Mission 500

क्या है भारत और अमेरिका का ‘मिशन 500’? 2030 तक व्यापार में होगा जबरदस्त उछाल!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन डीसी के ब्लेयर हाउस में अपनी दो दिन की अमेरिकी यात्रा की शुरुआत की, जिसमें कई महत्वपूर्ण बैठकें हुईं। इनमें सबसे अहम बैठक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ थी। इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें दोनों नेताओं के बीच हुई चर्चा के बारे में जानकारी दी।

सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप के निमंत्रण पर अमेरिका यात्रा की और यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों की अहमियत को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात राष्ट्रीय खुफिया विभाग की नई निदेशक तुलसी गबार्ड, एलन मस्क और विवेक रामास्वामी से भी हुई। इसके अलावा, भारत इस साल के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा, और प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप को इस सम्मेलन में आमंत्रित भी किया है।

‘मिशन 500’ की घोषणा

विदेश सचिव ने बताया कि व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 4 घंटे तक बातचीत हुई। इस मुलाकात में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें सुरक्षा सहयोग, रक्षा, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, और लोगों के बीच रिश्ते शामिल थे।

विदेश सचिव के अनुसार, दोनों नेताओं ने मिलकर 21वीं सदी के लिए एक नई अमेरिका-भारत साझेदारी की शुरुआत की। इसका उद्देश्य व्यापार, निवेश, और सैन्य साझेदारी को बढ़ावा देना है। उदाहरण के लिए, दोनों नेताओं ने ‘मिशन 500’ की घोषणा की, जिसका लक्ष्य 2030 तक भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। इसके साथ ही, यह भी ऐलान किया गया कि 2025 के अंत तक वे एक बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण पर बातचीत करेंगे।

10 साल के फ्रेमवर्क की योजना का ऐलान

दोनों नेताओं ने 21वीं सदी में अमेरिका और भारत के बीच प्रमुख रक्षा साझेदारी के लिए एक नए 10 साल के फ्रेमवर्क की योजना का ऐलान किया। यह फ्रेमवर्क 2025 से लेकर 2035 तक रहेगा और इसे इस साल के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा, दोनों नेताओं ने लैंड और एयर सिस्टम जैसे कई रक्षा प्लेटफार्मों के लिए चल रही खरीदारी की बातचीत और सह-उत्पादन समझौतों पर आगे बढ़ने पर भी सहमति जताई।

AI के बुनियादी ढांचे को तेज़ी से बढ़ाएंगे 

विदेश सचिव ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर चर्चा करते हुए, भारतीय और अमेरिकी नेताओं ने दोनों देशों के निजी उद्योगों को एक साथ लाने और इस साल के अंत तक AI के बुनियादी ढांचे को तेज़ी से बढ़ाने के लिए एक रोडमैप बनाने का संकल्प लिया है। दोनों देश मिलकर उद्योग साझेदारी को बढ़ावा देंगे और अगले पीढ़ी के डेटा केंद्रों, कंप्यूटेशन और प्रक्रियाओं तक बेहतर पहुंच के लिए निवेश को बढ़ावा देंगे। साथ ही, एटोनॉमस सिस्टम बनाने पर भी जोर दिया जाएगा। दोनों नेताओं ने इस तकनीक के क्षेत्र में मिलकर आगे काम करने का फैसला लिया है।

दोनों देशों ने यह निर्णय लिया है कि वे अपने व्यापार को मजबूत करने के लिए एक साथ मिलकर काम करेंगे। इसका मतलब है कि वे बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाएंगे, शुल्क और गैर-शुल्क रुकावटों को कम करेंगे, और दोनों देशों के बीच आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक प्रभावी बनाएंगे। इसके अलावा, दोनों देशों ने उच्च मूल्य वाले उद्योगों में निवेश बढ़ाने का भी वादा किया है, और भारत द्वारा 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश करने का जिक्र किया गया है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि बातचीत के दौरान अवैध अप्रवासियों का मुद्दा भी उठाया गया। उन्होंने कहा कि हम इन अप्रवासियों को वापस भेजेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर जोर दिया कि अवैध अप्रवासियों की वापसी केवल शुरुआत है, और इसे रोकने के लिए दोनों देशों को मिलकर कदम उठाने होंगे।

 

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