Hola Mohalla 2024: होली के बाद पंजाब में मनाया जायेगा ये पर्व, गुरु गोविन्द सिंह ने की थी इसकी शुरुआत
Hola Mohalla 2024: लखनऊ। होला मोहल्ला एक त्योहार है जिसे सिख समुदाय द्वारा, विशेष रूप से पंजाब, में, हिंदू त्योहार होली के बाद तीन दिनों तक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत 17वीं शताब्दी में दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा किया गया था। इस वर्ष होला मोहल्ला (Hola Mohalla 2024) उत्सव मार्च 25 से शुरू होकर मार्च 27 तक मनाया जायेगा।
यह फेस्टिवल (Hola Mohalla 2024) मुख्य रूप से पंजाब के आनंदपुर साहिब में होता है, जो दुनिया भर से हजारों भक्तों और दर्शकों को आकर्षित करता है। इसमें भाग लेने वाले लोग मार्शल आर्ट जैसे गतका, घुड़सवारी और तीरंदाजी का प्रदर्शन करते हैं, साथ ही लंगर के माध्यम से सामुदायिक सेवा की भावना भी प्रदर्शित करते हैं। होला मोहल्ला न केवल शारीरिक कौशल का प्रदर्शन है बल्कि सिख मूल्यों और विरासत को भी दिखाता है।
जानें कैसे मनाया जाता है यह त्यौहार
त्योहार की शुरुआत गुरुद्वारों में सुबह-सुबह प्रार्थना और भजन के साथ होती है। सिख नगर कीर्तन जुलूस में शामिल होते हैं, और यह देखने लायक दृश्य होता है। दूसरे दिन मार्शल आर्ट (Hola Mohalla 2024) का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें गतका (एक पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट), तलवार की लड़ाई और नकली लड़ाई शामिल है। पारंपरिक पोशाक पहने प्रतिभागी अपने कौशल और चपलता का प्रदर्शन करते हैं। इस दिन कुश्ती, तीरंदाजी और घुड़सवारी जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएं भी शामिल होती हैं।
होला मोहल्ला (Hola Mohalla 2024) के अंतिम दिन, सिख, महान सिख योद्धाओं की वीरता को याद करके अपनी श्रद्धांजलि देते हैं। यह दिन अक्सर एक भव्य लंगर के साथ समाप्त होता है।
होला मोहल्ला त्यौहार का महत्व
होला मोहल्ला (Hola Mohalla 2024) केवल एक उत्सव नहीं है बल्कि यह सिख समुदाय की वीरता, आध्यात्मिकता और एकता को प्रदर्शित करता है। 17वीं शताब्दी में गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा सिख सैन्य तैयारियों और आध्यात्मिकता को मजबूत करने के दिन के रूप में स्थापित, यह मार्शल कौशल, बहादुरी और धर्म की रक्षा पर जोर देता है।
यह त्यौहार सिख संस्कृति की एक जीवंत झलक दिखाता है। इसमें संगीत, कविता और लंगर का आयोजन किया जाता है। होला मोहल्ला (Hola Mohalla 2024) शारीरिक शक्ति, नैतिक अखंडता और आध्यात्मिक विकास के महत्व के बारे में गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाओं को आगे बढ़ाता है। यह दुनिया भर के सिखों को एक साथ लाता है और समुदाय, एकजुटता और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है। होला मोहल्ला के उत्सव के माध्यम से, सिख समुदाय गुरु गोबिंद सिंह के आदर्शों, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जिससे यह सिख पहचान और विरासत की आधारशिला बन जाता है।
यह भी पढें: World Tuberculosis Day 2024: जानें इस वर्ष का थीम, इस दिन का इतिहास और महत्व