Hindu Nav Varsh 2025: हिंदू नववर्ष, जिसे विक्रम संवत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू चंद्र कैलेंडर में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। इसे पूरे भारत में, खासकर उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के विपरीत, जो 1 जनवरी से शुरू होता है, हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh 2025) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो चैत्र (मार्च-अप्रैल) के महीने में बढ़ते चंद्रमा का पहला दिन होता है। इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है और इसे नवीनीकरण, समृद्धि और भक्ति से जोड़ा जाता है।
हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh 2025) या विक्रम संवत भारतीय परंपरा, इतिहास और आध्यात्मिकता में गहराई से निहित है। यह नवीनीकरण, बुराई पर जीत और जीवन के एक नए चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। चाहे धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक उत्सवों या सामुदायिक समारोहों के माध्यम से, यह दिन हिंदुओं को उनकी समृद्ध विरासत और आने वाले समृद्ध वर्ष के लिए ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने के महत्व की याद दिलाता है। इस वर्ष हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत 30 मार्च को होगी। इस वर्ष हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 होगा।
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 10:05 बजे, 29 मार्च 2025
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 08:30 बजे, 30 मार्च 2025
इसे विक्रम संवत क्यों कहा जाता है?
उज्जैन के एक महान शासक राजा विक्रमादित्य के नाम पर हिंदू नववर्ष का नाम विक्रम संवत रखा गया है। ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, राजा विक्रमादित्य ने शकों को हराने और अपने राज्य को मुक्त करने के बाद 57 ईसा पूर्व में इस कैलेंडर की स्थापना की थी। विक्रम संवत (Vikram Samvat) एक चंद्र-सौर कैलेंडर है, जिसका अर्थ है कि यह चंद्रमा और सूर्य दोनों की स्थिति को ध्यान में रखता है, जो इसे विशुद्ध रूप से सौर या चंद्र कैलेंडर से अलग बनाता है।
हिंदू नववर्ष का महत्व
हिंदू नव वर्ष (Hindu Nav Varsh Significance) न केवल एक नए कैलेंडर चक्र की शुरुआत है, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का भी दिन है:
ज्योतिषीय महत्व: नया साल तब शुरू होता है जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जो नई शुरुआत और सकारात्मक परिवर्तनों का प्रतीक है।
धार्मिक अनुष्ठान: यह दिन चैत्र नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है, जिसके दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
फसल उत्सव: इसे फसल के मौसम की शुरुआत भी माना जाता है, जो इसे किसानों के लिए समृद्धि का समय बनाता है।
पौराणिक संदर्भ: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह दिन है जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया और समय की स्थापना की।
परंपराएँ और उत्सव
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदू नववर्ष को विभिन्न नामों और रीति-रिवाजों (Hindu Nav Varsh Rituals) के तहत मनाया जाता है:
गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र) – गुड़ी नामक एक सजाया हुआ झंडा फहराकर मनाया जाता है।
उगादी (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक) – विशेष प्रार्थनाएँ और पारंपरिक दावतें तैयार की जाती हैं।
नवरेह (कश्मीर) – परिवार अपने दिन की शुरुआत चावल, फूल और एक पवित्र पुस्तक से भरी पवित्र थाली देखकर करते हैं।
चेटी चंद (सिंधी समुदाय) – सिंधी लोगों के देवता झूलेलाल की जयंती का सम्मान करते हुए।
पुथंडू (तमिलनाडु) – तमिल लोग मंगई पचड़ी नामक एक विशेष व्यंजन तैयार करते हैं, जो जीवन के विभिन्न स्वादों का प्रतीक है।
हिन्दू नववर्ष के अनुष्ठान
इस दिन लोग देवताओं से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते हैं। लोग जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करते हैं। इस खुशी के अवसर पर विशेष मिठाइयां और व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दिन कई लोग आने वाले वर्ष के लिए मार्गदर्शन के लिए ज्योतिषियों से सलाह लेते हैं।
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