कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए दिल्ली में फर्जी दस्तावेज़ बना कर बसते थे? पढ़ें सिंडिकेट की पूरी कहानी

दिल्ली में पिछले कुछ समय से अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया गया। यह अभियान दिल्ली पुलिस द्वारा तब शुरू किया गया, जब निजामुद्दीन इलाके के मोहम्मद नौशाद अनवर शाहिद और उनके कुछ साथियों ने पुलिस को एक चिट्ठी लिखकर दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस चिट्ठी के आधार पर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने फौरन पुलिस को निर्देश दिया कि इन अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें जल्द से जल्द डिपोर्ट किया जाए।

पुलिस ने खोला अवैध घुसपैठ का बड़ा नेटवर्क

इसके बाद दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में छापेमारी शुरू कर दी। पुलिस की कार्रवाई को लेकर आदेश साफ था: हर संदिग्ध व्यक्ति को रोको, उसके दस्तावेज़ों की जांच करो और अगर कुछ संदिग्ध लगे तो तुरंत कार्रवाई करो। पुलिस ने इस ऑपरेशन के दौरान लगभग 500 संदिग्धों के दस्तावेज़ों की जांच की और 100 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों को जल्द ही डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

दिल्ली पुलिस ने इस दौरान तीन बड़े सिंडिकेट्स का पर्दाफाश किया। इन सिंडिकेट्स का काम बांग्लादेश से अवैध रूप से लोगों को भारत भेजना और फिर उन्हें दिल्ली में बसाना था।

सिंडिकेट 1: बांग्लादेश से भारत तक

पहला सिंडिकेट बांग्लादेश में काम करता था। इस सिंडिकेट का प्रमुख अनीश शेख था, जो बांग्लादेश के दुर्गापुर से अवैध घुसपैठियों को बाघमारा बॉर्डर के रास्ते भारत में लाता था। बाघमारा से यह लोग छोटी गाड़ियों, बाइक या पैदल यात्रा करके असम के कृष्णाई तक पहुँचते थे। फिर उन्हें दिल्ली लाने के लिए ट्रेन या बस का इस्तेमाल किया जाता था।

सिंडिकेट 2: दिल्ली तक यात्रा

असम के कृष्णाई में पहुँचने के बाद इन घुसपैठियों को मिनी बस के जरिए दिल्ली भेजा जाता था। यह पूरा रास्ता करीब 150 किलोमीटर लंबा था। इस नेटवर्क का प्रमुख अमीनुर इस्लाम था, जो इन लोगों को दिल्ली के लिए भेजता था।

सिंडिकेट 3: दस्तावेज़ों की साजिश

एक बार घुसपैठी दिल्ली पहुँच जाते थे, तो उनका अगला कदम अवैध दस्तावेज़ बनवाना होता था। यहां आशीष मेहरा नामक व्यक्ति का काम शुरू होता था, जो इन घुसपैठियों के लिए फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बनवाता था। इसके बाद इन दस्तावेजों का इस्तेमाल करके इन लोगों को दिल्ली में काम दिलवाया जाता था और उन्हें यहां बसाया जाता था।

कैसे हुआ इन सिंडिकेट्स का पर्दाफाश?

दिल्ली पुलिस को इन सिंडिकेट्स के बारे में जानकारी एक महिला सोनाली शेख से मिली, जो खुद बांग्लादेशी नागरिक थी और भारत में अवैध रूप से रह रही थी। सोनाली की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसके मोबाइल से मिले सबूतों के आधार पर इन सिंडिकेट्स का पता लगाया। सोनाली ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह करीब 15 साल पहले बांग्लादेश से भारत आई थी और दिल्ली में अवैध रूप से रह रही थी। इसके बाद पुलिस ने सोनाली को बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया।

जब पुलिस ने इन घुसपैठियों से पूछताछ की, तो उनके पास से कई फर्जी दस्तावेज़ बरामद किए गए। इनमें 6 आधार कार्ड और 5 पैन कार्ड शामिल थे। इसके अलावा, पुलिस ने उनके बैंक अकाउंट ट्रांजैक्शन की भी जांच की, जिससे फर्जी दस्तावेज़ों की साजिश का खुलासा हुआ।

 

