दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद पार्टी ने पहली बार अपनी समीक्षा की और इसके कारणों का विश्लेषण किया। खासकर मिडिल क्लास के वोटरों के बदलते रुख को लेकर पार्टी ने गहरी चिंता जताई है, क्योंकि यह वर्ग लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में था, लेकिन विधानसभा चुनाव में AAP से नहीं जुड़ा। इससे बीजेपी को 27 साल बाद दिल्ली में जीत मिली है।
AAP की हार की वजह क्या थी?
AAP ने मीडिया से बात करते हुए दिल्ली में हुई हार की तीन सबसे बड़ी वजहें बताई हैं।
1. मिडिल क्लास ने AAP का साथ नहीं दिया
AAP की हार का सबसे बड़ा कारण मिडिल क्लास वोटरों का बीजेपी की तरफ झुकाव बताया जा रहा है। इस वर्ग ने पहले लोकसभा चुनावों में भाजपा को तो वोट दिया ही था, लेकिन विधानसभा चुनावों में AAP के पक्ष में भी वोट करता रहा है। लेकिन इस बार मिडिल क्लास के वोटर्स AAP के साथ नहीं लौटे। खासकर, केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स न होने की घोषणा ने इस वर्ग का समर्थन बीजेपी के पक्ष में कर दिया। AAP को इस खतरे का सही आकलन नहीं हो सका क्योंकि केंद्रीय बजट चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में पेश हुआ और इसका असर सीमित समय में पड़ा।
2. आखिरी दौर में कोई अहम बैठक नहीं
AAP नेतृत्व ने यह भी माना है कि चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में बंद कमरे में कोई खास बैठकें नहीं हुईं, जो बीजेपी की बढ़त को रोकने में मदद कर सकती थीं। दिल्ली में प्रचार के शुरुआती दौर में महिलाओं के मुद्दे पर ‘रेवड़ी’ और ‘पिंक पर्चा’ के तहत कुछ बैठकें हुई थीं, लेकिन आखिरी दौर में AAP ने प्रचार में तेज़ी नहीं दिखाई। यह असमर्थता ही पार्टी की हार का एक और बड़ा कारण बनी।
3. धन-बल का प्रभाव
तीसरा कारण था धन-बल का असर। AAP के अनुसार, बीजेपी ने इस बार धन, शराब और पुलिस का इस्तेमाल किया, जिसका असर झुग्गी बस्तियों के मतदाताओं पर पड़ा। इन वोटर्स में भय पैदा हुआ, जिससे बड़ी संख्या में लोग मतदान के दिन घर से बाहर नहीं निकले। इस स्थिति ने AAP के वोट शेयर को घटा दिया और पार्टी को केवल 22 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि भाजपा ने 48 सीटों पर कब्जा किया।
AAP ने तय किए 2025 के लिए तीन टारगेट
हार के बाद AAP ने 2025 के चुनावों के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करने की योजना बनाई है। पार्टी के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, दिल्ली की हार के बाद तीन प्रमुख लक्ष्य तय किए गए हैं, जिन पर वह अब फोकस करेगी।
1. पंजाब मॉडल को बरकरार रखना
AAP की योजना है कि वह पंजाब के किले को मजबूत बनाए रखे और वहां एक मजबूत ‘पंजाब मॉडल’ तैयार करे। इसके लिए पार्टी जनता के कामों को प्राथमिकता के साथ पूरा करने पर जोर देगी। हाल ही में पंजाब कैबिनेट की बैठक दिल्ली में आयोजित की गई थी, जिसमें इसी रणनीति पर चर्चा की गई।
2. दिल्ली में विपक्ष की भूमिका निभाना
AAP का दूसरा लक्ष्य दिल्ली विधानसभा में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना है। पार्टी बीजेपी की नीतियों का मुकाबला करने के लिए नई रणनीति बनाएगी। दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के खिलाफ एकमात्र विपक्ष के तौर पर AAP ही मौजूद है, और वह इसी ताकत का इस्तेमाल करेगी।
3. संगठनात्मक विस्तार
AAP अब राष्ट्रीय स्तर पर अपने संगठन का विस्तार करने की योजना बना रही है। इसमें गुजरात और गोवा पर खास ध्यान दिया जाएगा, साथ ही दिल्ली और पंजाब में अपनी उपस्थिति को भी मजबूत किया जाएगा।
दिल्ली यूनिट में बदलाव की तैयारी
बता दें इनसब के अलावा दिल्ली में AAP की यूनिट में बड़े बदलाव किए जाने की योजना है। पार्टी के बड़े चेहरे जो चुनाव हार गए हैं, उन्हें नई जिम्मेदारियां दी जाएंगी। इसके साथ ही दिल्ली यूनिट में बड़े संगठनात्मक बदलाव भी किए जाएंगे। जमीनी स्तर पर मिल रही प्रतिक्रियाओं के आधार पर पार्टी अब बूथ स्तर के एजेंटों और कार्यकर्ताओं तक पहुंचने की योजना बना रही है।
ये भी पढ़ें:अब भारत में बिना वीजा और पासपोर्ट के आने वाले विदेशी नागरिकों को मिलेगी कड़ी सजा!