भारत, जो आने वाले वर्षों में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है, अपनी सांस्कृतिक ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाने की योजना बना रहा है। इस पहल के तहत, भारत अगले कुछ वर्षों में दुनिया के 100 से अधिक देशों के साथ सांस्कृतिक करार करेगा। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना और विभिन्न देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
भारत महोत्सव का आयोजन
भारत सरकार ने इस योजना के अंतर्गत ‘भारत महोत्सव’ का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इन महोत्सवों के माध्यम से भारत अपने नृत्य, संगीत, रंगमंच, संग्रहालयों और पुस्तकालयों आदि से दुनिया को परिचित कराएगा। वर्तमान में भारत के 84 देशों के साथ सांस्कृतिक करार हैं, और यह संख्या जल्द ही बढ़कर 100 हो जाएगी।
संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि इन करारों पर बातचीत शुरू हो चुकी है और 2025 से इस प्रक्रिया में तेजी आएगी। यह पहल न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे पर्यटन क्षेत्र को भी बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। जब विदेशी पर्यटक भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करेंगे, तो वे स्वाभाविक रूप से भारत की ओर आकर्षित होंगे।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान के व्यापक प्रभाव
भारत की यह पहल केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक ही सीमित नहीं है। इसके व्यापक प्रभाव होंगे:
– पर्यटन को बढ़ावा: भारत की समृद्ध संस्कृति से परिचित होकर विदेशी पर्यटक स्वाभाविक रूप से देश की ओर आकर्षित होंगे।
– अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार: सांस्कृतिक समझौते द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेंगे, जिसका सकारात्मक प्रभाव व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों पर भी पड़ेगा।
– ज्ञान का आदान-प्रदान: इस पहल से भारत को अन्य देशों से संग्रहालयों, अभिलेखागारों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण के क्षेत्र में नए तरीके सीखने का अवसर मिलेगा।
भारत की बढ़ती वैश्विक छवि
भारत की यह पहल ऐसे समय में आई है जब देश अपनी वैश्विक छवि को मजबूत करने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने दुनिया भर के देशों की मदद करके अपनी सहयोगी छवि को मजबूत किया था। अब सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से भारत अपनी ‘सॉफ्ट पावर’ को और बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है। हाल ही में जारी एशिया पावर इंडेक्स 2024 में भारत जापान को पीछे छोड़कर एशिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है।