India EV Market

6 साल में 20 लाख करोड़ की होगी EV इंडस्ट्री, बनेंगे 5 करोड़ नौकरियों के मौके: गडकरी

India EV Market: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, और इससे लगभग पांच करोड़ नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। गडकरी ने यह बात 8वें कैटलिस्ट कॉन्फ्रेंस- ईवी एक्सपो-2024 में ई-वाहन उद्योग की स्थिरता पर अपने संबोधन में कही। उन्होंने यह भी बताया कि 2030 तक ईवी के फाइनेंसिंग बाजार का आकार करीब चार लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है।

बनेंगे 5 करोड़ नौकरियों के मौके

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की संभावना 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की है, जिससे ईवी क्षेत्र में करीब पांच करोड़ नौकरियां बनेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार है।

सौर ऊर्जा बना अहम ऊर्जा श्रोत 

सौर ऊर्जा

गडकरी ने कहा कि हम हर साल 22 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात करते हैं, जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है। यह आयात देश में कई समस्याएं पैदा कर रहा है। सरकार अब हरित ऊर्जा पर जोर दे रही है, क्योंकि भारत की 44 प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा से आ रही है। जल विद्युत और सौर ऊर्जा के बाद, बायोमास जैसे हरित ऊर्जा स्रोतों के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। सौर ऊर्जा अब हमारे लिए एक अहम ऊर्जा स्रोत बन चुका है.

एक लाख इलेक्ट्रिक बसों की देश को जरुरत

इलेक्ट्रिक बसों

गडकरी जी ने देश में इलेक्ट्रिक बसों की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हमारे देश को एक लाख इलेक्ट्रिक बसों की ज़रूरत है, लेकिन फिलहाल हमारे पास सिर्फ 50 हजार बसें हैं। वह सभी से यह आग्रह करते हैं कि यह अपने कारखानों को बढ़ाने का सही समय है। इसके साथ ही, गडकरी जी ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों से यह भी कहा कि वे किसी भी हाल में गुणवत्ता से समझौता न करें।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार 

6 साल में 20 लाख करोड़ की होगी EV इंडस्ट्री

उन्होंने बताया कि जब 2014 में उन्होंने परिवहन मंत्री का पद संभाला था, तब मोटर वाहन उद्योग का आकार सात लाख करोड़ रुपये था। अब यह बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। हम अब दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं, और हाल ही में जापान को पीछे छोड़ दिया है। इस सूची में अमेरिका का मोटर वाहन उद्योग 78 लाख करोड़ रुपये के साथ पहले स्थान पर है, चीन का 47 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरा स्थान है।

 

 

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