गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात में तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए की समीक्षा बैठक, सीएम भूपेंद्र पटेल भी मौजूद

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल के साथ मिलकर राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की है। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जो पूरे राज्य में कानून व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। बता दें कि इस बैठक में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेन्सिक के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई है।

नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन 30 अप्रैल तक होगा पूरा

बता दें कि इस दौरान गुजरात सरकार से यह उम्मीद की गई है कि वह 30 अप्रैल 2025 तक सभी कमिश्नरेट में नए आपराधिक कानूनों का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने बैठक के दौरान गुजरात सरकार द्वारा अब तक किए गए प्रयासों की सराहना की और इस प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में कई सुझाव दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि इस काम की नियमित मॉनिटरिंग के लिए मासिक, पाक्षिक और साप्ताहिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएं।

10 साल से ऊपर की सजा वाले मामलों में समय पर चार्जशीट दाखिल करने का रिकॉर्ड

गृहमंत्री अमित शाह ने गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य ने 10 साल से अधिक सजा वाले मामलों में 92 प्रतिशत से अधिक चार्जशीट समय पर दाखिल करने का सराहनीय काम किया है। उन्होंने कहा कि अब बाकी मामलों में इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कोर्ट से अनुमति लेने के प्रावधान को सुचारू रूप से लागू करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने Zero FIR को शत-प्रतिशत FIR में बदलने की गुजरात सरकार की पहल को भी एक अहम कदम बताया है।

इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जोर

केंद्रीय गृह मंत्री ने बैठक में यह भी कहा कि नए आपराधिक कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधान को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य विभाग को अस्पतालों के साथ मिलकर पोस्टमार्टम और अन्य मेडिकल रिपोर्ट्स को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जेलों, सरकारी अस्पतालों, बैंकों और फॉरेन्सिक लैबोरेट्रीज में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था को लागू करने की बात कही है। जिससे न्यायिक प्रक्रिया को तेज किया जा सके। गुजरात में प्रत्येक न्यायालय के लिए जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग क्यूबिकल बनाने की दिशा में भी काम किया जाएगा, जिससे साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक हो सके।

FIR ट्रांसफर और नेटवर्क कनेक्टिविटी की बढ़ी हुई स्पीड पर चर्चा 

वहीं अमित शाह ने पुलिस थानों के लिए एक नए प्रावधान की बात कही है। जिसमें CCTNS (Crime and Criminal Tracking Network & Systems) के जरिए दो राज्यों के बीच FIR का ट्रांसफर संभव हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात को CCTNS 2.0 को अपनाना चाहिए। इसके अलावा अमित शाह ने पुलिस थानों की नेटवर्क कनेक्टिविटी की स्पीड को 30 Mbps से ज्यादा करने की आवश्यकता जताई है, जिससे पुलिस अधिकारियों को अपने काम में कोई रुकावट न हो।

 मॉब लिंचिंग के मामलों में सख्ती की जरूरत

गृह मंत्री ने संगठित अपराध, आतंकवाद और मॉब लिंचिंग से जुड़े मामलों में सख्त प्रावधानों की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इन मामलों में दुरुपयोग से बचने के लिए उच्च स्तर से अनुमति के सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए। इसके अलावा उन्होंने भगोड़े अपराधियों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में ‘Trial In Absentia’ (न्यायालय की अनुपस्थिति में सुनवाई) के प्रावधान की शुरुआत की जानी चाहिए, ताकि जो लोग लंबे समय से देश से फरार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

फॉरेन्सिक साइंस मोबाइल वैन की उपलब्धता बढ़ाने पर जोर

अमित शाह ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि हर जिले में दो से अधिक फॉरेन्सिक साइंस मोबाइल वैन उपलब्ध हों, जिससे त्वरित रूप से जांच की प्रक्रिया पूरी की जा सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन वैन में इस्तेमाल होने वाली सभी 12 किट्स भारत में ही निर्मित होनी चाहिए, जो मेड इन इंडिया हो। इसके साथ ही गुजरात द्वारा शुरू किए गए फॉरेन्सिक क्राइम मैनेजर की पहल को दूसरे राज्यों में भी अपनाने की सलाह दी गई है।

न्यायिक प्रक्रिया के डिजिटलकरण पर भी जोर

गुजरात उच्च न्यायालय की 22 जनवरी 2025 की पहल की सराहना करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब सभी अधीनस्थ न्यायालयों में ई-प्रोसेसिंग का पालन किया जाएगा। यह एक सराहनीय कदम है, जिसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन में खाली पदों को शीघ्र भरने का आदेश दिया गया है, ताकि अभियोजन प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए।

न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण पर भी ध्यान

गृह मंत्री ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण को और बेहतर किया जाना चाहिए। इसके लिए ज्यूडिशियल अकैडमी से समन्वय कर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे न्यायिक अधिकारियों को नए कानूनों और प्रक्रियाओं के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी।

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