भारत का यह शहर दिल्ली-नोएडा और चीन-पाकिस्तान से भी ज्यादा प्रदूषित, जानिए क्या है वजह?

प्रदूषण एक ऐसी गंभीर समस्या है जिससे दुनिया के कई देश जूझ रहे हैं। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले चुकी है। स्विट्जरलैंड की वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी IQAir की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, दुनिया के शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं। और हैरानी की बात यह है कि इस लिस्ट में मेघालय का बर्नीहाट शहर सबसे ऊपर है।

बर्नीहाट: भारत का सबसे प्रदूषित शहर

मेघालय का बर्नीहाट शहर, जो असम और मेघालय की सीमा पर स्थित है, दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। यहां का PM2.5 स्तर चौंकाने वाला है। बर्नीहाट में प्रदूषण का मुख्य कारण स्थानीय कारखानों से निकलने वाला उत्सर्जन है। इन कारखानों में शराब निर्माण, लोहा और इस्पात संयंत्र शामिल हैं। इनसे निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

दिल्ली: दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी

दिल्ली वैश्विक स्तर पर सबसे प्रदूषित राजधानी शहर बना हुआ है। 2024 में दिल्ली का वार्षिक औसत PM2.5 स्तर 108.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो 2023 के 102.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सर्दियों में और भी बढ़ जाता है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, धान की पराली जलाने, पटाखे फोड़ने और औद्योगिक उत्सर्जन से यहां की हवा जहरीली हो जाती है।

भारत: दुनिया का पांचवा सबसे प्रदूषित देश

IQAir की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2024 में दुनिया का पांचवा सबसे प्रदूषित देश बन गया है। 2023 में भारत इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर था। हालांकि, 2024 में भारत में PM2.5 सांद्रता में 7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो 2023 के 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तुलना में 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

भारत के सबसे प्रदूषित शहर

दुनिया के टॉप 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 13 शहर शामिल हैं। इनमें मेघालय का बर्नीहाट, दिल्ली, पंजाब का मुल्लांपुर, हरियाणा का फरीदाबाद, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में लोनी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, राजस्थान में गंगानगर, भिवाड़ी और हनुमानगढ़ शामिल हैं।

वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव

वायु प्रदूषण भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है। लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ अध्ययन के मुताबिक, साल 2009 से 2019 तक भारत में हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत संभावित रूप से दीर्घकाल तक PM2.5 प्रदूषण के संपर्क में रहने की वजह से हुई है। PM2.5, 2.5 माइक्रोन से छोटे वायु प्रदूषण कणों को संदर्भित करता है, जो फेफड़ों और रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं। इससे सांस लेने में समस्या, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है।

प्रदूषण के मुख्य स्रोत

भारत में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, लकड़ी या पराली जलाना और निर्माण कार्य शामिल हैं। दिल्ली जैसे शहरों में सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ जाता है, क्योंकि प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियां प्रदूषकों को हवा में जमा होने देती हैं।

क्या है समाधान?

वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। इनमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग, औद्योगिक उत्सर्जन को कम करना और पराली जलाने पर रोक लगाना शामिल है। सरकार और नागरिकों को मिलकर इस समस्या से लड़ने की जरूरत है।

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