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देश की अर्थव्यवस्था को लगा झटका, GDP में दो साल का सबसे निचला स्तर

GDP Decline: भारत की आर्थिक वृद्धि इस समय एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में देश की GDP महज़ 5.4 प्रतिशत बढ़ी है, जो कि करीब दो साल में सबसे कम है। एक साल पहले, यानी 2023 की इसी तिमाही में GDP में 8.1 प्रतिशत का उछाल आया था, जो अब बड़े पैमाने पर घटकर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गया। ये गिरावट खासकर विनिर्माण (Manufacturing) सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन के कारण आई है।

विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट, कृषि में हल्की बढ़ोतरी

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत रही, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। एक साल पहले इस क्षेत्र में 14.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दूसरी ओर, कृषि क्षेत्र ने थोड़ा अच्छा प्रदर्शन किया और इसमें 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। पिछले साल इसी अवधि में कृषि क्षेत्र की वृद्धि केवल 1.7 प्रतिशत थी। हालांकि, ये बढ़ोतरी इतनी अधिक नहीं है कि कुल GDP की वृद्धि दर को संभाल सके।

पहली छमाही में GDP में गिरावट, पिछले साल से 2% कम

देश की पहली छमाही में GDP वृद्धि 6 प्रतिशत रही, जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले काफी कम है। 2023 के पहले छह महीनों में GDP में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि इस साल ये आंकड़ा 6 प्रतिशत तक गिर चुका है। इसका मतलब है कि अगले महीनों में अगर कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ, तो पूरा साल GDP वृद्धि में एक और बड़ी गिरावट देख सकता है।

भारत की GDP वृद्धि दर (वार्षिक) का पिछले 10 सालों का डेटा

वर्ष GDP वृद्धि दर (%)
2014 7.5
2015 8.0
2016 8.2
2017 7.0
2018 6.7
2019 4.2
2020 -7.3
2021 8.3
2022 6.5
2023 5.4

भारत की तुलना में चीन की आर्थिक वृद्धि भी धीमी

भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास दर अब भी सबसे तेज़ बनी हुई है। जुलाई-सितंबर 2024 में चीन की GDP वृद्धि केवल 4.6 प्रतिशत रही, जो भारत से काफी कम है। हालांकि, ये दोनों देश आर्थिक मंदी के प्रभाव से जूझ रहे हैं, लेकिन भारत का प्रदर्शन चीन से बेहतर है।

राजकोषीय घाटा बढ़ा, सरकार के लिए चुनौती

वहीं दूसरी ओर, सरकार का राजकोषीय घाटा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक केंद्र का राजकोषीय घाटा 7,50,824 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो कि इस समय के पूरे साल के लक्ष्य का 46.5 प्रतिशत है। सरकार का अनुमान है कि इस वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP के 4.9 प्रतिशत तक रहेगा। इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकार को बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी और खर्चों में कटौती करना होगा।

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार को उठानी होंगी ठोस कदम

देश की आर्थिक वृद्धि के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सरकार इस मंदी को कैसे संभालती है और कौन से कदम उठाती है जिससे विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिले और GDP में सुधार हो। विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट का असर पूरे अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, और इसे ठीक करने के लिए सरकार को निवेश और उत्पादन के अवसर बढ़ाने होंगे। वहीं, कृषि क्षेत्र में बढ़ोतरी थोड़ी राहत देने वाली है, लेकिन इससे देश की पूरी अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने वाली नहीं है।

क्या भविष्य में सुधरेगा भारत का आर्थिक प्रदर्शन?

आने वाले महीनों में, भारत के आर्थिक प्रदर्शन में सुधार के संकेत दिख सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को कई सुधारों की जरूरत होगी। निवेश के मामले में तेज़ी लाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करने के उपायों को लागू करना होगा, ताकि विनिर्माण क्षेत्र में उछाल आए। साथ ही, वित्तीय घाटे को भी नियंत्रित करना बेहद जरूरी है ताकि आने वाले समय में सरकार के खर्चे और राजस्व के बीच बेहतर संतुलन बने।