चुनाव प्रचार करने में मोदी-शाह के मुकाबले राहुल और खरगे क्यों हैं ‘सुपर लेज़ी’ ?

इस बार के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूरी ताकत झोंक रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले एक हफ्ते में हरियाणा और कश्मीर में 10 से ज्यादा रैलियां की हैं। मोदी ने कुरुक्षेत्र में रैली की, जबकि शाह ने हरियाणा में चार और कश्मीर में छह रैलियां कीं। उनकी इस सक्रियता से बीजेपी का चुनाव प्रचार और मजबूत हो रहा है।

ये भी पढ़ें- हरियाणा की राजनीति में पुरुषों का वर्चस्व, क्या राज्य इस बार देख पाएगा महिला CM?

इसके उलट  कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे चुनावी कैंपेन में सुस्त नजर आ रहे हैं। दोनों नेताओं ने कश्मीर में केवल एक-एक रैली की है, जबकि हरियाणा में उनकी कोई रैली नहीं हुई। हाल ही में एक प्रस्तावित रैली भी आखिरी समय पर रद्द कर दी गई। इससे कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं।

हरियाणा में अभी तक इन दोनों नेताओं ने कोई रैली नहीं की है

पिछले एक हफ्ते में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कश्मीर में एक-एक रैलियां की हैं। 23 सितंबर को राहुल ने श्रीनगर में बीजेपी सरकार पर हमला बोला। तीन दिन पहले खरगे ने खौर में पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया। हालांकि, हरियाणा में अभी तक इन दोनों नेताओं ने कोई रैली नहीं की है। 23 सितंबर को खरगे की हरियाणा में रैली तय थी, लेकिन वो अचानक रद्द हो गई। चुनाव शेड्यूल के मुताबिक, खरगे की कश्मीर में अब तक दो रैलियां हुई हैं, जबकि राहुल ने अमेरिका जाने से पहले 4 सितंबर को एक रैली को संबोधित किया था। राहुल और प्रियंका गांधी का हरियाणा में जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है, कहा जा रहा है कि राहुल सिर्फ 3-4 रैलियों में हिस्सा ले सकते हैं।

क्यों सुस्त हैं कांग्रेस के नेता?

खरगे और राहुल की रैलियों में सुस्ती को रणनीतिक रूप से देखा जा रहा है। कांग्रेस स्थानीय मुद्दों और नेताओं के सहारे चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, खासकर कश्मीर में जहां पार्टी ने बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है।

चार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एक राष्ट्रीय महासचिव वहां विधायकी के लिए दौड़ रहे हैं। हरियाणा में भी कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को सक्रिय किया है, जैसे पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और रणदीप सिंह सुरजेवाला।

ये भी पढ़ें- केजरीवाल की ‘भरत’ बनी आतिशी, उस कुर्सी पर नहीं बैठीं, जिस पर बैठते थे CM

कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी भी चुनावी सुस्ती की एक वजह है। कुमारी सैलजा जैसी नेताओं की नाराजगी पार्टी की स्थिति को प्रभावित कर सकती है। सैलजा की नाराजगी को दूर किए बिना कांग्रेस हरियाणा में सक्रियता नहीं बढ़ा पा रही है।

जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार का अंतिम चरण चल रहा है, जहां 1 अक्टूबर को मतदान होगा। वहीं हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। दोनों राज्यों के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होंगे। ऐसे में बीजेपी की आक्रामकता और कांग्रेस की सुस्ती के बीच, ये चुनावी दंगल किसके पक्ष में जाएगा, यह देखने वाली बात होगी।

प्रचार करने में मोदी-शाह सुपर एक्टिव

बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में मिलकर 10 से ज्यादा रैलियां की हैं। मोदी ने कुरुक्षेत्र में रैली की, जबकि कश्मीर के डोडा और श्रीनगर में भी उन्होंने सभा की। अमित शाह ने पिछले 7 दिनों में हरियाणा में 4 रैलियों को संबोधित किया, जिसमें 23 सितंबर को टोहना और जगधारी की रैलियां शामिल हैं। कश्मीर में उन्होंने 6 रैलियां की, जैसे नौशेरा और राजौरी। इसके अलावा, शाह झारखंड और महाराष्ट्र में भी चुनावी तैयारियों का जायजा ले रहे हैं, क्योंकि इन राज्यों में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।