भारत में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बदलाव का इतिहास 1946 से है। हाल ही में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को मंजूरी दी है। इस फैसले से करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। इसके बाद कर्मचारियों की सैलरी में ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। अभी तक जो सैलरी ढांचा था, उसमें अगले कुछ सालों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगाअब तक कितने वेतन आयोग आए हैं और उन आयोगों ने कर्मचारियों की सैलरी में कितनी बढ़ोतरी की, आइए आपको आसान तरीके से बताते हैं।
पहला वेतन आयोग (1946-1947): 55 रुपये थी न्यूनतम सैलरी
आज से करीब 78 साल पहले, जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तब सरकारी कर्मचारियों का वेतन बहुत कम था। पहला वेतन आयोग 1946 में गठित हुआ, और इसके अध्यक्ष श्रीनिवास वरदाचार्य थे। आयोग का उद्देश्य था कर्मचारियों की सैलरी को जीवन यापन के हिसाब से सही बनाना।
न्यूनतम वेतन: 55 रुपये प्रति माह
अधिकतम वेतन: 2,000 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: लगभग 15 लाख कर्मचारी
यह वह समय था जब भारत में कर्मचारियों के वेतन को एक मानक पर लाने की कोशिश की जा रही थी। तब की सैलरी बहुत कम थी, लेकिन यह कर्मचारियों के जीवन की शुरुआत के लिए एक अहम कदम था।
दूसरा वेतन आयोग (1957-1959): 80 रुपये तक बढ़ी सैलरी
दूसरा वेतन आयोग 1957 में बना और इसके अध्यक्ष थे जगन्नाथ दास। इस बार वेतन में थोड़ी और बढ़ोतरी की गई। इसका मुख्य उद्देश्य था कर्मचारियों के वेतन को महंगाई और जीवन यापन के हिसाब से उचित बनाना।
न्यूनतम वेतन: 80 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: लगभग 25 लाख कर्मचारी
इस समय, वेतन में बढ़ोतरी के साथ समाजवादी दृष्टिकोण को भी शामिल किया गया था, यानी समाज में समानता लाने की कोशिश की गई थी।
तीसरा वेतन आयोग (1970-1973): 185 रुपये हुआ न्यूनतम वेतन
तीसरा वेतन आयोग 1970 में गठित हुआ, और इसके अध्यक्ष थे रघुबीर दयाल। इस बार वेतन में एक बड़ी बढ़ोतरी की गई और सरकार ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच वेतन में समानता लाने की कोशिश की।
न्यूनतम वेतन: 185 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: लगभग 30 लाख कर्मचारी
यह वेतन आयोग कई असमानताओं को खत्म करने की कोशिश कर रहा था, ताकि सरकारी कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के बराबर वेतन मिल सके।
चौथा वेतन आयोग (1983-1986): 750 रुपये हुआ न्यूनतम वेतन
चौथा वेतन आयोग 1983 में गठित हुआ था और इसके अध्यक्ष थे पीएन सिंघल। इस बार वेतन संरचना में कई बदलाव किए गए, खासकर असमानताओं को दूर करने के लिए।
न्यूनतम वेतन: 750 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: 35 लाख से ज्यादा कर्मचारी
चौथे आयोग में कर्मचारियों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए कुछ सुधार किए गए थे, ताकि काम के आधार पर कर्मचारियों को वेतन मिले।
पांचवां वेतन आयोग (1994-1997): 2,550 रुपये हुआ न्यूनतम वेतन
पांचवे वेतन आयोग के अध्यक्ष थे न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन। इस आयोग ने सरकारी दफ्तरों को आधुनिक बनाने और कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए कई अहम फैसले लिए थे।
न्यूनतम वेतन: 2,550 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: लगभग 40 लाख कर्मचारी
यह वेतन आयोग विशेष रूप से कर्मचारियों के कामकाजी माहौल को बेहतर बनाने पर भी ध्यान दे रहा था।
छठा वेतन आयोग (2006-2008): 7,000 रुपये हुआ न्यूनतम वेतन
छठा वेतन आयोग 2006 में गठित हुआ था और इसके अध्यक्ष थे न्यायमूर्ति बीएन श्री कृष्ण। इस बार वेतन में एक बड़ा बदलाव हुआ था, जिसमें पे बैंड और ग्रेड पे सिस्टम को शामिल किया गया।
न्यूनतम वेतन: 7,000 रुपये प्रति माह
अधिकतम वेतन: 80,000 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: लगभग 60 लाख कर्मचारी
यह वेतन आयोग कर्मचारियों की कार्यकुशलता और प्रदर्शन को भी ध्यान में रखते हुए वेतन संरचना को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा था।
सातवां वेतन आयोग (2014-2016): 18,000 रुपये हुआ न्यूनतम वेतन
सातवें वेतन आयोग का गठन 2014 में हुआ और इसके अध्यक्ष थे न्यायमूर्ति एके माथुर। इस आयोग ने पहले की तरह वेतन संरचना में बदलाव करते हुए, ग्रेड पे सिस्टम को खत्म कर दिया और इसके स्थान पर नया पे मैट्रिक्स पेश किया।
न्यूनतम वेतन: 18,000 रुपये प्रति माह
अधिकतम वेतन: 2,50,000 रुपये प्रति माह
लाभार्थी: एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर्स
यह वेतन आयोग कर्मचारियों के भत्तों और कार्य-जीवन संतुलन को बेहतर बनाने पर भी ध्यान दे रहा था।
आठवां वेतन आयोग (2025): 55,000 रुपये तक बढ़ सकती है सैलरी
अब, आठवें वेतन आयोग की बारी है। हाल ही में सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दी है, और इसके जरिए केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। इसका मतलब यह है कि कर्मचारियों का न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 55,000-56,000 रुपये तक हो सकता है। हालांकि, इस बदलाव को लागू होने में कुछ वक्त लगेगा, क्योंकि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 में लागू हो सकती हैं।
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