Himachal Congress Govt

Himachal Congress Govt: हिमाचल प्रदेश में अचानक आई राजनैतिक आँधी के पीछे कौन? वर्तमान स्थितियों का पूरा जायज़ा…

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Himachal Congress Govt: हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव की एक सीट की हार – जीत के लिए हुए घमासान (Himachal Congress Govt) के बाद पूरे देश में राजनीति का मुद्दा स्थापित हो गया है। इसके पीछे वजह है काँग्रेस के विधायकों की क्रॉस वोटिंग। इसी क्रॉस वोटिंग के चलते काँग्रेस राज्यसभा की सीट से हाथ धो बैठी। भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप भी लगे। इस पर काँग्रेस अब कार्यवाही की मांग कर रही है। काँग्रेस कार्यवाही की मांग भाजपा और क्रॉस वोटिंग करने वाले काँग्रेस के विधायकों पर ही चाहती है।

क्रास वोटिंग करने पर कार्रवाई?

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के खिलाफ पार्टियां (Himachal Congress Govt) कार्रवाई कर सकती हैं, लेकिन यह संविधान या प्रावधानों के दायरे में नहीं होगी। ये कार्रवाई पार्टी का अंदरूनी मसला होता है। क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की सदस्यता जाने जैसा कोई प्रावधान इसमें शामिल नहीं है। इसमें काँग्रेस क्रॉस वोटिंग करने वाले खुद के विधायकों को आंतरिक कार्यवाही करते हुए सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है।

कारण से असंतुष्टि – पार्टी से निलंबन

पार्टी आलाकमान की तरफ से होने वाली कार्यवाही के तहत कारण (Himachal Congress Govt) बताओ नोटिस के विधायकों के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर पार्टी से निलंबित या बर्खास्त कर सकती है। परंतु इसमें भी पार्टी से सदस्यता जा सकती है पर किसी भी तरह से भी विधायकी या विधानसभा सदस्यता समाप्त नहीं की जा सकती। राज्यसभा, विधान परिषद और राष्ट्रपति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसद, विधायक दलबदल कानून के तहत नहीं आते हैं।

व्हिप क्यों होते हैं बेअसर

राज्यसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को सदन (Himachal Congress Govt) की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं माना जाता है। इसमें सांसद या विधायक अपनी इच्छा से वोट कर सकते हैं। संविधान के मुताबिक, राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में राजनीतिक दलों की ओर से व्हिप तो जारी किया जा सकता है, लेकिन वो बेअसर होता है। इस तरह के चुनाव में पार्टी के द्वारा व्हिप को मानना या उसके खिलाफ जाना पूरी तरह से विधायकों और सांसदों की मर्जी पर निर्भर करता है।

दलबदल कानून नहीं होता लागू

व्हिप के दायरे में राज्यसभा और विधान परिषद में क्रास वोटिंग करने (Himachal Congress Govt) के लिए नहीं लागू होता है। राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों में पार्टी लाइन के खिलाफ मतदान करने पर दलबदल कानून भी लागू नहीं होता है। हालांकि, अपने अपने विधायकों और सांसद से अपेक्षा करती है कि वे पार्टीलाइन पर ही वोट दें। ये भी दलबदल कानून के तहत नहीं आता है। इसीलिए यूपी, कर्नाटक और हिमाचल में ही नहीं, उससे पहले हुए हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग हुई थी।

पर्यवेक्षक भूपेन्द्र हुडडा और डीके शिवकुमार कांग्रेस विधायकों से करेंगे मुलाकात 

हिमाचल प्रदेश में संकट के चलते हाईकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक कांग्रेस विधायकों (Himachal Congress Govt) के बीच बैठक कर उनसे चर्चा करेंगे। पर्यवेक्षक भूपेन्द्र हुड्डा और डीके शिवकुमार कांग्रेस विधायकों से मुलाकात करेंगे। बता दें कि विधायकों ने मुख्यमंत्री बदलने की मांग की थी। राज्यसभा चुनाव में हुए राजनैतिक बदलाव से काँग्रेस को बड़ा झटका लगा है। भाजपा ने नाराज़ विधायकों को अपनी ओर कर लिया और राज्यसभा सीट हासिल कर ली। परंतु इसमें काँग्रेस आंतरिक कार्यवाही करने की तैयारी में है।

