2024 खत्म होने वाला है और 2025 के बजट को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। सरकार पर मध्यम वर्ग के लिए आयकर दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है। यह मांग इस लिए उठ रही है क्योंकि बढ़ती महंगाई और धीमी खपत ने आम आदमी की हालत खराब कर दी है। पेट्रोल-डीजल से लेकर सब्ज़ी-रोटी तक की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, जिसका सीधा असर मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है। अब लोग सोचना शुरू कर चुके हैं कि खर्च कहां कम किया जाए। ऐसे में, अगर आयकर दरों में कटौती होती है, तो लोगों को कुछ राहत मिल सकती है, और खर्चे में थोड़ी कमी आ सकती है।
क्या हो रहा है बाजार में?
अगर आप ध्यान से देखें, तो पिछले कुछ महीनों में बाजार में कुछ ठंडापन सा आया है। महंगाई का असर सब पर पड़ा है, लेकिन मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने भी चेतावनी दी है कि महंगाई को नियंत्रित करना ज़रूरी है, वरना आर्थिक स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
अब आप सोचिए, जब घर के बजट में पहले से ही कमी हो, तो लोग नए कपड़े, गाड़ियां या फिर महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान क्यों खरीदेंगे? यही कारण है कि खपत घट रही है। अगर यही हाल रहा, तो देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है।
क्या आयकर दरों में होगी कटौती?
अब सवाल यह है कि सरकार आयकर दरों में कटौती करती है, तो इसका क्या असर होगा? रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार 15 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए आयकर दरें घटाने पर विचार कर रही है। इसका सीधा फायदा उन लोगों को हो सकता है, जिनकी आय 10-15 लाख तक है। इन लोगों के लिए हर साल आयकर में एक बड़ी राहत मिल सकती है, जिससे उनके पास खर्च करने के लिए ज़्यादा पैसा रहेगा।
इससे सरकार को शायद थोड़ी परेशानी हो, क्योंकि आयकर में कटौती से सरकारी राजस्व में कमी आ सकती है, लेकिन अगर खपत बढ़ी तो यह आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का अच्छा तरीका हो सकता है।
बजट 2025: क्या हो सकता है फैसला?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए बजट 2025 सबसे महत्वपूर्ण बजट साबित हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार बजट में आयकर में राहत, रोजगार सृजन और उद्योगों को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार हो सकता है।
लेकिन, सवाल ये है कि सरकार इन बदलावों के लिए कौन से कदम उठाएगी, क्योंकि हर कदम का असर कहीं न कहीं अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। आयकर में कटौती से खपत बढ़ेगी, लेकिन सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि सरकारी खजाने में जो कमी होगी, उसका असर न पड़े।
बजट के वक्त सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं – एक तो खपत बढ़ाना और दूसरी, सरकारी खजाने पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं डालना। आयकर में कटौती से खपत तो बढ़ेगी, लेकिन इसका असर सरकारी राजस्व पर हो सकता है।
इसीलिए, सरकार को यह सोचना होगा कि वह किस तरह से आयकर में कटौती करने के साथ-साथ विकास को भी बढ़ावा दे सके। खपत बढ़ेगी, तो उत्पादन में भी इज़ाफा होगा और यह अंततः अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
आखिरकार, बजट 2025 से क्या उम्मीदें हैं?
बजट 2025 में बहुत कुछ बदलने की उम्मीद है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार आयकर में राहत देकर उन्हें थोड़ी राहत देगी और महंगाई से जूझते इस दौर में कुछ बेहतर करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा, रोजगार सृजन और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार कुछ कदम उठा सकती है।
अब देखना यह है कि सरकार इस आर्थिक संकट को कैसे सुलझाती है। क्या वह आयकर में कटौती करेगी या फिर दूसरी योजना के जरिए लोगों को राहत देगी? यह सब आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल हर कोई बजट 2025 का इंतजार कर रहा है।
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