Indian Constitution Fundamental Rights: भारतीय संविधान के अनुसार, आपके पास क्या – क्या अधिकार हैं? जान लीजिए…
राजस्भाथान (डिजिटल डेस्क). Indian Constitution Fundamental Rights: भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित दस्तावेज़ है। डॉ भीमराव अंबेडकर के शब्दों में, (Indian Constitution Fundamental Rights) “भारतीय संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज़ नहीं है, यह जीवन का वाहन है और इसकी आत्मा हमेशा युग की भावना है।” भारतीय संविधान मनुष्य जीवन रूपी वाहन को पहिए लगाने के लिए बहुत सी अन्य विशेषताओं के साथ-साथ मौलिक अधिकार भी प्रदान करता है।
क्या होते हैं मौलिक अधिकार?
भारतीय संविधान के भाग 3 में मौलिक (Indian Constitution Fundamental Rights) अधिकार वर्णित है। इस भाग को भारत का अधिकार पत्र भी कहा जाता है। मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को प्रदान किए ऐसे अधिकार हैं जो सरकार द्वारा सीमित नहीं किया जा सकते। यदि सरकार किसी भी रूप से मौलिक अधिकारों का हनन करती है तो न्यायालय एक सुरक्षा प्रहरी की तरह नागरिकों के इन अधिकारों की रक्षा करता है।
कितने अधिकार प्राप्त है?मूल रूप से भारतीय संविधान में 7 मौलिक अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) वर्णित थे लेकिन 1978 में 44 में संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 6 मौलिक अधिकार वर्णित है जो की क्रमशः समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक व शैक्षणिक अधिकार व संवैधानिक उपचारों का अधिकार हैं।
पहला: समानता का अधिकार
समानता का अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) अनुच्छेद 14 से लेकर के अनुच्छेद 18 तक वर्णित है। समानता का अधिकार हमें यह बताता है कि भारत में विधि के समक्ष सभी नागरिक समान हैं और सभी को समान रूप से विधि का संरक्षण प्रदान किया जाएगा। भारत में किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति,लिंग,मूल वंश व जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। भारतीय नागरिकों को सरकारी नियोजनों में अवसर की समानता प्राप्त है लेकिन सरकार चाहे तो पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है। समानता के अधिकार के फल स्वरुप ही अस्पृश्यता को खत्म किया गया व शैक्षणिक एवं रक्षक क्षेत्र में मिली हुई उपाधियां को छोड़कर बाकी सब उपाधियों का अंत कर दिया गया।
दूसरा: स्वतंत्रता का अधिकार
इसी प्रकार स्वतंत्रता का अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक वर्णित है। अनुच्छेद 19 के तहत ही भारतीय नागरिकों को वक स्वतंत्रता का अधिकार, एक स्थान पर शांतिपूर्ण तरीके से जमा होने का अधिकार, कोई भी संघ या यूनियन बनाने का अधिकार, संपूर्ण भारत व विदेश में कहीं भी आने-जाने, निवास करने, जीविकोपार्जन और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। संविधान में 86 में संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद ’21 क’ के रूप में जोड़कर मौलिक अधिकार का दर्जा प्रदान किया गया।
तीसरा: शोषण के विरुद्ध अधिकार
शोषण के विरुद्ध अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) अनुच्छेद 23 से 24 में वर्णित है इस अधिकार के तहत मानव व्यापार और बाल श्रम निषेध किया गया एवं बंधुआ मजदूरी जैसी कुप्रथा का भी अंत किया गया।
चौथा: धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 में वर्णित है। इसी अधिकार के तहत भारत में किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने धर्म को अपने तरीके से मानने-मनाने, आचरण और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र है।
पांचवां: सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार
सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) अनुच्छेद 29 से 30 में वर्णित है। इस अधिकार के तहत किसी भी वर्ग के नागरिकों को अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखना भाषा एवं लिपि को विलुप्त होने से बचाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा अल्पसंख्यकों के लिए विशेष शिक्षा संस्थानों की स्थापना और करने का अधिकार प्राप्त है।
छठा: संवैधानिक उपचारों का अधिकार
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Indian Constitution Fundamental Rights) अनुच्छेद 32 से अनुच्छेद 35 में वर्णित है। मौलिक अधिकारों के हनन किए जाने पर पांच प्रकार के संवैधानिक उपचार वर्णित है जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से लागू करवाए जा सकते हैं। जो कि क्रमशः बंदी प्रत्यक्षीकरण,परमादेश, निषेधाज्ञा, अधिकार पृच्छा व उत्प्रेषण रिट हैं।
क्या मौलिक अधिकार असीमित रूप से इस्तेमाल किया जा सकते हैं?
राष्ट्रीय आपातकाल के समय अनुच्छेद 20 व अनुच्छेद 21 में प्राप्त अधिकारों को छोड़कर बाकी सब मौलिक अधिकारों (Indian Constitution Fundamental Rights) को आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है। इसके अलावा अनुच्छेद 19 में प्राप्त अधिकारों पर भी सरकार द्वारा उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
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