केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में एआई मॉडल बनाने की पूरी क्षमता है, और वो भी कम खर्च में। उन्होंने भारत के चंद्रयान-3 मिशन का उदाहरण दिया, जिसमें देश ने अन्य देशों की तुलना में बेहद कम लागत में यान को चंद्रमा तक भेजा। उन्होंने बताया कि ठीक वैसे ही, हम एआई मॉडल्स को भी बहुत कम लागत में बना सकते हैं।
वैष्णव ने कहा कि भारत के युवा उद्यमी, स्टार्टअप और शोधकर्ता अब लागत को कम करने पर ध्यान दे रहे हैं, और इसी दिशा में एआई के विकास में भी बड़ा योगदान दे सकते हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर चंद्रयान-3 अभियान का जिक्र किया, जिसमें भारत ने केवल 600 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि दूसरे देशों ने ऐसे मिशन पर अरबों डॉलर खर्च किए थे। इस अभियान की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारत ने कम लागत में इनोवेशन और इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में उच्च मानक हासिल किया है।
कम खर्च में चंद्रमा पर भेजा यान
वैष्णव ने कहा कि हमारे देश ने कम खर्च में चंद्रमा पर यान भेजकर ये साबित कर दिया कि जब हम सही दिशा में मेहनत करते हैं, तो बड़ी सफलताएं हासिल की जा सकती हैं। इसी बीच, ओपनएआई के सीईओ सैम आल्टमैन ने भी अपनी राय दी। उन्होंने दो साल पहले भारत की एआई डेवलपमेंट क्षमता पर सवाल उठाए थे, लेकिन अब वह मानते हैं कि भारत एआई क्रांति का अगुवा बन सकता है।
PM @narendramodi Ji guides us to democratise technology. Sam appreciated PM’s vision.@sama pic.twitter.com/zEvBIoo7Z5
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) February 5, 2025
Had super cool discussion with @sama on our strategy of creating the entire AI stack – GPUs, model, and apps.
Willing to collaborate with India on all three. pic.twitter.com/uXjB2w2dbV— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) February 5, 2025
भारत AI में कर सकता है दुनिया को लीड: आल्टमैन
आल्टमैन का मानना है कि भारत के पास एआई के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने की क्षमता है, खासकर जब बात लागत कम करने की हो। वैष्णव ने कहा कि भारत एआई विकास के लिए एक पूरी इको-सिस्टम तैयार कर रहा है, जिसमें चिपसेट बनाना, कम लागत वाली कंप्यूटिंग सुविधाएं देना और डेटा सेट पर काम करना शामिल है। भारत सरकार भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को उन्नत ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) वाले कंप्यूटर देने की योजना बना रही है।
वर्तमान में ये कंप्यूटर भारतीय फर्मों को छह डॉलर प्रति घंटे की दर से मिल रहे हैं, लेकिन सरकार इन्हें 1.6 डॉलर प्रति घंटे की दर पर उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही है। आल्टमैन का कहना है कि एआई की एक इंटेलिजेंस यूनिट की लागत इस साल के अंत तक दस गुना कम हो जाएगी। वैष्णव ने भी कहा कि इनोवेशन कहीं से भी आ सकता है और भारत इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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