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गुजरात: पाकिस्तान की नाक के नीचे एक नया एयरबेस बना रहा है भारत, वायु सेना को मिलेगी ताकत

डीसा एयरफील्ड
डीसा एयरफील्ड

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर एक नया एयरबेस, डीसा एयरफील्ड, बनाया जा रहा है। यह एयरफील्ड पाकिस्तान सीमा से महज 130 किलोमीटर की दूरी पर होगा, जिससे वायुसेना के फाइटर जेट जरूरत पड़ने पर यहां से तेजी से हमले कर सकेंगे। यह एयरफील्ड गुजरात के बनासकांठा में स्थित होगा और यह भारतीय वायुसेना का 52वां स्टेशन बनेगा। इस एयरफील्ड का निर्माण देश की सुरक्षा और क्षेत्र के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।

सिंगापुर की कंपनी को सौंपा गया है काम

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने डीसा एयरबेस पर रनवे का सर्वेक्षण किया है, जिसे ओब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस सर्वे कहा जाता है। यह काम सिंगापुर की एक निजी कंपनी को सौंपा गया है। सिंगापुर से डीए-62 प्रकार का एक छोटा विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पहुंच चुका है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर पूरे एयरपोर्ट का नक्शा तैयार किया जाएगा।

डीसा एयरफील्ड के निर्माण के लिए 4,519 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि रनवे की लागत 394 करोड़ रुपये होगी। यह एयरफील्ड पश्चिमी सीमा पर वायुसेना को सभी प्रकार के ऑपरेशंस करने में सक्षम बनाएगा, चाहे वो जमीन पर हो या समुद्र में। यह अहमदाबाद और वडोदरा जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्रों को दुश्मन के हमलों से बचाने में मदद करेगा।

स्मार्ट सुविधाएँ से लैस है ये एयरबेस 

इस एयरफील्ड का शिलान्यास साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। फिलहाल, डीसा एयरफील्ड पर एक 1000 मीटर लंबा रनवे है, जो अभी सिविलियन और चार्टर एयरक्राफ्ट के लिए उपयोग में लाया जा रहा है, साथ ही VVIP मूवमेंट्स के दौरान हेलिकॉप्टर भी यहां उतरते हैं। पहले चरण में एयरबेस पर रनवे, टैक्सीवे और एयरक्राफ्ट हैंगर्स का निर्माण किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में अन्य तकनीकी अवसंरचना बनाई जाएगी।

डीसा एयरफील्ड में स्मार्ट फेंसिंग, ग्राउंड वाटर रीचार्जिंग, सेंसर आधारित लाइट्स और सोलर इलेक्ट्रिसिटी फार्म्स जैसे आधुनिक सुविधाएँ होंगी। ये सभी सुविधाएँ एयरफील्ड को न केवल आधुनिक बनाएंगी, बल्कि इसके संचालन को भी अधिक कुशल बनाएंगी।

स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर

यह एयरबेस गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। इसके निर्माण से भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स की पावर और रेंज में बहुत बढ़ोतरी होगी। इससे गुजरात में स्थित भुज और नलिया, राजस्थान में जोधपुर, जयपुर और बाड़मेर जैसे एयरबेस के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा।

डीसा एयरफील्ड का निर्माण कच्छ और दक्षिणी राजस्थान में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर लेकर आएगा। उड़ान (UDAN) योजना के तहत यहां लोकल फ्लाइट सेवाएं भी शुरू की जा सकेंगी। यह एयरफील्ड कांडला पोर्ट और जामनगर रिफायनरी के पूर्व में स्थित है, जिससे ऊर्जा के क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

वायुसेना आसानी से कर सकेगी ऑपरेशंस 

इस एयरफील्ड की स्थिति भारतीय वायुसेना के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीमा से केवल 130 किलोमीटर दूर है। इससे वायुसेना पश्चिमी सीमा पर आवश्यक ऑपरेशंस आसानी से कर सकेगी, चाहे वो भूमि पर हों या समुद्र में। इससे अहमदाबाद और वड़ोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों को दुश्मन के हमलों से सुरक्षा मिलेगी।

डीसा एयरफील्ड से ह्यूमेनिटेरियन असिस्टेंस और डिजास्टर रिलीफ (HADR) ऑपरेशंस को भी बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकेगा। यहां बनाए जा रहे रनवे पर बड़े विमानों, जैसे बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर, की लैंडिंग संभव होगी।

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