India UAE Relations: भारत और यूएई के बीच आपसी कारोबार में कई गुना बढ़ोत्तरी, दोनों देशों के बीच हुए कई अहम समझौते
India UAE Relations: वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 की शुरुआत आज से होने जा रही है। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 136 देशों के प्रतिनिधि भाग लेने वाले हैं। वाइब्रेंट गुजरात समिट में देश-विदेश से नेता इस शिखर सम्मेलन शामिल होने के लिए आना शुरू हो गए हैं। वाइब्रेंट गुजरात समिट (India UAE Relations) के दौरान भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच दोस्ती की झलक पूरी दुनिया देखेगी। जब से पीएम मोदी सत्ता में आए तब से वैश्विक स्तर पर भारत को एक खास पहचान मिली है। इस दौरान भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंध बेहद खास बने हैं। पीएम मोदी यूएई के प्रेसिडेंट शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान के साथ एक रोड शो करेंगे।
पीएम मोदी को अपना बड़ा भाई मानते हैं शेख मोहम्मद:
एक समय था जब भारत के प्रधानमंत्री यूएई के दौरे पर बहुत ही कम बार गए। सबसे पहले इंदिरा गांधी ने संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था। लेकिन भारत और यूएई के बीच दोस्ताना पीएम मोदी और शेख मोहम्मद के सत्ता संभालने के बाद सही मायने में दिखा हैं। पीएम मोदी जब पिछली बार यूएई दौरे पर गए थे तो वहां जिस तरह से उनका स्वागत किया गया थे उसे देखकर उन्होंने कहा कि ” ऐसा लगता हैं कि यूएई मेरा दूसरा घर हैं।” बता दें वहीं दूसरी तरफ यूएई के प्रेसिडेंट शेख मोहम्मद भी पीएम मोदी को अपना बड़ा भाई मानते हैं।
आपसी कारोबार में कई गुना बढ़ोत्तरी:
पीएम मोदी ने अपने इन दो कार्यकाल में छह बार यूएई का दौरा किया हैं। जबकि यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद भी इस दौरान तीन बार भारत का दौरा कर चुके हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के दोस्ताना व्यवहार का असर व्यापारिक संबंध पर भी देखने को मिल रहा हैं। पिछले आठ सालों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो भारत और यूएई के बीच आपसी कारोबार में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई हैं। इस वक्त दोनों देशों के बीच लगभग 85 अरब डॉलर का व्यापार हो रहा है। आने वाले सालों में ऐसी तरह दोस्ताना व्यवहार रहा तो दोनों देशों के बीच 100 अरब डॉलर का व्यापार होने की संभावना जताई जा रही हैं।
दोनों देशों के बीच हुए कई अहम समझौते:
भारत और यूएई के बीच इस दौरान व्यापार के साथ कई तरह के अहम समझौते भी हुए हैं। इसमें सबसे खास था आपसी कारोबार के लिए स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल को लेकर बनी सहमति था। इससे द्विपक्षीय व्यापार के साथ दोनों देशों में निवेश का आधार भी मजबूत होगा। पीएम मोदी ने हमेशा से ही इस बात को बल दिया हैं कि विदेशी व्यापर में भी भारतीय मुद्रा का चलन बढ़े। इस समय यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इससे साफ़ दिखाई दे रहा हैं कि दोनों नेताओं के बीच इस अंडरस्टैंडिंग का फायदा व्यापार पर हो रहा हैं।
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