विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत और चीन के बीच पिछले कुछ हफ्तों में कई स्तरों पर बातचीत हुई है। इन वार्ताओं में राजनयिक और सैन्य दोनों पहलुओं को शामिल किया गया। उन्होंने कहा, “इस बातचीत के परिणामस्वरूप, भारत और चीन ने LAC पर गश्त के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति व्यक्त की है।” इस समझौते का मुख्य फोकस देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त को व्यवस्थित करना है, जिससे दोनों देशों के बीच बातचीत की गति बनी रहे।
2020 में बढ़ा था तनाव
यह समझौता विशेष रूप से 2020 में गलवान झड़प के बाद से बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में आया है। उस घटना में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के 35 सैनिकों की मृत्यु होने की खबरें थीं, हालांकि चीन ने केवल 3 सैनिकों की मौत की बात स्वीकार की थी। इस झड़प ने भारत-चीन संबंधों में गहरी खाई पैदा कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने LAC पर भारी तादाद में सैनिकों की तैनाती की थी।
इस समझौते की घोषणा उस समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कजान जा रहे हैं। हालांकि, इस यात्रा से पहले कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह उम्मीद की जा रही है कि मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन के दौरान एक द्विपक्षीय बैठक करेंगे। यह बैठक दोनों देशों के बीच जारी संवाद को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकती है।
क्या है LAC का महत्व
भारत और चीन के बीच लगभग 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह सीमा विभिन्न राज्यों में फैली हुई है: लद्दाख में 1597 किलोमीटर, अरुणाचल प्रदेश में 1126 किलोमीटर, उत्तराखंड में 345 किलोमीटर, सिक्किम में 220 किलोमीटर, और हिमाचल प्रदेश में 200 किलोमीटर। 1962 की युद्ध के दौरान, चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र में घुसपैठ की थी। भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश से चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था, लेकिन अक्साई चिन पर चीन का नियंत्रण बना रहा। अक्साई चिन लद्दाख से सटा हुआ है और इसका क्षेत्रफल लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर है।
1962 की जंग के बाद खराब हुआ भारत-चीन का रिश्ता
1962 की भारत-चीन युद्ध के बाद, दोनों देशों के बीच LAC बेहद अमह है। यह एक प्रकार की सीज फायर लाइन है, जो उस स्थान को दर्शाती है जहां दोनों सेनाएं तैनात थीं। लेकिन सीमा पर तनाव और टकराव की घटनाएं लगातार बनी रहीं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई।
अब इस नए समझौते के साथ, भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति को सामान्य करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया गया है। यह समझौता दोनों देशों के लिए सहयोग और शांति की दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।