Champai Soren: बीजेपी के हुए ‘कोल्हान टाइगर’, क्या झारखंड में पार्टी के लिए कर पाएंगे चमत्कार?
Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया है। 30 अगस्त को रांची में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में उन्होंने बिना शर्त भाजपा में शामिल होने की घोषणा की। इससे पहले, चंपई ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, चंपई का पार्टी छोड़ना हेमंत सोरेन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
चंपई ने क्यों छोडा JMM ?
चंपई ने JMM छोड़ने के पीछे पार्टी की कार्यशैली और नीतियों पर असंतोष व्यक्त किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों और आदर्शों से भटक गई है। इसके अलावा, चंपई ने JMM नेतृत्व पर उनका अपमान करने का भी आरोप लगाया। भाजपा में शामिल होकर, चंपई ने बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ आदिवासी समाज की जमीन और महिलाओं की सुरक्षा की बात की है।
चंपई के आने से भाजपा को कैसे मिलेगा लाभ?
चंपई सोरेन झारखंड की प्रमुख आदिवासी जाति संथाल से आते हैं, जो राज्य की कुल 26 प्रतिशत आदिवासी आबादी का 32 प्रतिशत हैं। उन्हें कोल्हान इलाके में ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से जाना जाता है, जहां उनकी प्रभावशाली स्थिति है। कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों पर उनका अच्छा प्रभाव माना जाता है। ऐसे में, चंपई की भाजपा में शामिल होने से इन सीटों पर भाजपा को लाभ होने की संभावना है।
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आदिवासी मतदाताओं का मिलेगा फायदा
वरिष्ठ पत्रकार प्रणव प्रत्यूष ने इंडिया टुडे से कहा, “चंपई के साथ भाजपा को उम्मीद है कि वे आदिवासी मतदाताओं के बीच अपनी अपील को मजबूत करेंगे। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 28 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। चंपई का कोल्हान संभाग से होना भाजपा की दक्षिण झारखंड में संभावनाओं को बढ़ा सकता है, जहां काफी संख्या में आदिवासी आबादी है।”
चंपई के आने से भाजपा के लिए चुनौतियां
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती संतुलन बनाए रखना होगी। चंपई, बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा और अर्जुन मुंडा, ये सभी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अगर भाजपा किसी एक को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करती है, तो गुटबाजी बढ़ सकती है। साथ ही, चंपई के आने से बाबूलाल मरांडी नाखुश दिख रहे हैं, जिन्होंने भाजपा आलाकमान से मुलाकात भी की थी।
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कितने प्रभावशाली चंपई?
हालांकि चंपई के भाजपा में शामिल होने से कुछ राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है, लेकिन चुनावी तैयारी के लिए समय की कमी एक बड़ी बाधा हो सकती है। पहले अटकलें थीं कि चंपई के साथ कुछ विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कहा गया कि हेमंत सोरेन ने इन विधायकों से बातचीत कर नाराजगी दूर की। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या चंपई झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रभाव छोड़ पाएंगे या नहीं।