भारत सरकार की लम्बे समय से चल रही मुहीम मानो अब रंग लाने लगी है, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा अब सचमुच कारगर साबित होता नज़र आ रहा है। सालों पहले देखें गए सावित्री बाई फुले के ख्वाब मानो सच होते नज़र आ रहे हैं। महिलाओं के बीच अब शिक्षा को लेकर जागरूकता आयी है और यह शिक्षा के महत्व को समझ रहीं हैं। जिसके कारण पूरा भारत वर्ष रोशन हो रहा है।
हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि ग्रामीण भारत में साक्षरता दर में बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ दशकों में इसमें अच्छा सुधार देखा गया है। साल 2011 में 7 साल और उससे बड़ी उम्र की लड़कियों की साक्षरता दर 67.77 प्रतिशत थी, जो अब 2023-24 में बढ़कर 77.5 प्रतिशत हो गई है। एक समय था जब महिलाओं की साक्षरता दर सिर्फ 14.5 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह धीरे-धीरे बढ़ते हुए 70.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वहीं, पुरुषों में भी साक्षरता दर में इजाफा हुआ है, जो 77.15 प्रतिशत से बढ़कर 84.7 प्रतिशत हो गया है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान कितना हुआ कामयाब?
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार साक्षरता दर बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, खासकर ग्रामीण इलाकों में बालिगों के बीच वह एक्टीवेली काम कर रहीं है। इन योजनाओं में समग्र शिक्षा अभियान, साक्षर भारत, पढ़ना-लिखना अभियान और उल्लस-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम शामिल हैं।
जयंत चौधरी ने इन योजनाओं की सफलता के बारे में बात करते हुए कहा कि इन योजनाओं ने अच्छे नतीजे दिए हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में साक्षरता दर को बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (एनआईएलपी) ने साक्षरता बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह योजना अप्रैल 2022 में शुरू की गई थी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, यह कार्यक्रम 15 साल से ऊपर के लोगों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करता है।
ULLAS स्कीम ने कितना दिखाया दम ?
जयंत चौधरी ने लोकसभा में बताया कि उल्लास स्कीम के तहत हम अब तक 2 करोड़ से ज्यादा लोगों का पंजीकरण कर चुके हैं। इसके अलावा, 1 करोड़ से ज्यादा लोग फाउंडेशनल लिटरेसी और संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षण (FLNAT) के तहत जुड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि यह स्कीम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से चल रही है। इसके साथ ही, मोबाइल ऐप के जरिए भी सीखने का विकल्प उपलब्ध है, जिसमें 26 भाषाओं का सपोर्ट है।
चौधरी ने बताया कि इस योजना के तहत महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा सफलता हासिल की है। इस योजना के कारण 10.87 लाख से ज्यादा लोग रजिस्टर हुए और 4 लाख लोग FLNAT परीक्षा में भी शामिल हो चुके हैं। साथ ही जयंत चौधरी ने संसद को जानकारी देते हुए यह भी बताया कि बिहार ने अभी तक ULLAS पहल को लागू नहीं किया है।
जयंत चौधरी ने कहा कि इतनी तरक्की हासिल करने के बावजूद, ग्रामीण भारत में 100 प्रतिशत साक्षरता अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने शिक्षा के दायरे को बढ़ाने के बारे में बात करते हुए कहा कि हालांकि अभी भी बहुत काम करना बाकी है, लेकिन “उल्लास” जैसी पहल एक सकारात्मक दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। इस योजना के तहत साक्षरता के अंतर को कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, खासकर महिलाओं को सशक्त बनाने और साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए।
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