भारत के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने सीजेआई की शपथ ली है। बता दें कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ रविवार (10 नवंबर 2024) को रिटायर हो गये हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीजेआई संजीव खन्ना किस परिवार से आते हैं और एक बार उनके चाचा भी सीजेआई बनने वाले थे, लेकिन इंदिरा गांधी के कारण उनको मौका नहीं मिला था। जानिए आखिर क्या था वो पूरा किस्सा।
साल 1973
बता दें कि साल 1973 में सीजेआई सर्व मित्र सीकरी के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस अजीत नाथ रे (एएन रे) को सीजेआई बनाया गया था। जिसको लेकर उस समय काफी विवाद हुआ था, क्योंकि वह वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर थे। जस्टिस रे से पहले जेएम शेलट, जस्टिस केएल हेगड़े और जस्टिस एएन ग्रोवर सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ जज थे। इन तीनों में से किसी को भी सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया था। इसका कारण था कि इन जजों ने केशवानंद भारती बनाम सरकार मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था। केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि संविधान के मूलभूत ढांचे में बदलाव के लिए संसद इसमें संशोधन नहीं कर सकती है। जानकारी क मुताबिक जस्टिस एएन रे ने सरकार की ओर से सीजेआई के रूप में नियुक्ति को स्वीकार कर लिया था।
नियम को तोड़कर बने सीजेआई
जानकारी के मुताबिख जस्टिस एएन रे के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस एचआर खन्ना सबसे वरिष्ठ थे। बता दें कि यह जस्टिस खन्ना ही आज के चीफ जस्टिस की शपथ लेने वाले जस्टिस संजीव खन्ना के चाचा थे। साल 1977 में जब जस्टिस एचआर खन्ना के सीजेआई बनने की बारी आई थी, तो एक बार फिर से सरकार ने परंपरा का पालन नहीं किया था, क्योंकि जस्टिस खन्ना ने भी इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार को असहज करने वाला एक फैसला दिया था।
क्या था मामला
दरअसल मध्य प्रदेश में जबलपुर के एक एडीएम के मामले में जस्टिस खन्ना ने कहा था कि वह सरकार की इस बात से कतई सहमत नहीं कि किसी भी व्यक्ति की हिरासत पर केवल इसलिए सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इमरजेंसी लागू है। इस फैसले के बाद जस्टिस एचआर खन्ना के बजाय जस्टिस एमएच बेग को सीजेआई बनाया गया था। आज 11 नवंबर को अब उन्हीं जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे जस्टिस संजीव खन्ना सीजेआई की शपथ ले रहे हैं।
डीयू से की है पढ़ाई
14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकरण कराया था। तीस हजारी कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की थी। जिसके बाद फिर दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए थे। हाईकोर्ट में जज के रूप में 14 साल तक जज रहने के बाद उनको साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत किया गया था।