चीन और पाकिस्तान की बढ़ती वायु शक्ति और भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने वायुसेना की ताकत बढ़ाने का फैसला किया है। इसके लिए रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है।
रक्षा मंत्रालय ने यह कदम वायुसेना की क्षमता को बेहतर करने और स्वदेशी तकनीक के जरिए नए लड़ाकू विमानों और अन्य उपकरणों के विकास और खरीद को बढ़ावा देने के लिए उठाया है। अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला दिल्ली में हाल ही में हुए वायुसेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को वायुसेना द्वारा दी गई जानकारी के बाद लिया गया।
समिति अगले तीन महीने में सरकार को देगी रिपोर्ट
रक्षा मंत्रालय के एक सम्मेलन में, शीर्ष अधिकारियों को भविष्य में लड़ाकू विमानों की जरूरतों और सेना की क्षमता में कमी को दूर करने पर चर्चा की गई। यह चर्चा आने वाले समय में दोनों मोर्चों पर संभावित खतरों से निपटने के लिए की गई थी।
समिति में सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, DRDO के प्रमुख डॉ. समीर वी कामत और वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल टी सिंह शामिल हैं। यह समिति अगले तीन महीनों में सेना की ज़रूरतों का पूरा आकलन करके अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्री को सौंपेगी।
गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना के पास अभी केवल 36 राफेल (Rafale) विमान हैं, जो 4.5 जनरेशन के लड़ाकू विमान हैं। सेना का मानना है कि चीन से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए उन्हें और ज्यादा राफेल विमानों की जरूरत है।
4.5 प्लस जनरेशन के 110 से ज्यादा लड़ाकू विमान की जरूरत
चीन अब पाकिस्तान और बांग्लादेश की वायु सेना को हथियारों और उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता का कारण बन सकता है। भारतीय वायु सेना को 4.5-प्लस जनरेशन के 110 से ज्यादा लड़ाकू विमान की जरूरत है अभी की बात करें तो भारत के पास सिर्फ राफेल ही 4.5 जनरेशन के है, और इस योजना पर सरकार काफी समय से विचार कर रही है। इस मामले में एक समिति यह सुझाव दे सकती है कि स्वदेशी तरीके से इस जरूरत को पूरा किया जाए।
यह भी पढ़े: