बीजेपी में एक बार फिर बदलाव का वक्त आ गया है! 2025 के शुरू होते ही पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है, और इस चुनाव पर हर किसी की नजरें होंगी। सवाल ये है कि यह चुनाव कैसे होता है और इस पद पर बैठने वाला शख्स आखिर करता क्या है? क्या सिर्फ एक नाम से काम चलता है या इस पद के पीछे इतनी बड़ी जिम्मेदारियां छुपी होती हैं कि हम सोच भी नहीं सकते?
अगर आप ये सोच रहे हैं कि बीजेपी का अध्यक्ष सिर्फ पार्टी का चेहरा होता है, तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं है। यह पद सिर्फ एक नाम का नहीं होता, बल्कि यह उस शख्स के कंधों पर पार्टी के चुनावी फैसले, संगठन की दिशा और आने वाले भविष्य की रणनीतियां तय करने की जिम्मेदारी डालता है। तो चलिए, अब विस्तार से जानते हैं कि बीजेपी का अध्यक्ष कैसे चुना जाता है और इस पद पर बैठने वाले शख्स की जिम्मेदारियां क्या होती हैं।
सात भागों में बंटा है बीजेपी का संगठन
बीजेपी का संगठन किसी विशाल और सशक्त मशीन की तरह काम करता है। पार्टी का संगठन सात हिस्सों में बंटा हुआ है – राष्ट्रीय स्तर, प्रदेश स्तर, क्षेत्रीय समितियां, जिला और मंडल समितियां, ग्राम और शहरी केंद्र। इन सभी स्तरों के बीच एक मज़बूत कड़ी होती है, जिससे पार्टी हर चुनाव में बेहतर तरीके से काम कर पाती है।
अगर इसे एक बड़े पहिये जैसा मानें, तो बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष उस पहिये के सबसे अहम हिस्से की तरह होता है। यानी, पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण निर्णय, रणनीतियां, चुनावी फैसले, ये सब उसी के कंधों पर होते हैं। तो अब सवाल ये है कि पार्टी का अध्यक्ष कैसे चुना जाता है, और इस पद की जिम्मेदारियां क्या होती हैं?
बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है ?
बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कुछ खास तरीके से होता है। पार्टी के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्य मिलकर करते हैं। ये चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बनाए गए नियमों के हिसाब से होते हैं।
अब, अगर कभी अध्यक्ष का पद खाली हो जाता है (जैसे किसी कारणवश अचानक इस्तीफा), तो पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड ही नया अध्यक्ष नियुक्त करता है। हालांकि, मजेदार बात ये है कि अब तक बीजेपी के अध्यक्ष हमेशा निर्विरोध चुने गए हैं। इसका मतलब यह है कि पार्टी के अंदर किसी तरह का विवाद या टेंशन नहीं होता, और आमतौर पर पार्टी के भीतर सर्वसम्मति से ही अध्यक्ष का चुनाव हो जाता है।
बीजेपी अध्यक्ष को क्या जिम्मेदारियां मिलती हैं?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। यह पद केवल एक पद का नाम नहीं है, बल्कि इसमें पार्टी के संगठन से लेकर चुनावी रणनीतियों और नीतियों तक को तय करने का पूरा दायित्व शामिल होता है। इस पद पर बैठने वाले शख्स को पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 120 में से अधिकतर सदस्यों को चुनने का अधिकार होता है। इनमें से कम से कम 40 महिलाएं और 12 अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्य होना चाहिए।
इसके अलावा, राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास यह अधिकार भी होता है कि वह पार्टी के उपाध्यक्ष, महामंत्री, संगठन महामंत्री और कोषाध्यक्ष समेत अन्य अहम पदों पर नियुक्तियां करें। इन नियुक्तियों के जरिए वह पार्टी की दिशा तय करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि पार्टी की कार्यशैली और रणनीतियां पूरी तरह से मजबूत रहें।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का एक अहम काम संगठन को सशक्त बनाना होता है। अध्यक्ष को यह सुनिश्चित करना होता है कि पार्टी का संगठन हर राज्य में मजबूत हो और चुनावों के दौरान हर स्तर पर पार्टी की रणनीतियां सही तरीके से लागू हों। राज्य स्तर पर भी अध्यक्ष का प्रभाव होता है।
