Kongthong

यहां सिर्फ धुन से होती है व्यक्ति की पहचान, जानें कहां है भारत का ये अनोखा गांव

भारत में एक ऐसा गांव है, जहां किसी भी इंसान का नाम नहीं होता। यहां लोग एक दूसरे को गाने के जरिए बुलाते हैं। हैरान हो गए ना? लेकिन ये सच है। जब भी यहां किसी बच्चे का जन्म होता है, तो मां एक खास धुन गाती है, और वही धुन उस बच्चे का नाम बन जाता है। फिर लोग उसी धुन को गाकर उस बच्चे को जीवनभर पुकारते हैं।

भारत के मेघालय राज्य में एक खास गांव है, जिसका नाम कोंगथोंग है। यहां के लोग एक दूसरे को नाम से नहीं, बल्कि एक खास धुन या राग से पुकारते हैं। इसलिए इसे ‘व्हिसलिंग विलेज’ यानी “सीटी बजाने वाला गांव” भी कहा जाता है। यह गांव पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है और शिलांग से करीब 60 किलोमीटर दूर है।

कोंगथोंग गांव के लोग एक खास तरीके से संदेश भेजते हैं—वे सीटी बजाते हैं। इसे गांववाले ‘जिंगरवाई लवबी’ कहते हैं, जिसका मतलब है ‘माँ का प्रेम गीत’। यहां के लोगों के दो नाम होते हैं—एक आम नाम और दूसरा गाने का नाम। गाने के नाम के दो रूप होते हैं: एक लंबा और एक छोटा। आमतौर पर घर के अंदर छोटा गाना इस्तेमाल किया जाता है, जबकि बाहर के लोग लंबा गाना गाते हैं।

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700 लोगों की 700 अलग-अलग धुन

कोंगथोंग गांव में करीब 700 लोग रहते हैं और हर व्यक्ति के नाम के हिसाब से वहां 700 अलग-अलग धुनें हैं। खासी जनजाति के एक व्यक्ति और कोंगथोंग के निवासी, फिवस्टार खोंगसित के अनुसार, किसी को संबोधित करने के लिए जो धुन इस्तेमाल होती है, वह उस व्यक्ति की मां द्वारा उसके जन्म के बाद बनाई जाती है। यदि कोई व्यक्ति मर जाता है, तो उसकी धुन भी उसी के साथ खत्म हो जाती है। हर व्यक्ति की अपनी एक धुन होती है, और ये धुनें केवल मां ही बनाती हैं।

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‘मेरी धुन मेरी मां ने बनाई’

ग्रामवासी ने बताया कि हमारे गांव में या घरों में छोटी धुन का इस्तेमाल किया जाता था। उन्होंने कहा, ‘यह धुन मेरी मां ने बनाई थी।’ यह परंपरा हमारे गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। हमें यह नहीं पता कि यह कब शुरू हुई, लेकिन हम सभी गांववाले इससे बहुत खुश हैं।

 

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