आम लोगों को बड़ी राहत, जानिए एक महीने में कितने कम हुए आटे के दाम
केंद्र सरकार ने ओवरऑल फूड सिक्योरिटी का मैनेज्मेंट और जमाखोरी और बेईमानी को रोकने के लिए व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़े खुदरा विक्रेताओं की स्टॉक लिमिट को आधा कर दिया. भारत आटा के लिए सप्लाई की जाने वाली गेहूं की मात्रा जनवरी 2024 के अंत तक 250,000 टन से बढ़ाकर 400,000 टन कर दी गई है.
आम लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिलती हुई दिखाई दे रही है. खासकर आटे की कीमत को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. जिसकी वजह से बीते एक महीने में आटे की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कई कदमों के बाद, आटा या गेहूं के आटे की कीमतें पिछले एक महीने में 5-7 फीसदी गिर गई हैं और अगले दो-तीन महीनों तक कम रहने की संभावना है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आटे के दाम कितने हो गए हैं.
सरकार की ओर उठाए गए कदम
चावल की कीमतों के विपरीत, गेहूं की कीमतों ने इस महीने घोषित विभिन्न सरकारी उपायों का असर साफ देखने को मिल रहा है. 8 दिसंबर को, केंद्र सरकार ने ओवरऑल फूड सिक्योरिटी का प्रबंधन करने और जमाखोरी और बेईमानी को रोकने के लिए व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़े खुदरा विक्रेताओं की स्टॉक लिमिट को आधा कर दिया. सरकार ने भारतीय खाद्य निगम द्वारा ई-नीलामी के माध्यम से दिए जाने वाले वीकली वॉल्यूम को 300,000 टन से बढ़ाकर 400,000 टन कर दिया है, जबकि भारत आटा के लिए सप्लाई की जाने वाली गेहूं की मात्रा जनवरी 2024 के अंत तक 250,000 टन से बढ़ाकर 400,000 टन कर दी गई है.
कितनी कम हो गई आटे की कीमत
देश के अधिकांश हिस्सों में आटे की एक्स-फैक्ट्री कीमतें गिरकर 28-29 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई हैं. 50 किलोग्राम बैग में बिकने वाले खुले आटे की तुलना में ब्रांडेड आटे की कीमत में गिरावट आने में अधिक समय लगता है, जो देश में बेचे जाने वाले आटे का सबसे बड़ा हिस्सा है. भवानी फ्लोर मिल्स लिमिटेड के डायरेक्ट कुंज गुप्ता मीडिया रिपोर्ट में कहा कि आटे की कीमतें मुख्य रूप से गेहूं की उपलब्धता के कारण कम हुई हैं क्योंकि सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना में गेहूं का आवंटन बढ़ा दिया है.
भारत की खुदरा महंगाई
व्यापारियों और मिल मालिकों ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि उन्होंने पहले के स्टॉक को खत्म करने के लिए अपनी गेहूं खरीद कम कर दी है, जिसे उन्होंने ऊंची दरों पर खरीदा था. इस महीने जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत की खुदरा महंगाई अक्टूबर में 4.87 फीसदी से बढ़कर नवंबर में 5.5 फीसदी हो गई. चावल के मामले में, जुलाई में नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद खुदरा कीमतों में ज्यादा नरमी नहीं आई, जिसके कारण सरकार ने देश में चावल उद्योग को तत्काल प्रभाव से खुदरा कीमतों में कटौती करने का निर्देश दिया. थोक मूल्य सूचकांक में चावल और गेहूं का भार क्रमशः 1.43 फीसदी और 1.03 फीसदी है
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