वह राज्य के अध्यक्षों को नियुक्त करने के साथ-साथ विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार भी तय करते हैं। पार्टी की चुनावी नीतियों को लागू करने की पूरी जिम्मेदारी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष पर होती है। इसके अलावा, हर चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों का चयन, चुनावी घोषणापत्र तैयार करना और पार्टी की रणनीतियों को सही दिशा देना – ये सभी फैसले पार्टी अध्यक्ष के द्वारा ही लिए जाते हैं।
अब तक के सभी बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) अध्यक्षों की लिस्ट
क्रम संख्या | नाम | कार्यकाल (साल) |
---|---|---|
1 | अटल बिहारी वाजपेयी | 1980–1986 |
2 | लाल कृष्ण आडवाणी | 1986–1991 |
3 | मुरली मनोहर जोशी | 1991–1993 |
4 | अटल बिहारी वाजपेयी | 1993–1995 |
5 | लाल कृष्ण आडवाणी | 1995–1998 |
6 | शिवराज सिंह चौहान | 1998–2000 |
7 | विनय कटियार | 2000–2002 |
8 | राजनाथ सिंह | 2005–2009 |
9 | नितिन गडकरी | 2009–2013 |
10 | राजनाथ सिंह | 2013–2014 |
11 | अमित शाह | 2014–2020 |
12 | जेपी नड्डा | 2020–वर्तमान |
क्या बीजेपी के अध्यक्ष निर्विरोध होते हैं?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी के पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता करने का भी जिम्मा होता है। यह अधिवेशन पार्टी के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि इसमें भविष्य की नीतियां, चुनावी रणनीतियां और संगठन के लक्ष्यों पर चर्चा की जाती है। पार्टी के सबसे बड़े नेता और सदस्य इस अधिवेशन में शामिल होते हैं, जहां पार्टी के अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श होता है।
इस अधिवेशन की अध्यक्षता करना भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है, और इसे बहुत ही संतुलित तरीके से चलाना होता है ताकि पार्टी के सभी नेता अपने विचार सही तरीके से रख सकें।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक हमेशा निर्विरोध ही हुआ है। इसका मतलब यह है कि पार्टी में आमतौर पर किसी प्रकार की चुनावी या संगठनात्मक असहमति नहीं होती। हालांकि, अगर भविष्य में कभी पार्टी में आंतरिक मतभेद होते हैं, तो अध्यक्ष का चुनाव पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड के द्वारा किया जाएगा।
बीजेपी अध्यक्ष का पद क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
बीजेपी के अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट बनाए रखना होती है। पार्टी के भीतर अलग-अलग विचारधाराएं हो सकती हैं, लेकिन अध्यक्ष को यह सुनिश्चित करना होता है कि हर सदस्य एकजुट होकर काम करे। पार्टी के हर चुनाव में यह बेहद ज़रूरी होता है कि सभी लोग एक साथ मिलकर काम करें, तभी पार्टी मजबूत रहेगी और चुनावों में जीत हासिल करेगी।
बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल एक नाम नहीं, बल्कि पार्टी की पूरी ताकत का प्रतीक होता है। उसके द्वारा किए गए फैसले पार्टी के भविष्य को दिशा देते हैं। चुनावों में उम्मीदवारों का चयन, पार्टी की नीतियां और रणनीतियां तय करना, यही सब कुछ इस पद की जिम्मेदारी होती है।
अगर अगले कुछ सालों में बीजेपी को अपनी पुरानी ताकत बनाए रखनी है और चुनावी मैदान में जीत हासिल करनी है, तो यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी का अध्यक्ष वही हो, जो संगठन को आगे बढ़ा सके, चुनावी रणनीतियां बनाने में माहिर हो और पार्टी के हर सदस्य को एकजुट रखे।
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