हेडली का खास दोस्त तहव्वुर राणा: जानिए कौन है ये शख्स जिसे भारत भेजने की तैयारी में है अमेरिका

मुंबई 26/11 हमला वो दिन है, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। ये एक ऐसा आतंकी हमला था, जिसे भारत आज तक नहीं भूला है। 2008 की उस काली रात को आतंकियों ने मुंबई के अलग-अलग इलाकों में 166 मासूम लोगों की जान ले ली थी। इस खौफनाक हमले में हजारों परिवार उजड़ गए थे। अब 15 साल बाद खबर आई है कि अमेरिका से तहव्वुर राणा नाम के उस शख्स को भारत लाया जाएगा, जिसने इस हमले की साजिश रचने में अहम भूमिका निभाई थी।

कौन है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर राणा का जन्म 12 जनवरी 1960 को पाकिस्तान के हसन अब्दल जिले में हुआ। वो पढ़ाई में होशियार था और डॉक्टरी करने के बाद पाकिस्तानी आर्मी में डॉक्टर बन गया। आर्मी में रहते हुए उसने कई युद्धों के दौरान सैनिकों का इलाज किया।हालांकि, राणा के मन में कट्टर भारत-विरोधी विचार बचपन से थे। पाकिस्तान आर्मी से रिटायर होने के बाद वह कनाडा चला गया और वहां की नागरिकता ले ली थी। कनाडा में राणा ने “फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन” नाम की एक कंपनी शुरू की, जो इमिग्रेशन और ट्रैवल से जुड़ा काम करती थी। उसका बिज़नेस कनाडा के साथ-साथ अमेरिका, शिकागो और न्यूयॉर्क में भी फैला हुआ था।

तहव्वुर राणा और हेडली की दोस्ती

तहव्वुर राणा और डेविड हेडली (जिसका असली नाम दाऊद गिलानी था) की दोस्ती पाकिस्तान के कैडेट कॉलेज, हसन अब्दल में हुई। दोनों बचपन के दोस्त थे और यही दोस्ती आगे चलकर मुंबई हमले की साजिश में बदल गई। हेडली ने बाद में अपना नाम बदलकर डेविड कोलमैन हेडली कर लिया ताकि वो आसानी से अमेरिका और भारत में घूम सके। दोनों ने मिलकर 26/11 हमले का ब्लूप्रिंट तैयार किया।

मुंबई हमले में तहव्वुर राणा का रोल

मुंबई हमले की साजिश में तहव्वुर राणा का रोल बेहद अहम था। उसने ही अपने दोस्त हेडली को मुंबई भेजा था। हेडली ने वहां कई अहम जगहों की रेकी की और उनके बारे में पूरी जानकारी लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी सेना को दी। हेडली ने शिवसेना भवन, मातोश्री, नरीमन प्वाइंट, सिद्धिविनायक मंदिर और ताज होटल जैसे कई स्थानों की रेकी की। इतना ही नहीं, शक से बचने के लिए हेडली ने खुद को हिंदू दिखाने के लिए कलावा भी पहना। तहव्वुर राणा ने अपने बिज़नेस का इस्तेमाल भी इस साजिश को अंजाम देने में किया। उसने अपनी ट्रैवल एजेंसी की एक ब्रांच मुंबई में खोली, ताकि हेडली को वहां रुकने और घूमने में कोई दिक्कत न हो।

अमेरिका में क्यों सजा काट रहा है राणा?

तहव्वुर राणा को 2011 में अमेरिकी कोर्ट ने डेनमार्क के अखबार जानस-पोस्टेन पर हमला करने की साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के आरोप में सजा सुनाई। 2013 में उसे 14 साल की सजा मिली। हालांकि, 26/11 मुंबई हमले में अब तक उसे सजा नहीं हुई है। भारत लगातार उसकी प्रत्यर्पण की मांग करता रहा और 2024 में अमेरिका ने इस पर सहमति दे दी।

कैसे हुआ 26/11 का ब्लूप्रिंट तैयार?

राणा ने 26/11 हमले की योजना बनाने में हेडली की पूरी मदद की। उसने हेडली को मुंबई भेजकर वहां के बड़े-बड़े इलाकों की रेकी करवाई। रेकी के दौरान हेडली ने कोलाबा, नरीमन हाउस, ताज होटल और दूसरे महत्वपूर्ण जगहों की तस्वीरें खींचीं और वहां की सुरक्षा व्यवस्था की पूरी जानकारी जुटाई। हेडली ने मुंबई के एक फेमस जिम में ट्रेनिंग ली, जहां उसकी मुलाकात महेश भट्ट के बेटे से हुई। उसने उसकी दोस्ती का फायदा उठाते हुए कई हाई-प्रोफाइल जगहों तक अपनी पहुंच बनाई।

भारत में क्यों लाया जा रहा है राणा?

तहव्वुर राणा को भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 2024 में भारत को इसकी अनुमति मिली थी, और अब 2025 में उसे भारत लाया जाएगा। भारत आने के बाद राणा से मुंबई हमले की साजिश, पाकिस्तान की भूमिका और दूसरे आतंकियों के नेटवर्क के बारे में पूछताछ की जाएगी।

तहव्वुर राणा और उसका नेटवर्क

तहव्वुर राणा का नेटवर्क पाकिस्तान से लेकर अमेरिका और भारत तक फैला हुआ था। वह पाकिस्तान की सेना के मेजर इकबाल के संपर्क में था, जो उसे भारत, अमेरिका और कनाडा की गोपनीय जानकारियां देता था।

भारत की उम्मीदें

राणा का भारत आना 26/11 हमले के पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारतीय एजेंसियां उससे पूछताछ कर इस हमले के और गहरे राज़ खोल सकती हैं। 26/11 मुंबई हमले का गुनहगार तहव्वुर राणा, हेडली का खास दोस्त और लश्कर-ए-तैयबा का मददगार। जानिए कैसे इसने मुंबई हमले की साजिश रची और क्यों इसे अमेरिका से भारत लाया जा रहा है।

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