिर जीत दर्ज की।
36 साल में बने गृह राज्य मंत्री
साल 2021 के सितंबर में जब राज्य में बीजेपी ने नो रिपीट थ्योरी लागू की तो उस समय 36 साल के हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) को प्रदेश का गृह मंत्री बनाया गया। इसके अलावा हर्ष संघवी को खेल विभाग भी मिला। 2022 के चुनाव में हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) ने तीसरी बार मजूरा से लड़े और एकतरफा जीत हसिल की।
इस जीत का हर्ष को इनाम भी मिला। पार्टी ने जहां मंत्रियों को बदल दिया तो हर्ष संघवी अपनी कुर्सी न सिर्फ बचाने में सफल रहे बल्कि कई विभागों का स्वतंत्र प्रभार हासिल किया। हर्ष संघवी भूपेन्द्र पटेल के मंत्रिमंडल के सबसे सक्रिय मंत्री हैं। हर्ष संघवी हर साल रोजगार मेले का आयोजन करते हैं। यही कारण है कि यह युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। हर्ष संघवी हमेशा आदिवासी और पिछड़े लोगों की मदद करने में अग्रणी रहे हैं।
गृह मंत्री हर्ष संघवी के सामाजिक कार्य
गृह मंत्री हर्ष संघवी ने गुजरात के विभिन्न जिलों में छोटे और बड़े अस्पताल बनाए हैं। यह अस्पताल लोगों को सिकल सेल और एनीमिया जैसी बीमारियों से बचाता है। उन्होंने यह काम तब शुरू किया जब उनके एक दोस्त की इस बीमारी से मौत हो गई। ये अस्पताल अधिकतर आदिवासी इलाकों में बनाये जाते हैं। ये अस्पताल सोनगढ़, उच्छल और व्यारा जैसे अलग-अलग इलाकों में तैयार किए गए हैं।
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