सुक्खू सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा 

इससे पहले प्रदेश में जारी उठापटक के बीच कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Himachal Congress Govt) ने सुक्खू सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर भी आरोप लगाए। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट से इस्तीफे का ऐलान किया। हालांकि, विक्रमादित्य ने पार्टी आलाकमान पर भरोसा जताया है कि वह उनकी बात सुनेंगे। इसका फैसला अभी आया नहीं है। मंत्री के बाद विधायकों की नाराजगी भी वर्तमान मुख्यमंत्री के खिलाफ खुल कर सामने आ गयी है।

विधायकों की अनदेखी का आरोप

विक्रमादित्य ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट से इस्तीफे (Himachal Congress Govt) का ऐलान किया। जिसमें उन्होंने कांग्रेस की नीतियों पर हमला बोलते हुए कहा कि, कहीं न कहीं विधायकों की अनदेखी की गई है, विधायकों की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है, जिसके कारण आज हम इस किनारे पर खड़े हैं। इन्हीं विधायकों को काँग्रेस पार्टी से तोड़ने में भाजपा सफल हो गयी और राज्यसभा में अपना कैंडिडैट जिताने में भी सफलता हासिल कर ली।

एक मंत्री के तौर पर मुझे अपमानित करने की कोशिश

विक्रमादित्य ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री सुक्खू की कार्यशैली पर निशाना (Himachal Congress Govt) साधा और कहा, ”मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि एक मंत्री के तौर पर मुझे अपमानित करने की कोशिश की गई है, जिस तरह के संदेश विभाग में भेजे जा रहे हैं, उससे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। हम सबके सामूहिक प्रयास से सरकार बनी। मैं किसी दबाव में नहीं आने वाला। अपनी बात रखते हुए विक्रमादित्य ने काँग्रेस में आंतरिक कलह की बात भी कही, जिसका प्रत्यक्ष उधारण राज्यसभा में देखा गया।

कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक के बीच बीजेपी भी आक्रामक

बता दें कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के बागी विधायकों (Himachal Congress Govt) ने क्रॉस वोटिंग की थी। एक तरफ कांग्रेस की अंदरूनी कलह के बीच बीजेपी भी आक्रामक हो गई है। बीजेपी विधायकों ने विधानसभा में जमकर प्रदर्शन किया। एक समय तो पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और मार्शल के बीच लड़ाई हो गई थी। अभी भी लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी रणनीति के तहत ही कार्य करने में लगी हुई है। भाजपा दावा है कि सुक्खु सरकार के कई विधायकों से अंदरूनी तौर पर संपर्क में है।

भाजपा ने कैसे किया इतना बड़ा खेल?

भाजपा अपनी रणनीति (Himachal Congress Govt) को लेकर हमेशा चर्चाओं में रही है। हालांकि कई तरह के आरोप भी भाजपा पर हमेशा लगते आए हैं। कई बार अलग अलग राज्यों में सरकार बनाने और गिराने का जिम्मा कभी भाजपा ने लिया तो कभी इस तरह की स्थितियों के लिए विपक्षी पार्टियों ने भाजपा को जिम्मेदार बताया। यहाँ तक कि हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप भी भाजपा पर लगते आए हैं। राजनैतिक जानकारों और विद्वानों की मानें तो भाजपा राजनीति के लूप हॉल जानती है। उसी पर हमेशा अपनी विवेचना और कार्यवाही बैठाती है।

भाजपा का दावा, कई विधायक संपर्क में

विपक्षी पार्टियों के नाराज़ नेताओं पर हमेशा नज़र, उनसे संपर्क और भाजपा में शामिल करने के सारे तौर तरीके भाजपा के दिग्गज जाते हैं। पिछले कई समय से काँग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के बड़े नेता भाजपा का रुख कर चुके हैं। इसकी एक वजह काँग्रेस के नेताओं की काँग्रेस के आलाकमान से दूरियाँ भी बताई जाती है जिसका फाइदा हमेशा भाजपा उठा लेती है। हिमाचल प्रदेश इसका ताज़ा और जीवंत उदाहरण है।

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