India-Taliban: भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में अब एक नया अध्याय शुरू होता दिख रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहली बार अफगानिस्तान के तालिबान रक्षा मंत्री से मुलाकात की है। यह मुलाकात बुधवार को काबुल में हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की गई।
मोहम्मद याकूब मुजाहिद से हुई मुलाकात
भारत के विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से जुड़े मामलों को देखने वाले संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद से मुलाकात की। याकूब तालिबान के पूर्व सुप्रीम लीडर मुल्ला उमर के बेटे हैं। इस मुलाकात के बाद तालिबान सरकार ने सोशल मीडिया पर बताया कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने पर बातचीत की।
इस यात्रा के दौरान जेपी सिंह ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की। यह जेपी सिंह का इस साल दूसरा अफगानिस्तान दौरा था। इससे पहले वे मार्च में भी काबुल गए थे।
पांच बार कर चुके हैं अफगानिस्तान की यात्रा
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से भारतीय अधिकारी अब तक पांच बार अफगानिस्तान की यात्रा कर चुके हैं। इस तरह की पहली यात्रा जून 2022 में हुई थी। इस साल जनवरी में काबुल में आयोजित अफगानिस्तान रीजनल कोऑपरेशन इनिशिएटिव में भी भारत ने हिस्सा लिया था।
2022 से बंद है भारतीय दूतावास
हालांकि, भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। काबुल में भारतीय दूतावास 2022 से बंद है और वहां केवल एक तकनीकी टीम काम कर रही है। दूसरी ओर, नई दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास पिछले साल अक्टूबर से बंद है।
इस मुलाकात से यह संकेत मिलता है कि भारत अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दिए बिना भी मानवीय सहायता और पुननिर्माण कार्यों में शामिल होना चाहता है। तालिबान के सत्ता में आने से पहले भारत की अफगानिस्तान में 400 से अधिक परियोजनाएं चल रहीं थी। भारत ने अफगानिस्तान की संसद का निर्माण भी करवाया था।
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अफगानिस्तान के अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से रिश्ते लगातार खराब हो रहें है। वहीं, चीन ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे रखी है।
इस मुलाकात से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए अफगानिस्तान के साथ संपर्क बनाए रखना चाहता है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।
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