यूक्रेनी राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की के लिए यूरोपीय यूनियन (ईयू) का फैसला बड़ा झटका साबित हुआ है। ईयू ने यूक्रेन को 18 हजार करोड़ रुपए (करीब 20 बिलियन यूरो) के हथियार देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन हंगरी ने इस पर वीटो लगा दिया। इसके बाद यूक्रेन को हथियार मिलने का रास्ता बंद हो गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन रूस के खिलाफ युद्ध में लड़ रहा है और उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन की सख्त जरूरत है।
क्या है पूरा मामला?
यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन को तत्काल सैन्य सहायता देने का फैसला किया था। इसके तहत यूक्रेन को 18 हजार करोड़ रुपए के हथियार दिए जाने थे। लेकिन हंगरी ने इस प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया। हंगरी के इस कदम के बाद ईयू को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। यह फैसला यूक्रेन के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह रूस के खिलाफ युद्ध में अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर निर्भर है।
अमेरिका ने भी रोकी थी सैन्य सहायता
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी यूक्रेन को सैन्य सहायता देने से इनकार कर दिया था। ट्रंप का कहना था कि अमेरिका यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में लोगों के मरने के लिए हथियार नहीं दे सकता। अमेरिका यूक्रेन के साथ खनिज डील न होने की वजह से भी नाराज है। अमेरिका के इस फैसले के बाद यूक्रेन पहले से ही बैकफुट पर था, और अब ईयू का फैसला उसके लिए और बड़ा झटका साबित हुआ है।
यूरोप ने दिया था समर्थन का वादा
व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से बहस के बाद ब्रिटेन में यूरोपीय देशों की बैठक हुई थी। इस बैठक में यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को सैन्य सहायता देने का वादा किया था। लेकिन हंगरी के दबाव में ईयू ने अपना फैसला बदल दिया। यह फैसला यूक्रेन के लिए निराशाजनक है, क्योंकि रूस लगातार यूक्रेन पर हमले कर रहा है।
हंगरी ने क्यों लगाया वीटो?
सवाल यह है कि हंगरी ने आखिर यूक्रेन को सैन्य सहायता न देने की बात क्यों कही? हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने कई बार यूरोपीय यूनियन की नीतियों का विरोध किया है। ओर्बन का मानना है कि यूक्रेन को सैन्य सहायता देने से यूरोप में तनाव बढ़ेगा। हंगरी ने यूक्रेन को हथियार देने के बजाय शांति वार्ता पर जोर दिया है।
रूस को मिल रहा है नॉर्थ कोरिया का समर्थन
दूसरी ओर, रूस को युद्ध में नॉर्थ कोरिया से सीधी मदद मिल रही है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया ने 12 हजार सैनिक रूस भेजे हैं। यह कदम रूस की सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। नॉर्थ कोरिया का समर्थन रूस के लिए बड़ी मदद साबित हो रहा है।
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