India और Nepal: के बीच ‘रोटी-बेटी’ का हुआ ऐतिहासिक करार

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल एक ऐतिहासिक गलती से सबक लेकर अपने पहले विदेश दौरे पर भारत पहुंचे हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री और पीएम मोदी के बीच गर्मजोशी भरी मुलाकात हुई। दोनों देशों के बीच बिजली, फर्टिलाइजर सहित कई समझौते हुए हैं। लेकिन भारत और नेपाल के बीच एक अहम और ऐतिहासिक समझौता हुआ है जो चीन के पेट में तेल डाल सकता है.
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प्रचंड का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण चल रहे हैं। प्रचंड की भारत यात्रा से पहले, नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडयाल ने देश के नागरिक कानून में विवादास्पद संशोधनों को मंजूरी दे दी। इस संशोधन से अब यदि कोई विदेशी महिला किसी नेपाली नागरिक से विवाह करती है तो उसे राजनीतिक अधिकार प्राप्त होंगे। नेपाल के इस कदम से जहां भारतीयों को बड़ा फायदा होने वाला है. यह तय माना जा रहा है कि भारत-नेपाल के इस समझौते से चीन काफी नाराज होगा।
दरअसल भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। भारत और नेपाल के बीच सदियों से धार्मिक और सामाजिक संबंध रहे हैं। भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार की बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी नेपाल में होती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम का विवाह भी जनकपुर में हुआ था। इस मधुर संबंधों के बीच वामपंथी सरकार के नेपाल आने के बाद संबंध बिगड़ने लगे। चीन के इशारे पर नाचने वाले केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के रिश्ते रसातल में चले गए।
जानिए भारतीयों को कैसे होगा फायदा?
ओली ने तब तक कहा था कि असली अयोध्या नेपाल में है और भगवान राम नेपाली हैं। ओली और उनकी समर्थक राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद भारत और नेपाल के रिश्ते एक बार फिर मजबूत होते जा रहे हैं। इसके तहत नेपाली कांग्रेस के नेता रहे राष्ट्रपति पौड्याल ने नागरिकता संशोधन को मंजूरी दी। संशोधन विधेयक को पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था। कई बार विद्या देवी ने संसद की मंजूरी के बाद भी अनुमति नहीं दी।
नेपाली राष्ट्रपति द्वारा संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद नेपाली नागरिकों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को अब तुरंत नागरिकता मिल जाएगी। इतना ही नहीं, इन महिलाओं को राजनीतिक अधिकारों की भी गारंटी दी जाएगी। इसके साथ ही नेपाल का कानून दुनिया के सबसे उदार कानूनों में से एक बन गया है। नेपाल के इस कदम से चीन बौखला सकता है। चीन इस कानून में संशोधन का लगातार विरोध करता रहा है।
नेपाल में चीन को बड़ा झटका, क्यों सता रहा है डर?
चीन को डर है कि उसके विद्रोही तिब्बती शरणार्थियों को कानून के जरिए नागरिकता मिल जाएगी। इतना ही नहीं इन तिब्बतियों को संपत्ति का अधिकार भी मिलेगा। चीन हमेशा तिब्बत में किसी भी विद्रोह की तलाश में रहता है। चीनी नेता बार-बार इन तिब्बती विद्रोहियों के खिलाफ नेपाली नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते रहे हैं। चीन और नेपाल के बीच एक सीमा है और तिब्बती विद्रोही चीनी क्षेत्र में प्रवेश करते रहते हैं।


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