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उद्योगपति रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन

रतन टाटा, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक थे, का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पीटीआई के अनुसार, वह पिछले कुछ दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित किया गया था। टाटा ग्रुप के मुख्यालय, बॉम्बे हाउस, ने उनके निधन की पुष्टि की, जिससे उनके प्रशंसकों और समर्पित अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई।

हालांकि रतन टाटा की तबीयत खराब होने की खबरें पहले से ही फैली हुई थीं, उन्होंने स्वयं सोशल मीडिया पर आकर उन सभी अफवाहों का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि वह एक नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल आए थे और उनकी स्थिति चिंताजनक नहीं है। उन्होंने अपने शुभचिंतकों से अपील की थी कि वे निराधार खबरों पर विश्वास न करें। लेकिन सोमवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उद्योगपति हर्ष गोयनका ने भी इस दुखद खबर पर प्रतिक्रिया दी, उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “घड़ी ने टिक-टिक बंद कर दी है। टाइटन का निधन हो गया। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की एक मिसाल थे।”

रतन टाटा का योगदान

रतन टाटा ने 2012 तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया और 78 वर्ष की उम्र में इस पद से रिटायर होने का निर्णय लिया। उनके नेतृत्व में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने जबरदस्त सफलता प्राप्त की और उन्होंने टाटा नैनो जैसी आम आदमी की कार का सपना साकार किया। यह कार मात्र एक लाख रुपये की कीमत में उपलब्ध थी, जिसने भारतीय बाजार में एक नया अध्याय लिखा।

उनके कार्यकाल के दौरान टाटा ग्रुप ने कई बड़ी वैश्विक कंपनियों का अधिग्रहण किया। उन्होंने 2000 में टेटली चाय कंपनी को 450 मिलियन डॉलर में खरीदा और 2007 में कोरस स्टील का अधिग्रहण किया, जिसकी कीमत 6.2 बिलियन पाउंड थी। 2008 में उन्होंने जगुआर लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदकर सभी को चौंका दिया था।

भारत ने एक महान उद्योगपति को खो दिया

रतन टाटा का योगदान केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं था; उन्होंने समाज सेवा और परोपकार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी ईमानदारी और नैतिक नेतृत्व ने न केवल व्यापार जगत में, बल्कि समाज में भी गहरी छाप छोड़ी है। उनके निधन से भारत ने एक महान उद्योगपति को खो दिया है, जिसकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी।

टाटा परिवार और उनके अनुयायियों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है। उनके कामों और दृष्टिकोणों से प्रेरित होकर कई नई पीढ़ियों ने उनके सिद्धांतों को अपनाया है। उनकी विरासत आने वाले वर्षों में भी लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

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