घटना विवरण
पुलिस द्वारा कार्रवाई की शुरुआत मोहम्मद नौशाद अनवर शाहिद और साथियों द्वारा चिट्ठी लिखने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान दिल्ली पुलिस ने लगभग 500 संदिग्धों के दस्तावेजों की जांच की। 100 अवैध बांग्लादेशी गिरफ्तार किए गए।
मुख्य स्थान दक्षिण पूर्व दिल्ली, दक्षिण पश्चिम दिल्ली, शाहदरा, उत्तर पूर्व दिल्ली, सेंट्रल और आउटर दिल्ली।
सिंडिकेट का भंडाफोड़ पुलिस ने तीन सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया जो अवैध बांग्लादेशियों को भारत में घुसपैठ कराते थे।
पहला सिंडिकेट बांग्लादेश के दुर्गापुर से बाघमारा बॉर्डर से घुसपैठ कराना। सरगना: अनीश शेख।
दूसरा सिंडिकेट बाघमारा से मिनी बस के जरिए असम तक घुसपैठ कराना। सरगना: अमीनुर इस्लाम।
तीसरा सिंडिकेट कृष्णाई से कोलकाता या बोंगाईगांव तक घुसपैठ कराना। सरगना: अमीनुर इस्लाम।
फर्जी दस्तावेज़ अवैध बांग्लादेशियों के लिए फर्जी दस्तावेज़ बनवाने में आशीष मेहरा, मनमोहन, और अनीश शेख शामिल।
पकड़े गए लोग सोनाली शेख, अनीश शेख, सपना, अमीनुर इस्लाम, और अन्य।
घुसपैठियों के डिपोर्ट होने का तरीका दस्तावेज़ों की जांच के बाद बांग्लादेश का पता पुष्टि होने पर FRRO के हवाले कर दिया जाता है और डिपोर्ट किया जाता है।
पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और डिपोर्ट सोनाली शेख और फिरोज मुल्ला समेत कई अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ कर डिपोर्ट किया गया।
सर्च ऑपरेशन साउथ कैंपस इलाके में मां-बेटे समेत कई संदिग्ध बांग्लादेशियों को पकड़ा गया।

कैसे पकड़े जाते हैं अवैध बांग्लादेशी?

दिल्ली पुलिस के अनुसार, जब भी कोई संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक पकड़ा जाता है, तो सबसे पहले उसके दस्तावेज़ों की जांच की जाती है। यदि दस्तावेज़ फर्जी पाए जाते हैं और व्यक्ति का बांग्लादेश से संबंध साबित होता है, तो उसे Foreigners Regional Registration Office (FRRO) के हवाले कर दिया जाता है। इसके बाद उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है और फिर ट्रेन के जरिए उसे बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया जाता है।

सिंडिकेट्स में कौन थे शामिल?

पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान कई प्रमुख अपराधियों को गिरफ्तार किया। इनमें अनीश शेख, उसकी पत्नी सपना, और अमीनुर इस्लाम जैसे लोग शामिल हैं। अनीश शेख खुद 15 साल पहले अवैध रूप से भारत में घुसपैठ करके दिल्ली में बस गया था और अब वह घुसपैठियों को दिल्ली में बसाने का काम कर रहा था। इसके अलावा, बांग्लादेश से अवैध रूप से आई सोनाली शेख को भी डिपोर्ट कर दिया गया है।

कौन थे पकड़े गए अवैध बांग्लादेशी?

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, अब तक जिन अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा गया है, उनमें से कई लोग पहले भी डिपोर्ट हो चुके थे, लेकिन फिर से भारत में घुसने में सफल हो गए थे। इनमें से कुछ लोग तो जंगल के रास्ते भारत में घुसने में कामयाब रहे थे, और फिर दिल्ली पहुंचकर वहां अपना काम करने लगे थे।

अब क्या होगी पुलिस की अगली योजना?

दिल्ली पुलिस का यह अभियान अब भी जारी है। पुलिस का कहना है कि वह दिल्ली के अन्य इलाकों में भी अवैध बांग्लादेशियों की पहचान करने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रही है। अब तक जो जानकारी मिली है, उससे यह साफ है कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों को भारत लाने और उन्हें बसाने का यह नेटवर्क काफी बड़े पैमाने पर काम कर रहा था। पुलिस ने अब तक 100 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया है और आगे भी इस प्रक्रिया को तेज़ी से जारी रखने का इरादा है।

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